23 जून 2025 को इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु के तहत तेजी से कदम उठाए. इजरायल में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए दूसरा जत्था, जिसमें पांच बसों में सवार भारतीय शामिल हैं, तेल अवीव से जॉर्डन के लिए रवाना हुआ. कल 160 भारतीय इजरायल से निकले थे, और आज 160 और भारतीय जॉर्डन पहुंचे.
कुल मिलाकर, 1200 भारतीयों को इजरायल के विभिन्न हिस्सों से निकाला जाएगा. इजरायल का हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण ये नागरिक सड़क मार्ग से जॉर्डन जा रहे हैं, जहां से विशेष उड़ानों के जरिए उन्हें भारत लाया जाएगा. भारतीयों ने इस निकासी पर राहत जताई है.
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ऑपरेशन सिंधु: क्यों शुरू हुआ यह मिशन?
इजरायल और ईरान के बीच 13 जून 2025 से शुरू हुए सैन्य टकराव ने मध्य पूर्व को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया. इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने ड्रोन और मिसाइलों से इजरायल पर पलटवार किया. इस संघर्ष के कारण इजरायल, ईरान, इराक और जॉर्डन ने अपने हवाई क्षेत्र बंद कर दिए. तेल अवीव का बेन गुरियन हवाई अड्डा भी बंद है, जिसके चलते हजारों यात्री और विदेशी नागरिक फंस गए.
इजरायल में 40,000 से अधिक भारतीय रहते हैं, जो देखभाल करने वाले (केयरगिवर), निर्माण मजदूर, छात्र और पेशेवर के रूप में काम करते हैं. लगातार सायरन की आवाजें, बंकरों में छिपने की मजबूरी और ड्रोन-मिसाइल हमलों के डर ने भारतीयों को चिंतित कर दिया. भारत सरकार ने तुरंत ऑपरेशन सिंधु शुरू किया, जो पहले ईरान से भारतीयों की निकासी के लिए शुरू हुआ था और अब इजरायल तक हो रहा है.
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निकासी की प्रक्रिया: तेल अवीव से जॉर्डन तक का सफर
इजरायल का हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण हवाई मार्ग से निकासी संभव नहीं थी. इसलिए, भारत सरकार ने सड़क मार्ग से भारतीयों को जॉर्डन और मिस्र के रास्ते निकालने की योजना बनाई.
पहला दिन (22 जून, 2025): 160 भारतीय तेल अवीव और हाइफा जैसे शहरों से सड़क मार्ग से जॉर्डन के शेख हुसैन ब्रिज पहुंचे, जो इजरायल-जॉर्डन सीमा पर है. यह सीमा तेल अवीव से लगभग 120 किलोमीटर दूर है. भारतीय दूतावास ने बसों का इंतजाम किया और नागरिकों को सुरक्षित सीमा तक पहुंचाया. जॉर्डन पहुंचने के बाद, इन नागरिकों को अम्मान हवाई अड्डे ले जाया गया, जहां से विशेष उड़ानें उन्हें भारत लाईं.
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दूसरा दिन (23 जून, 2025): आज सुबह पांच बसों में सवार 160 और भारतीय तेल अवीव से जॉर्डन के लिए रवाना हुए. भारतीय दूतावास ने फोन और ईमेल के जरिए नागरिकों से संपर्क किया. उन्हें तेल अवीव और हाइफा में निर्धारित स्थानों पर इकट्ठा होने के लिए कहा. ये नागरिक शेख हुसैन ब्रिज के रास्ते जॉर्डन पहुंचे और अब अम्मान से विशेष उड़ानों के लिए तैयार हैं.
आने वाले दिन: भारत सरकार ने अगले कुछ दिनों में 1200 भारतीयों को निकालने की योजना बनाई है. कुछ भारतीयों को मिस्र के रास्ते भी निकाला जाएगा, खासकर दक्षिणी इजरायल में रहने वालों को. जॉर्डन और मिस्र दोनों ने भारत की इस निकासी में सहयोग का वादा किया है.
जॉर्डन की भूमिका: सहयोग और समन्वय
जॉर्डन ने भारत की निकासी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण सहयोग दिया. जॉर्डन के राजदूत यूसुफ अब्दुलघानी ने कहा कि हम भारतीय नागरिकों को सुरक्षित भारत पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. रॉयल जॉर्डनियन एयरलाइंस ने अम्मान से मुंबई के लिए उड़ानें शुरू कीं, जिससे निकासी आसान हुई. जॉर्डन में भारतीय दूतावास ने सीमा पर पहुंचने वाले भारतीयों का स्वागत किया और उन्हें अम्मान हवाई अड्डे तक पहुंचाया. 162 भारतीय, जो पहले ही इजरायल से जॉर्डन पहुंच चुके हैं, अगले एक-दो दिनों में दिल्ली लौटेंगे.
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भारतीयों की राहत: "अब मन को सुकून है"
निकासी में शामिल भारतीयों ने भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की और राहत जताई. एक भारतीय नागरिक, जो तेल अवीव से निकाला गया. उसने कहा कि हमें दूतावास से ईमेल मिला और सुबह 6:30 बजे इकट्ठा होने को कहा गया. अब हम जॉर्डन जा रहे हैं, फिर अम्मान से दिल्ली. हमें बहुत सुकून है.
एक अन्य नागरिक ने कहा कि सायरन की आवाजें और बंकरों में छिपना बहुत डरावना था. भारत सरकार का धन्यवाद, जो हमें सुरक्षित निकाल रही है. कश्मीरी छात्रों सहित कई छात्रों ने बताया कि वे डर के माहौल में थे, लेकिन अब घर लौटने की खुशी है.
ईरान से भी निकासी: एक साथ दो मोर्चों पर ऑपरेशन
ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से भी भारतीयों को निकाला जा रहा है. अब तक 1713 भारतीय ईरान से स्वदेश लौट चुके हैं, जिनमें 22 जून को मशहद से आए 285 नागरिक शामिल हैं. ईरान ने विशेष इजाजत देकर अपने बंद हवाई क्षेत्र को भारतीय निकासी उड़ानों के लिए खोला. महन एयर की तीन उड़ानों ने मशहद और अश्गाबात से भारतीयों को दिल्ली पहुंचाया. 110 छात्रों को पहले आर्मेनिया के रास्ते निकाला गया था.
शिवानी शर्मा