क्या होते हैं मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक जिसकी दिल्ली ब्लास्ट में चर्चा हो रही... कैसे आए आतंकियों के पास?

मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक जैसे TNT, RDX, HMX, PETN और C-4 तेजी से फटते हैं. इनकी फटने की गति 8-9 किमी/सेकंड होती है. ये बम, मिसाइलों और तोड़फोड़ में इस्तेमाल होते हैं. इनके शॉक वेव से इमारतें ढह जाती है. चपेट में आने वाले लोग मारे जाते हैं. 2024 में आतंकी घटनाओं में 31% इस्तेमाल मिलिट्री-ग्रैड विस्फोटकों का हुआ था.

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ठीक इस तस्वीर की तरह दिल्ली ब्लास्ट में कारे उड़ी होंगी. (Photo: Representational/Getty) ठीक इस तस्वीर की तरह दिल्ली ब्लास्ट में कारे उड़ी होंगी. (Photo: Representational/Getty)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:51 PM IST

दुनिया भर में आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है. मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक इसका एक बड़ा हथियार बन चुके हैं. ये विस्फोटक सेना के लिए बने होते हैं, लेकिन काला बाजार में बिककर आतंकियों के हाथ लग जाते हैं. हाल के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में वैश्विक आतंकी घटनाओं में विस्फोटकों का इस्तेमाल 31% तक पहुंच गया, जिसमें मिलिट्री-ग्रेड प्लास्टिक विस्फोटक जैसे C-4 और सेम्टेक्स प्रमुख हैं.

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ग्लोबल टेररिज्म ट्रेंड्स एंड एनालिसिस सेंटर (GTTAC) के अनुसार, 2024 में 8,612 आतंकी घटनाओं में 18,987 मौतें हुईं, जिनमें विस्फोटक जिम्मेदार थे. आइए, समझतें हैं कि ये विस्फोटक क्या हैं. इनकी विशेषताएं. उपयोग, विस्फोट क्षमता (यील्ड) और प्रभाव. साथ ही आतंकियों द्वारा इनके दुरुपयोग के उदाहरण.

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दिल्ली में लाल किले के पास हुआ धमाके के बाद कई गाड़ियों की हालत ऐसी थी. (File Photo: PTI)

मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक क्या हैं?

मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक वे केमिकल हैं जो तेजी से ऊर्जा छोड़ते हैं, जिससे धमाका होता है. ये 'हाई एक्सप्लोसिव' कहलाते हैं, जो 1,000 मीटर/सेकंड से ज्यादा गति से फटते हैं. सेना इन्हें बम, तोपों, मिसाइलों और तोड़फोड़ के लिए इस्तेमाल करती है.

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सामान्य विस्फोटकों (जैसे पटाखे) से अलग लेकिन शक्तिशाली होते हैं. ये कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बने होते हैं, जो फटने पर गैसें (जैसे CO2, N2) पैदा करते हैं. 

प्रमुख मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक 

यहां कुछ आम विस्फोटकों की जानकारी दी गई है. यील्ड को TNT (ट्राइनाइट्रोटोल्यूईन) के बराबर मापा जाता है, जहां TNT को 1 माना जाता है. डेटोनेशन वेलोसिटी (फटने की गति) जितनी ज्यादा, प्रभाव उतना विनाशकारी.

TNT (ट्राइनाइट्रोटोल्यूईन)  

  • रासायनिक संरचना: C₆H₂(NO₂)₃CH₃ (पीला क्रिस्टल पाउडर).  
  • विशेषताएं: स्थिर, पानी में घुलता नहीं; डेटोनेशन वेलोसिटी 6.9 किमी/सेकंड.  
  • उपयोग: प्रथम विश्व युद्ध से तोपखाने के गोले, बम और तोड़फोड़ में इस्तेमाल.   
  • यील्ड: 1 (मानक, 4.6 MJ/kg ऊर्जा).  
  • प्रभाव: जोरदार धमाका, टुकड़ों का बिखराव (फ्रैगमेंटेशन), हवा में दबाव तरंगें; 1 किलो TNT से 1.5 मीटर गहरा गड्ढा. स्वास्थ्य प्रभाव: फेफड़ों और आंखों को नुकसान.

RDX (साइक्लोट्राइमिथाइलीनट्रामाइन या हेक्सोजन)  

  • रासायनिक संरचना: C₃H₆N₆O₆ (सफेद क्रिस्टल).  
  • विशेषताएं: कम संवेदनशील, डेटोनेशन वेलोसिटी 8.75 किमी/सेकंड.  
  • उपयोग: द्वितीय विश्व युद्ध से टॉरपीडो, बम और C-4 में मुख्य घटक.  
  • यील्ड: 1.6 TNT के बराबर (उच्च ऊर्जा).  
  • प्रभाव: तेज झटका (शॉक वेव), धातु काटना; 1 किलो से 50 मीटर दूर तक क्षति. पर्यावरण: पानी में घुलकर मछलियों को मारता है.

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HMX (साइक्लोटेट्रामिथाइलीनट्रामाइन या ऑक्टोजन) 

  • रासायनिक संरचना: C₄H₈N₈O₈ (RDX से मिलता-जुलता, लेकिन मजबूत).  
  • विशेषताएं: उच्च गलनांक, डेटोनेशन वेलोसिटी 9.1 किमी/सेकंड.  
  • उपयोग: आधुनिक मिसाइल हेड्स, युद्धक वाहनों में TNT के साथ मिश्रण (ऑक्टॉल).  
  • यील्ड: 1.7 TNT के बराबर।  
  • प्रभाव: पानी के नीचे मजबूत झटका, बुलबुले ऊर्जा; उच्च गति जेट से कवच भेदना. हड्डियों में फ्रैक्चर, आंतरिक रक्तस्राव.

PETN (पेंटाएरिथ्रिटॉल टेट्रानाइट्रेट)  

  • रासायनिक संरचना: C₅H₈N₄O₁₂ (सफेद पाउडर).  
  • विशेषताएं: प्रभाव-संवेदनशील, डेटोनेशन वेलोसिटी 8.3 किमी/सेकंड.  
  • उपयोग: डेटोनेटर (ट्रिगर), सेम्टेक्स में; हथगोले और ब्लास्टिंग कैप्स.  
  • यील्ड: 1.66 TNT के बराबर.  
  • प्रभाव: चूर-चूर करने वाली क्षमता (हाई ब्रिसेंस); 5 मीटर में घातक. खतका: रगड़ से फट सकता है.

C-4 (कंपोजिशन C-4)  

  • रासायनिक संरचना: 91% RDX + प्लास्टिसाइजर (रबर जैसा).  
  • विशेषताएं: लचीला, जलरोधक; डेटोनेशन वेलोसिटी 8.0 किमी/सेकंड.  
  • उपयोग: तोड़फोड़, दीवार तोड़ना, आकारबद्ध आवेश (शेप्ड चार्ज).  
  • यील्ड: 1.34 TNT के बराबर.  
  • प्रभाव: सटीक कटिंग, कम अवशेष; धातु से आग लग सकती है. 1 किलो से 10 मीटर विस्फोट का इलाका साफ.

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आतंकवादी संगठनों द्वारा दुरुपयोग: उदाहरण, आंकड़े और प्रभाव

आतंकवादी संगठन इन विस्फोटकों को काला बाजार से हासिल करते हैं, खासकर पूर्व सोवियत या लिबिया के स्टॉक से. HSToday की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-2024 में 58,898 आतंकी घटनाओं में 21% में विस्फोटक शामिल थे, जिनमें मिलिट्री-ग्रेड प्लास्टिक विस्फोटक 10-15% मामलों में. 2024 में ही 31% घटनाओं में विस्फोटक, लेकिन मौतें कम (कुल 18,987 में विस्फोटक से 19%).

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उदाहरण और आंकड़े...

  • IRA (आयरिश रिपब्लिकन आर्मी): 1980-90 के दशक में सेम्टेक्स (PETN+RDX) से 500+ बम धमाके, ब्रिटेन में 1,800 मौतें. लिबिया से 1986 में 120 टन सेम्टेक्स मिला.  
  • अल-कायदा: 2001 'शू बॉम्बर' रिचर्ड रीड ने PETN इस्तेमाल किया (अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 63); 2009 अंडरवियर बॉम्बर ने 80 ग्राम PETN से विमान उड़ाने की कोशिश. 1993 WTC हमले में RDX-आधारित IED. कुल 50+ विमानन हमलों में PETN/C-4.  
  • ISIS: 2018-2024 में 177 ग्रेनेड (RDX/PETN) हमले, 356 मौतें; सीरिया में C-4 से IED.  
  • हिजबुल्लाह और हमास: 2023-24 में 953 रॉकेट हमले (HMX/RDX युक्त), 46 मौतें; 7 अक्टूबर 2023 हमले में 1,300+ मौतें.  
  • LTTE (तमिल टाइगर्स): ANFO (RDX जैसा) से 1990 के दशक में 200+ वाहन बम, श्रीलंका में 27,000 मौतें.  
  • ओक्लाहोमा सिटी बॉम्बिंग (1995): टिमोथी मैकवे ने 2 टन ANFO (सैन्य-ग्रेड जैसा) से 168 मौतें.

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ICCT रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 2009-2024 के 100+ मामलों में प्लास्टिक विस्फोटक (C-4, RDX) का प्लॉट. वैश्विक रूप से, 2024 में 503 UAV हमलों में विस्फोटक पेलोड (RDX/C-4). आतंकियों के लिए ये सस्ते (C-4: $100/किलो काले बाजार में) लेकिन घातक हैं, जो शहरों को तबाह कर देते हैं.

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आगे क्या? खतरे और रोकथाम

मिलिट्री-ग्रेड विस्फोटक आतंक का 'साइलेंट किलर' हैं, जो सटीक लेकिन विनाशकारी. विशेषज्ञ कहते हैं, अंतरराष्ट्रीय निगरानी और डिटेक्शन टेक्नोलॉजी (जैसे X-रे) से इन्हें रोका जा सकता है. लेकिन काला बाजार (लीबिया, पूर्व USSR) से रिसाव जारी है. भारत में NIA ने 2024 में 20+ C-4 प्लॉट रोके. 

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