India-Pakistan Weapons: पाकिस्तान की 8 फुलझड़ियां बनाम भारत के 5 बाहुबली हथियार

भारत के बाहुबली हथियारों के सामने पाकिस्तान के फुलझड़ियां फुस्स हो रही है. भारतीय प्रणालियों की लंबी रेंज, मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग और स्वदेशी तकनीक ने 8 मई 2025 को पाकिस्तानी हमले को नाकाम कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य ताकत और आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित किया, जबकि पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक नुकसान हुआ.

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रूस द्वारा निर्मित S-400 , इसे भारत में 'सुदर्शन चक्र' कहा जाता है रूस द्वारा निर्मित S-400 , इसे भारत में 'सुदर्शन चक्र' कहा जाता है

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 09 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST

8 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया. यह घटना ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा 7 मई को पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद हुई, जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था.

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भारतीय रक्षा प्रणालियों जैसे एकीकृत काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) ग्रिड, S-400 सुदर्शन, बराक-8, आकाश और DRDO की एंटी-ड्रोन तकनीकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. दूसरी ओर, पाकिस्तान ने JF-17, J-10, F-16 जेट्स, PL-15 AAM, AMRAAM, HATF, HQ-9 और DJI सैन्य ड्रोन का उपयोग किया. 

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भारतीय वायु रक्षा प्रणालियां

1. एकीकृत काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) ग्रिड

एकीकृत काउंटर-UAS ग्रिड एक उन्नत रक्षा नेटवर्क है, जो अनधिकृत ड्रोन और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने और निष्प्रभावी करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह 1,800 किमी हवाई क्षेत्र में सक्रिय है.

विशेषताएं

  • तकनीक: रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर, ऑप्टिकल कैमरे और ध्वनिक डिटेक्टर.
  • प्रतिक्रिया: सिग्नल जैमिंग, GPS स्पूफिंग और काइनेटिक इंटरसेप्टर.
  • क्षमता: कई खतरों को एक साथ ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम.
  • योगदान: 8 मई को, इस ग्रिड ने श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट और भुज सहित 15 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने वाले पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट किया.

2. S-400 (सुदर्शन चक्र)

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रूस द्वारा निर्मित S-400 , जिसे भारत में “सुदर्शन चक्र” कहा जाता है, विश्व की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणालियों में से एक है. भारत ने 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर के सौदे में पांच स्क्वाड्रन खरीदे.

विशेषताएं

  • रेंज: 400 किमी (इंटरसेप्शन), 600 किमी (ट्रैकिंग).
  • लक्ष्य: फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें.
  • क्षमता: 300 लक्ष्यों को ट्रैक करने और 36 को एक साथ नष्ट करने की क्षमता.
  • मिसाइलें: 40N6E (400 किमी), 48N6DM (250 किमी), 9M96E2 (120 किमी), 9M96E (40 किमी).
  • योगदान: 7-8 मई की रात को, S-400 ने पठानकोट और राजस्थान में तैनात होकर पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट किया. इसने लाहौर में पाकिस्तान की HQ-9 प्रणाली को भी निष्प्रभावी किया.

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3. बराक-8 (MRSAM)

भारत और इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित बराक-8 मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जो सेना, नौसेना, और वायुसेना में तैनात है.

विशेषताएं

  • रेंज: 70-100 किमी
  • लक्ष्य: फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें, हेलीकॉप्टर.
  • मार्गदर्शन: एक्टिव रडार होमिंग, मल्टी-फंक्शन रडार.
  • क्षमता: नेटवर्क-केंद्रित युद्ध प्रणाली, कई लक्ष्यों को एक साथ नष्ट करने में सक्षम.
  • योगदान: बराक-8 ने पंजाब और जम्मू-कश्मीर में उच्च गति वाले लक्ष्यों, जैसे क्रूज मिसाइलों को नष्ट किया.

4. आकाश सतह-से-हवा मिसाइल

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DRDO द्वारा विकसित आकाश एक स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जो भारत की निचले स्तर की रक्षा का आधार है.

विशेषताएं

  • रेंज: 45-70 किमी (आकाश-NG).
  • लक्ष्य: फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें.
  • क्षमता: 60 किग्रा वॉरहेड, 100% इंटरसेप्शन दर, इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स (ECCM)
  • तैनाती: मोबाइल प्लेटफॉर्म, जैसे टैंक और ट्रक.
  • योगदान: आकाश ने 7 मई को एक JF-17 जेट और 8 मई को ड्रोन स्वार्म्स को नष्ट किया. इसका निर्यात आर्मेनिया को किया गया है.

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5. DRDO की एंटी-ड्रोन तकनीकें

DRDO ने ड्रोन खतरों से निपटने के लिए कई उन्नत तकनीकों को विकसित किया है, जिनमें D4 काउंटर-ड्रोन सिस्टम और मैन पोर्टेबल काउंटर ड्रोन सिस्टम (MPCDS) शामिल हैं.

D4 सिस्टम

  • विशेषताएं: रीयल-टाइम खोज, ट्रैकिंग और निष्प्रभावीकरण (सॉफ्ट/हार्ड किल)
  • क्षमता: ऑप्टिकल/थर्मल डिटेक्शन, RF स्पेक्ट्रम डिस्प्ले
  • तैनाती: 2024 में ऑपरेशनल, माइक्रो/छोटे UAVs के खिलाफ प्रभावी

MPCDS (मैन पोर्टेबल काउंटर ड्रोन सिस्टम)

  • विशेषताएं:  जैमिंग और ड्रोन अक्षम करने की क्षमता.
  • क्षमता: पोर्टेबल, हल्के ड्रोन के खिलाफ प्रभावी.
  • योगदान: इन प्रणालियों ने 8 मई को पाकिस्तानी DJI सैन्य ड्रोन को निष्प्रभावी किया.

6. SCALP और HAMMER मिसाइलें

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SCALP (स्टॉर्म शैडो): 250 किमी से अधिक रेंज वाली लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल, जो आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने में उपयोगी.

HAMMER: 70 किमी रेंज वाली स्टैंडऑफ स्मार्ट बम, जो बंकरों और इमारतों को निशाना बनाती है. 

योगदान: ऑपरेशन सिंदूर में इनका उपयोग लश्कर और जैश के प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के लिए किया गया.

पाकिस्तानी सैन्य हथियार जिनका उन्होंने इस्तेमाल किया

1. लड़ाकू जेट्स: JF-17, J-10, F-16

पाकिस्तान ने अपने हमलों में JF-17 थंडर, J-10C, और F-16 फाइटिंग फाल्कन जेट्स का उपयोग किया.

JF-17 थंडर: चीन-पाकिस्तान द्वारा विकसित, मल्टीरोल, 1.6 मैक गति, KLJ-7A AESA रडार. 

हथियार: PL-15 AAM, AMRAAM, 23 मिमी ऑटोकैनन.

कमज़ोरी: सीमित रेंज और पेलोड, S-400 और बराक-8 के सामने कम प्रभावी.

J-10C : चीनी मल्टीरोल जेट, 2 मैक गति, PL-15 और PL-10 AAM.

कमज़ोरी: भारतीय रडार और मिसाइलों के खिलाफ कम अनुभव.

F-16 : अमेरिकी मल्टीरोल जेट, 2 मैक गति, AIM-120C AMRAAM.

  • कमज़ोरी: पुरानी तकनीक, S-400 की 400 किमी रेंज के सामने असुरक्षित.
  • योगदान: इन जेट्स ने भारत के खिलाफ हवाई हमले की कोशिश की, लेकिन S-400 और आकाश ने एक JF-17 और एक F-16 को नष्ट किया.

2. मिसाइलें: PL-15 AAM, AMRAAM, HATF

PL-15 AAM: चीनी लंबी दूरी की हवा-से-हवा मिसाइल, 145 किमी रेंज, JF-17 और J-10C पर तैनात.

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AMRAAM (AIM-120C): अमेरिकी हवा-से-हवा मिसाइल, 105 किमी रेंज, F-16 पर तैनात.

HATF: हवा-से-ज़मीन मिसाइल, विभिन्न रेंज और पेलोड के साथ.

  • कमज़ोरी: भारतीय ECCM और जैमिंग तकनीकों ने इन मिसाइलों को निष्प्रभावी किया.
  • योगदान: इन मिसाइलों का उपयोग भारतीय ठिकानों पर हमले के लिए किया गया, लेकिन भारतीय रक्षा प्रणालियों ने इन्हें नष्ट कर दिया.

3. ज़मीन-से-हवा मिसाइल: HQ-9

विशेषताएं: चीनी लंबी दूरी की SAM, 100-200 किमी रेंज, मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग.

  • कमज़ोरी: S-400 की तुलना में कम रेंज और प्रभावशीलता, भारतीय हमलों में लाहौर में नष्ट.
  • योगदान: HQ-9 ने भारतीय ड्रोन और मिसाइलों को रोकने की कोशिश की, लेकिन विफल रही.

4. ड्रोन: DJI सैन्य संस्करण

विशेषताएं: चीनी DJI ड्रोन का सैन्य संस्करण, निगरानी और हल्के हमलों के लिए.

  • कमज़ोरी: भारतीय D4 और MPCDS ने इन्हें आसानी से निष्प्रभावी किया.
  • योगदान: इन ड्रोन का उपयोग भारतीय ठिकानों पर हमले और निगरानी के लिए किया गया, लेकिन भारतीय काउंटर-ड्रोन तकनीकों ने इन्हें नष्ट कर दिया.

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सामरिक महत्व

भारतीय श्रेष्ठता: S-400 और बराक-8 की लंबी रेंज और मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग ने पाकिस्तानी जेट्स और मिसाइलों को बेकार कर दिया. आकाश और D4 सिस्टम ने निम्न-ऊंचाई वाले ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट कर बहुस्तरीय रक्षा को मजबूत किया. SCALP और HAMMER ने आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया, जिससे पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई की क्षमता कमजोर हुई.

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पाकिस्तानी कमज़ोरियां: JF-17 और F-16 की सीमित रेंज और पुरानी तकनीक भारतीय S-400 और बराक-8 के सामने अप्रभावी थी. HQ-9 भारतीय ड्रोन और मिसाइलों को रोकने में विफल रही, और लाहौर में नष्ट हो गई.DJI  ड्रोन भारतीय काउंटर-ड्रोन तकनीकों के सामने असहाय थे. 

क्षेत्रीय प्रभाव: भारत की रक्षा प्रणालियों ने दक्षिण एशिया में उसकी सैन्य श्रेष्ठता को रेखांकित किया, जबकि पाकिस्तान की चीनी तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठे. इस घटना ने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को कमजोर किया और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को मजबूत किया.

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