चीन ने भारत सीमा के पास शार्प स्वॉर्ड स्टील्थ कॉम्बैट ड्रोन्स तैनात किए

भारत सीमा के पास चीन ने तिब्बत के शिगात्से एयर बेस पर GJ-11 शार्प स्वॉर्ड स्टील्थ ड्रोन तैनात किए हैं. सैटेलाइट तस्वीरें अगस्त-सितंबर में हुई टेस्टिंग दिखाती हैं. ये ड्रोन छिपकर हमला, जासूसी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कर सकते हैं. ये इनकी पहली ऑपरेशनल तैनाती थी. हिमालय में चीन अपनी हवाई ताकत मजबूत कर रहा है.

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ये है चीन शार्प स्वॉर्ड ड्रोन जिसे तिब्बत में तैनात किया गया है. (File Photo: AFP) ये है चीन शार्प स्वॉर्ड ड्रोन जिसे तिब्बत में तैनात किया गया है. (File Photo: AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST

सैटेलाइट तस्वीरों से साबित हो गया है कि चीन ने अपने सबसे एडवांस स्टेल्थ ड्रोन GJ-11 'शार्प स्वॉर्ड' को तिब्बत के शिगात्से एयर बेस पर तैनात कर दिया है. यह बेस भारत की सीमा के बिल्कुल पास है. अगस्त से सितंबर 2025 तक ये ड्रोन वहां टेस्टिंग के लिए रखे गए. यह इनका पहला ऑपरेशनल इस्तेमाल है.

TWZ के अनुसार ये ड्रोन छिपकर हमला कर सकते हैं. जासूसी कर सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध लड़ सकते हैं. इससे लगता है कि ये ड्रोन अब जंग के लिए लगभग तैयार हैं. यह चीन की हिमालय क्षेत्र में ऊंचाई वाली हवाई ताकत बढ़ाने का संकेत है, जहां J-20 फाइटर जेट और WZ-7 ड्रोन भी हैं.

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GJ-11 शार्प स्वॉर्ड ड्रोन क्या है? 

GJ-11 एक तरह का बिना पायलट वाला विमान है. यह 'फ्लाइंग विंग' डिजाइन का है – मतलब यह पंख जैसा सपाट दिखता है, जैसे चमगादड़. इससे यह रडार से बच जाता है यानी स्टील्थ होता है. चीन ने इसे 2013 में पहली बार दिखाया था, लेकिन अब यह असली जंग के लिए तैयार लग रहा है.

काम क्या करता है? 

  • स्टील्थ स्ट्राइक्स: छिपकर दुश्मन पर बम गिरा सकता है.
  • रिकॉन्सेन्स: दूर से जासूसी कर सकता है, तस्वीरें ले सकता है.
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: दुश्मन के रडार या संचार को जाम कर सकता है.
  • यह ड्रोन लंबी दूरी उड़ सकता है और ऊंचाई पर अच्छा काम करता है. चीन की कंपनी AVIC ने इसे बनाया है.

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कहां तैनात हुए? 

शिगात्से एयर बेस तिब्बत में है, जो हिमालय के पास है. यह भारत की सिक्किम सीमा से सिर्फ 200-300 km दूर है. सैटेलाइट तस्वीरें (प्लैनेट लैब्स की) दिखाती हैं कि अगस्त 2025 में तीन GJ-11 ड्रोन यहां पहुंचे. सितंबर तक वे रनवे पर खड़े रहे. 

यह पहली बार है जब इन्हें किसी ऑपरेशनल एयर बेस पर देखा गया. पहले ये सिर्फ फैक्ट्री या टेस्ट साइट पर थे. तिब्बत की ऊंचाई 4,000 मीटर से ज्यादा है, इसलिए यहां ड्रोन टेस्टिंग मुश्किल होती है. लेकिन चीन ने इसे सफलतापूर्वक किया.

कब और कैसे हुआ?  

  • जुलाई 2025: सैटेलाइट ने कुछ संकेत दिए कि ड्रोन शिगात्से जा रहे हैं.
  • अगस्त 2025: तीन ड्रोन बेस पर पहुंचे. टेस्टिंग शुरू.
  • सितंबर 2025: ड्रोन वहां रहे, लेकिन फिर हटा लिए गए.
  • अक्टूबर 2025: सैटेलाइट तस्वीरें सार्वजनिक हुईं, खबर फैली.

यह टेस्टिंग थी, लेकिन इससे साबित होता है कि ड्रोन अब नियर-कॉम्बैट रेडी हैं – यानी जंग के लिए लगभग तैयार.

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चीन हिमालय में ताकत क्यों बढ़ा रहा है?

हिमालय क्षेत्र में भारत-चीन के बीच तनाव है. 2020 के गलवान झड़प के बाद से दोनों देश सैन्य ताकत बढ़ा रहे हैं. चीन अब ऊंचाई वाली हवाई ताकत मजबूत कर रहा है...

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  • J-20 फाइटर जेट: स्टील्थ लड़ाकू विमान, जो तेजी से उड़ते हैं.
  • WZ-7 ड्रोन: लंबी दूरी की जासूसी के लिए, जिन्हें सोरिंग ड्रैगन कहते हैं. 
  • GJ-11: अब ये भी जुड़ गए, जो छिपकर हमला कर सकते हैं.

यह सब मिलकर चीन को हिमालय में हवाई बढ़त देता है. ऊंचाई पर इंजन कमजोर पड़ जाते हैं, लेकिन चीन के ड्रोन इसके लिए बने हैं.

भारत के लिए खतरा? 

भारत के लिए यह चिंता की बात है. शिगात्से से सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश नजदीक हैं. अगर ये ड्रोन जासूसी या हमला करें, तो भारतीय सेना को चुनौती मिलेगी. भारत के पास भी ड्रोन हैं, जैसे 'रुस्तम' और 'तपस', लेकिन स्टेल्थ वाले कम हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह चीन का संदेश है – हम तैयार हैं. लेकिन अभी कोई झड़प नहीं हुई. दोनों देश बातचीत से तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं.

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