भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल (डीएसवी) आईएनएस निस्तार ने 14 सितंबर 2025 को सिंगापुर के चांगी पोर्ट पर पहली बार डॉक किया. यह जहाज ईस्टर्न फ्लीट के कमांडर के अधीन काम करेगा. 15 सितंबर 2025 से शुरू हो रही बहुराष्ट्रीय एक्सरसाइज 'पैसिफिक रीच 2025' (XPR 25) में हिस्सा लेगा. यह एक्सरसाइज साउथ चाइना सी में होगी, जिसमें 40 से ज्यादा देश भाग लेंगे.
आईएनएस निस्तार क्या है?
स्वदेशी निर्माण का प्रतीकआईएनएस निस्तार को 18 जुलाई 2025 को विशाखापत्तनम में कमीशन किया गया. यह हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा डिजाइन और बनाया गया पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल है. जहाज की लंबाई 118.4 मीटर और चौड़ाई 22.8 मीटर है, जो 60 दिनों तक बिना रिफ्यूलिंग के चल सकता है. इसमें 80% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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इस जहाज का नाम संस्कृत शब्द 'निस्तार' से लिया गया है, जिसका मतलब 'मुक्ति' या 'बचाव' होता है. पहले सोवियत संघ से मिले आईएनएस निस्तार (1969-1989) के नाम पर रखा गया. निस्तार का मुख्य काम पनडुब्बी बचाव, गहरे समुद्र में डाइविंग ऑपरेशन, गैर-लड़ाकू निकासी और सर्च एंड रेस्क्यू (SAR) है. यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में पनडुब्बी ऑपरेशंस को मजबूत करेगा.
650 मीटर गहराई तक बचाव
आईएनएस निस्तार डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) के लिए मदरशिप (MoSHIP) का काम करेगा. भारत ने 2018-19 में दो DSRV हासिल किए- एक पूर्वी तट के लिए और एक पश्चिमी तट के लिए. ये वाहन 650 मीटर गहराई तक पनडुब्बी बचाव कर सकते हैं. पहले ये वेसल्स ऑफ ऑपरचुनिटी (VoO) या हवाई मार्ग से तैनात होते थे, लेकिन अब निस्तार जैसी समर्पित मॉथरशिप से तेजी से तैनाती संभव है.
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इसमें साइड स्कैन सोनार, वर्क एंड ऑब्जर्वेशन क्लास रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs) और गहरे समुद्र के डाइविंग सिस्टम लगे हैं. सबमरीन रेस्क्यू यूनिट (ईस्ट) (SRU(E)) निस्तार से ही ऑपरेट करेगी. यह जहाज नाटो स्टैंडर्ड रेस्क्यू हैच के साथ काम करता है, जो भारतीय पनडुब्बियों के साथ मैच करता है. इससे भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जिनके पास समर्पित पनडुब्बी बचाव क्षमता है.
एक्सरसाइज पैसिफिक रीच 2025: 40 से ज्यादा देशों का सहयोग
यह द्विवार्षिक एक्सरसाइज सिंगापुर द्वारा होस्ट की जा रही है, जो 15 सितंबर 2025 से साउथ चाइना सी में होगी. इसमें 40 से ज्यादा देश सक्रिय भागीदार या पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होंगे. एक्सरसाइज दो चरणों में होगी...
यह एक्सरसाइज पनडुब्बी बचाव प्लेटफॉर्म्स को एकजुट करेगी, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण है. भारत की भूमिका 'नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर' के रूप में मजबूत होगी, जहां हम ASEAN देशों या हिंद महासागर के पड़ोसियों की मदद कर सकेंगे.
भारत की समुद्री क्षमता में योगदान: क्षेत्रीय सुरक्षा
आईएनएस निस्तार का शामिल होना भारत की समुद्री ताकत को बढ़ाएगा. यह ह्यूमैनिटेरियन असिस्टेंस एंड डिसास्टर रिलीफ (HADR) में भी मददगार होगा. पहले भारत विदेशी वेसल्स पर निर्भर था, लेकिन अब स्वदेशी जहाज से स्वायत्तता मिली. HSL ने 120 MSMEs के साथ मिलकर इसे बनाया, जो रक्षा उद्योग को बढ़ावा देगा. यह जहाज इंडो-पैसिफिक में पनडुब्बी खतरों से निपटने में सक्षम बनाएगा. वियतनाम, इंडोनेशिया या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ संयुक्त अभ्यास से सहयोग बढ़ेगा.
शिवानी शर्मा