किन्नौर में बादल फटा... ऋषि डोगरी घाटी में CPWD का कैंप बहा, बचाव कार्य के लिए सेना एक्टिव

हिमाचल के किन्नौर में बादल फटने से बाढ़ आई. होजिस लुंग्पा नाला में 4 लोग फंसे, एक घायल हुआ. सीपीडब्ल्यूडी कैंप बह गया. भारतीय सेना की ट्राइपिक्स ब्रिगेड ने ड्रोन से राहत पहुंचाई. घायल को रेकांग पियो हॉस्पिटल पहुंचाया.

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किन्नौर की  ऋषि डोगरी घाटी में बादल फटने की घटना के बाद फ्लैश फ्लड आया. (Videograb: X/SurayaCommand/PTI) किन्नौर की ऋषि डोगरी घाटी में बादल फटने की घटना के बाद फ्लैश फ्लड आया. (Videograb: X/SurayaCommand/PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:44 AM IST

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में देर रात एक भयानक बाढ़ ने तबाही मचा दी. यह बाढ़ होजिस लुंग्पा नाला (Hojis Lungpa Nala) में आई. जो ऋषि डोगरी घाटी (Rishi Dogri Valley) में बादल फटने से ट्रिगर हुआ. इस घटना में 4 लोग फंस गए, एक घायल हुआ. सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) का कैंप बह गया. लेकिन तुरंत राहत कार्य से इन लोगों की जान बचाई गई. 

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13 अगस्त 2025 की रात को ऋषि डोगरी घाटी में अचानक बादल फटने से भारी पानी बरसा. यह पानी होजिस लुंग्पा नाला में बहकर सतलज नदी (Sutlej River) तक पहुंचा. बाढ़ का रूप ले लिया. सड़क निर्माण के लिए CPWD का कैंप भी बह गया. यह इलाका ऊंचाई वाला और खतरनाक था, जहां रात का अंधेरा और तेज बहाव राहत कार्य को मुश्किल बना रहा था.

ट्राइपिक्स ब्रिगेड की बहादुरी

इस आपदा के बाद तुरंत #ट्राइपिक्सब्रिगेड (Tripeaks Brigade) की मानवीय सहायता और आपदा राहत टीम (Humanitarian Assistance & Disaster Relief team) ने काम शुरू किया. ये जवान अंधेरे, तेज बहते पानी और खतरनाक पहाड़ी इलाके को पार करके फंसे लोगों तक पहुंचे.  

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  • ड्रोन की मदद: लॉजिस्टिक्स ड्रोन हाई ऑल्टिट्यूड (LDHA) का इस्तेमाल किया गया. ये ड्रोन ऊंचाई पर उड़कर भोजन, पानी और जरूरी सामान फंसे लोगों तक पहुंचाया.
  • रात भर सहायता: ड्रोन की मदद से रात भर इन लोगों को खाना-पानी दिया गया, ताकि वे जिंदा रह सकें.
  • घायल की सुरक्षित निकासी: घायल व्यक्ति को जल्दी ही निकालकर रीजनल हॉस्पिटल, रेकांग पियो (Reckong Peo) पहुंचाया गया, जहां उसका इलाज शुरू हो चुका है.

राहत टीम की तैयारी और चुनौतियां

ट्राइपिक्स ब्रिगेड की टीम ने अंधेरे और खतरनाक हालात में भी हिम्मत नहीं हारी. ऊंचाई वाले इलाके में ड्रोन उड़ाना आसान नहीं था, लेकिन उनकी ट्रेनिंग ने इसे संभव बनाया. तेज बहाव और पत्थरों से भरे रास्तों के बावजूद वे फंसे लोगों तक पहुंचे. यह अभियान दिखाता है कि कैसे तकनीक और साहस मिलकर जान बचा सकते हैं.

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