अब भारत के दुश्मन पर ड्रोन से गिरेंगी मिसाइलें... DRDO ने किया सफल परीक्षण

DRDO ने ULPGM-V3 मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो स्वदेशी ड्रोन से लॉन्च होती है. ये 12.5 किलो की मिसाइल टैंक, बंकर और ठिकानों को दिन-रात नष्ट कर सकती है. कुरनूल में टेस्ट हुआ, जिसमें एंटी-आर्मर मोड ने कमाल दिखाया. अदानी, BDL और 30 स्टार्टअप्स ने इसे बनाया है.

Advertisement
ड्रोन से दागी जाती मिसाइल. (Photo: X/Rajnath Singh) ड्रोन से दागी जाती मिसाइल. (Photo: X/Rajnath Singh)

शिवानी शर्मा / मंजीत नेगी

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 4:08 PM IST

25 जुलाई 2025 को भारत ने अपनी रक्षा ताकत को और मजबूत करते हुए एक बड़ा कदम उठाया. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने UAV लॉन्च्ड प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल (ULPGM)-V3 का आंध्र प्रदेश के कुरनूल में नेशनल ओपन एरिया रेंज (NOAR) टेस्ट रेंज पर सफल परीक्षण किया.

ये मिसाइल ULPGM-V2 का और बेहतर वर्जन है, जो पहले से ही DRDO ने बनाया था. ये स्मार्ट मिसाइल ड्रोन से छोड़ी जाती है और दिन-रात, किसी भी मौसम में दुश्मन के ठिकानों को पिनपॉइंट सटीकता से नष्ट कर सकती है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: 20 सेकंड में 40 रॉकेट दागता है... जिस वैम्पायर वेपन से कंबोडिया ने किया थाईलैंड पर हमला, उसकी जानिए ताकत

ULPGM-V3 मिसाइल क्या है?

ULPGM-V3 यानी Unmanned Aerial Vehicle Launched Precision Guided Missile-Version 3 एक हाई-टेक मिसाइल है, जो ड्रोन से लॉन्च होती है. ये 12.5 किलो की हल्की मिसाइल है, जो 4 किमी (दिन में) और 2.5 किमी (रात में) की दूरी तक सटीक हमला कर सकती है.

इसे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया मिशन के तहत पूरी तरह स्वदेशी बनाया गया है. ये मिसाइल दुश्मन के टैंक, बंकर और चलते-फिरते ठिकानों को आसानी से नष्ट कर सकती है.

ये मिसाइल फायर-एंड-फॉरगेट है, यानी एक बार छोड़ने के बाद ये खुद ही टारगेट को ढूंढकर मार गिराती है. इसमें दो-तरफा डेटा लिंक है, जिससे लॉन्च के बाद भी टारगेट को बदला जा सकता है.

Advertisement

ULPGM-V3 की ताकत

ये मिसाइल अपनी स्मार्ट तकनीक और ताकत के लिए जानी जाती है. इसकी खासियतें हैं...

हाई-डेफिनिशन डुअल-चैनल सीकर: इसमें इमेजिंग इन्फ्रारेड (IR) सीकर है, जो दिन और रात दोनों में सटीक टारगेट ढूंढता है. पैसिव होमिंग सिस्टम की वजह से ये रडार से बच सकता है.

तीन तरह के वारहेड

एंटी-आर्मर: आधुनिक टैंकों को नष्ट करने के लिए, जो रोल्ड होमोजिनियस आर्मर (RHA) और एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ERA) से लैस होते हैं.  
पेनेट्रेशन-कम-ब्लास्ट: बंकर और मजबूत ढांचों को तोड़ने के लिए.  
प्री-फ्रैगमेंटेशन: बड़े इलाके में तबाही मचाने के लिए, जिसमें दुश्मन के सैनिक और उपकरण नष्ट हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें: बिना हथियार वाले कंबोडिया पर थाईलैंड ने की एयरस्ट्राइक... जानिए दोनों देशों की सेना कितनी ताकतवर

दिन-रात और हर इलाके में काम

ये मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों (जैसे लद्दाख) तक काम कर सकती है. इसका डुअल-थ्रस्ट सॉलिड प्रोपल्शन इंजन इसे तेज और लंबी दूरी तक ले जाता है.

हल्का और स्मार्ट डिज़ाइन

सिर्फ 12.5 किलो वजन होने की वजह से इसे छोटे ड्रोन (जैसे हेक्साकॉप्टर) से भी छोड़ा जा सकता है. लेजर-गाइडेड तकनीक और टॉप-अटैक मोड इसे टैंकों के कमजोर हिस्सों (ऊपरी हिस्सा) पर हमला करने में माहिर बनाता है.

IR सीकर इन्फ्रारेड किरणों से टारगेट की गर्मी को पकड़ता है, जिससे अंधेरे में भी हमला मुमकिन है. डुअल-थ्रस्ट इंजन दो चरणों में काम करता है- पहले तेजी से उड़ान, फिर टारगेट तक पहुंचने के लिए स्थिर गति. डेटा लिंक से ड्रोन और कमांड सेंटर रियल-टाइम में बात कर सकते हैं.

Advertisement

कैसे हुआ टेस्ट?

25 जुलाई 2025 को कुरनूल के NOAR टेस्ट रेंज में ULPGM-V3 का परीक्षण हुआ. इसे बेंगलुरु की स्टार्टअप न्यूस्पेस रिसर्च टेक्नोलॉजीज के स्वदेशी ड्रोन से लॉन्च किया गया. टेस्ट में मिसाइल ने एंटी-आर्मर मोड में काम किया, यानी टैंकों को नष्ट करने की क्षमता को परखा गया.

टारगेट: एक नकली टैंक, जो आधुनिक बख्तरबंद गाड़ियों जैसा था.  
परिणाम: मिसाइल ने टारगेट को पिनपॉइंट सटीकता से नष्ट किया, चाहे वो स्थिर था या हिल रहा था.  
खासियत: मिसाइल ने दिन और रात दोनों में, साथ ही ऊंचे इलाकों में भी शानदार प्रदर्शन किया.

DRDO अब इस मिसाइल को लंबी दूरी और हाई-एंड्योरेंस ड्रोन (जैसे घातक UCAV) के साथ जोड़ने की तैयारी कर रहा है.

यह भी पढ़ें: कंबोडिया vs थाईलैंड: इस साल ये छठा युद्ध है, यूक्रेन से ईरान-PAK तक देख चुके तबाही

किन-किन ने बनाया?

ULPGM-V3 को बनाने में DRDO की कई लैब्स और प्राइवेट कंपनियों ने हाथ बटाया. ये आत्मनिर्भर भारत का शानदार उदाहरण है...

DRDO लैब्स

रिसर्च सेंटर इमारत (RCI): मिसाइल की गाइडेंस और सीकर सिस्टम बनाया.  
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब (DRDL): प्रोपल्शन सिस्टम.  
टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैब (TBRL): वारहेड डिज़ाइन.  
हाई-एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लैब (HEMRL): विस्फोटक तकनीक.  
इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR): टेस्टिंग साइट.  
डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च लैब (DLRL): डेटा लिंक और इलेक्ट्रॉनिक्स.

Advertisement

प्राइवेट पार्टनर

अदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस: मैन्युफैक्चरिंग और पार्ट्स सप्लाई.  
भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL): प्रोडक्शन पार्टनर.  
30 MSMEs और स्टार्टअप्स: छोटे-छोटे कंपोनेंट्स और टेक्नोलॉजी सपोर्ट.  
न्यूस्पेस रिसर्च टेक्नोलॉजीज: स्वदेशी ड्रोन, जिससे मिसाइल लॉन्च हुई.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement