भारतीय सेना का 'जुगाड़'... इस एंटी-ड्रोन सिस्टम ने मार गिराए PAK के कई ड्रोन्स

भारत का जुगाड़ एंटी-ड्रोन सिस्टम ऑपरेशन सिंदूर में एक सितारा बन गया. इसने दिखाया कि सादगी और नई सोच से युद्ध के मैदान में भी कमाल हो सकता है. यह भारत की आत्मनिर्भरता और जुगाड़ की ताकत का शानदार उदाहरण है. इस छोटे से उपकरण ने न सिर्फ दुश्मन के ड्रोनों को रोका, बल्कि दुनिया को भारत की ताकत का अहसास भी कराया.

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अखनूर सेक्टर में इंसास राइफल्स को जोड़कर बनाया एंटी-ड्रोन सिस्टम. (फाइल फोटोः PTI) अखनूर सेक्टर में इंसास राइफल्स को जोड़कर बनाया एंटी-ड्रोन सिस्टम. (फाइल फोटोः PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:16 AM IST

मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर में हुए तनाव के दौरान एक साधारण-सा दिखने वाला "जुगाड़" उपकरण भारतीय सेना का हीरो बन गया. यह एंटी-ड्रोन सिस्टम, जिसे सोशल मीडिया पर मजाक का विषय बनाया गया था, उसने पाकिस्तानी ड्रोनों को नाकाम कर भारत की जुगाड़ शक्ति को दुनिया के सामने साबित किया. 

जुगाड़ सिस्टम: सादगी में ताकत

यह अनोखा उपकरण तीन INSAS राइफलों को एक घूमने वाले फ्रेम पर लगाकर बनाया गया था, जिसे एक सैनिक आसानी से चला सकता था. यह पोल पर टिका होता है. तेजी से कई दिशाओं में गोलीबारी कर सकता था. जब इसकी तस्वीरें 2024 में ऑनलाइन आईं, तो लोग इसे देखकर हंस पड़े. कुछ ने कहा कि यह तो गैरेज में टेप से जोड़ा हुआ लगता है. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर (7-10 मई 2025) में इसने सबको चुप कर दिया.

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ऑपरेशन सिंदूर में कमाल

कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LOC) के पास पाकिस्तान ने छोटे-छोटे ड्रोन, जैसे असिसगार्ड सॉन्गर भेजे. ये ड्रोन तेज और फुर्तीले थे, जिन्हें रोकना मुश्किल था. लेकिन भारतीय सेना ने इस जुगाड़ सिस्टम को आगे की चौकियों पर तैनात किया. एक सैनिक इस उपकरण को घुमाकर कई ड्रोनों पर एक साथ निशाना साध सकता था. तीन राइफलें मिलकर एक मिनट में 1800 गोलियां दाग सकती थीं, जो ड्रोनों को नष्ट करने करने में कारगर थीं.

क्यों खास था यह जुगाड़?

  • सस्ता और आसान: यह सिस्टम महंगे हथियारों की तरह नहीं था. यह सामान्य राइफल गोलियों का इस्तेमाल करता था, जिससे लंबे समय तक लड़ाई में इसका उपयोग आसान था.
  • तेज और लचीला: घूमने वाला फ्रेम तेजी से दिशा बदल सकता था, जो छोटे और फुर्तीले ड्रोनों को पकड़ने के लिए जरूरी था.
  • कम लागत, बड़ा असर: महंगे एंटी-ड्रोन सिस्टम की तुलना में यह सस्ता था, फिर भी इसने दर्जनों पाकिस्तानी ड्रोनों को नष्ट किया.

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ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन चुनौती

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने सैकड़ों ड्रोनों का इस्तेमाल किया. भारतीय सेना ने 349 में से 307 ड्रोनों को पकड़ा और नष्ट किया. इस जुगाड़ सिस्टम ने छोटे ड्रोनों को रोकने में बड़ी भूमिका निभाई. भारत के आकाश, एस-400 और बराक-8 जैसे उन्नत हवाई रक्षा सिस्टम ने भी पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोनों को नाकाम किया.

जुगाड़ की जीत

जब इस सिस्टम की तस्वीरें पहली बार सामने आईं, तो सोशल मीडिया पर लोग इसे "हास्यास्पद" और "पुराना" कह रहे थे. लेकिन इसने दिखा दिया कि जरूरत पड़ने पर सादगी भी ताकत बन सकती है. यह सिस्टम न सिर्फ सस्ता था, बल्कि युद्ध में भी कारगर साबित हुआ.

भारत की तकनीकी ताकत

इस जुगाड़ के साथ-साथ भारत ने अपने डी4 (ड्रोन डिटेक्ट, डेटर, डिस्ट्रॉय) सिस्टम का भी इस्तेमाल किया, जिसे डीआरडीओ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने बनाया. इसने भी पाकिस्तानी ड्रोनों को रोकने में बड़ी भूमिका निभाई और दुनिया भर में इसकी तारीफ हुई. कई देश अब भारत के इस सिस्टम को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं.

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