भारत को मिले तीन अपाचे हेलिकॉप्टर, लेकिन 15 महीने की देरी क्यों चिंता बढ़ाने वाली?

अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टरों की पहली खेप का आना भारतीय सेना के लिए बड़ी उपलब्धि है. 15 महीने की देरी के बाद ये हेलिकॉप्टर ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में ताकत बढ़ाएंगे. लेकिन ये देरी हमें स्वदेशी हथियारों पर ध्यान देने की जरूरत भी बताती है. अपाचे की ताकत, खासकर हेलफायर मिसाइल्स और लॉन्गबो रडार पाकिस्तान के खिलाफ रेगिस्तानी इलाकों में गेम-चेंजर साबित होगी.

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हिंडन एयरपोर्ट पर उतारे गए अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर. (Photo: ADGPI) हिंडन एयरपोर्ट पर उतारे गए अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर. (Photo: ADGPI)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST

21 जुलाई 2025 को एक बड़ी खबर आई कि भारतीय सेना के अपाचे AH-64E हमलावर हेलिकॉप्टरों की पहली खेप आखिरकार भारत पहुंच गई है. ये तीन हेलिकॉप्टर अमेरिकी परिवहन विमान के जरिए हिंडन एयरबेस पर उतरे हैं. 

लगभग 5000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत भारत को छह अपाचे हेलिकॉप्टर मिलने थे, लेकिन आपूर्ति में देरी की वजह से 15 महीने का इंतजार करना पड़ा. अब ये हेलिकॉप्टर जोधपुर में तैनात होंगे, जहां ऑपरेशन सिंदूर के बाद पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान बॉर्डर) पर ताकत बढ़ाने की जरूरत है.

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क्या है ये अपाचे हेलिकॉप्टर?

अपाचे AH-64E दुनिया का सबसे उन्नत हमलावर हेलिकॉप्टर है, जिसे अमेरिका की कंपनी बोइंग बनाती है. इसे उड़ता हुआ टैंक भी कहते हैं, क्योंकि ये तेजी, ताकत और सटीक हमले की क्षमता का बेजोड़ मेल है. इसकी खासियतें हैं...

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  • ताकतवर हथियार: ये AGM-114 हेलफायर मिसाइल्स, हाइड्रा 70 रॉकेट्स और 30mm M230 चेन गन से लैस है, जो 625 राउंड प्रति मिनट फायर कर सकती है. ये टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को आसानी से नष्ट कर सकता है.
  • लॉन्गबो रडार: इसका फायर कंट्रोल रडार दुश्मन के ठिकानों को दूर से भांप लेता है, यहां तक कि रात में या खराब मौसम में भी.
  • ड्रोन कंट्रोल: ये ड्रोन को रिमोट से कंट्रोल कर सकता है, जैसे MQ-1C ग्रे ईगल, जिससे जासूसी और हमले आसान हो जाते हैं.
  • खास डिजाइन: इसमें उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और कॉम्पोजिट रोटर ब्लेड्स हैं, जो इसे रेगिस्तानी और ऊंचाई वाले इलाकों (जैसे राजस्थान या लद्दाख) के लिए बेहतरीन बनाते हैं.
  • सुरक्षा: इसका स्टील्थ डिजाइन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम इसे रडार और मिसाइलों से बचाता है.

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भारतीय सेना के लिए ये छह हेलिकॉप्टर 451 एविएशन स्क्वाड्रन के लिए हैं, जो मार्च 2024 में जोधपुर के नगतलाव में बनाया गया था. ये पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ टैंकों और बख्तरबंद ठिकानों को निशाना बनाने में अहम होंगे. 

क्यों हुई इतनी देरी?

भारत ने फरवरी 2020 में अमेरिका के साथ 600 मिलियन डॉलर का सौदा किया था, जिसमें छह अपाचे हेलिकॉप्टर मई-जून 2024 तक मिलने थे. लेकिन कई वजहों से ये डिलीवरी टलती रही...

आपूर्ति की दिक्कत: बोइंग ने ग्लोबल सप्लाई चेन में रुकावटों को वजह बताया. कोविड-19 के बाद और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हथियारों के पुर्जों की कमी हो गई.

तकनीकी खराबी: बोइंग को अपाचे के इलेक्ट्रिकल पावर जनरेटर में खराबी मिली, जिससे कॉकपिट में धुआं जमा होने का खतरा था. इसकी वजह से सभी डिलीवरी रोक दी गईं और टेस्टिंग बढ़ाई गई.

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अमेरिकी प्राथमिकता: भारत को US डिफेंस प्रायोरिटीज एंड एलोकेशन सिस्टम (DPAS) में कम रैंकिंग मिली थी, जिससे इंजन और गियरबॉक्स जैसे पुर्जों की आपूर्ति में देरी हुई. अप्रैल-मई 2024 में भारत-अमेरिका कूटनीति से ये समस्या हल हुई, लेकिन फिर भी देरी बनी रही.

पहली खेप मई-जून 2024 में आने वाली थी, फिर दिसंबर 2024 तक टल गई. अब जुलाई 2025 में तीन हेलिकॉप्टर पहुंचे हैं. बाकी तीन अक्टूबर-नवंबर 2025 तक आएंगे.

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हिंडन एयरबेस पर क्या हो रहा है?

21 जुलाई 2025 को तीन अपाचे हेलिकॉप्टर हिंडन एयरबेस पर पहुंचे. ये अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर III परिवहन विमान से आए. अब इन्हें...

  • असेंबल करना: हेलिकॉप्टरों को जोड़ा जाएगा, क्योंकि इन्हें परिवहन के लिए खोलकर लाया गया है. 
  • जांच: बोइंग, अमेरिकी अधिकारी और भारतीय सेना की टीमें मिलकर इनकी तकनीकी जांच करेंगी. 
  • उड़ान: जांच के बाद ये जोधपुर के नगतलाव बेस जाएंगे, जहां 451 एविएशन स्क्वाड्रन तैनात है.

पायलट और ग्राउंड स्टाफ पहले ही अमेरिका में ट्रेनिंग ले चुके हैं, इसलिए ये स्क्वाड्रन जल्द ही ऑपरेशनल हो सकता है. 

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ऑपरेशन सिंदूर और पश्चिमी सीमा की जरूरत

ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में हुआ, जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान की सीमा पर सैन्य कार्रवाई की. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना के 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों ने सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान के F-7 जेट्स और PL-15 मिसाइल्स की कमजोरी सामने आई.

पाकिस्तान के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) और इंटरनेशनल बॉर्डर पर तनाव बढ़ा हुआ है. अपाचे हेलिकॉप्टर खास तौर पर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में तैनात होंगे, जहां ये...

  • टैंकों को नष्ट करेंगे: हेलफायर मिसाइल्स टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को आसानी से खत्म कर सकती हैं.
  • जासूसी: लॉन्गबो रडार और ड्रोन कंट्रोल से दुश्मन की हरकतों पर नजर रखेंगे.
  • रात में हमला: नाइट-विजन सिस्टम से ये रात में भी सटीक हमले कर सकते हैं.

भारतीय वायुसेना के पास पहले से 22 अपाचे हैं, जो 2015 के 3.1 बिलियन डॉलर के सौदे से आए थे. ये पठानकोट और जोरहाट में तैनात हैं. सेना के अपाचे इनका पूरक होंगे. जमीनी सैनिकों को सीधा हवाई समर्थन देंगे.

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भारतीय सेना का एविएशन कॉर्प्स

आर्मी एविएशन कॉर्प्स भारतीय सेना का अहम हिस्सा है, जो जमीनी सैनिकों को हवाई सहायता देता है. इसके पास कई तरह के हेलिकॉप्टर और ड्रोन हैं...

  • ALH ध्रुव: स्वदेशी हेलिकॉप्टर, जो जासूसी, परिवहन और रेस्क्यू के लिए है. जनवरी 2025 में एक इंडियन कोस्ट गार्ड ALH क्रैश के बाद ये ग्राउंडेड थे, लेकिन अब ऑपरेशनल हैं.
  • रुद्र: ध्रुव का हथियारबंद वर्जन, जो टैंकों और दुश्मन ठिकानों पर हमला करता है.
  • LCH प्रचंड: ऊंचाई वाले इलाकों (जैसे लद्दाख) के लिए बनाया गया, जो हमले और जासूसी में माहिर है.
  • चेतक और चीता: हल्के हेलिकॉप्टर, जो रेस्क्यू और लॉजिस्टिक्स के लिए हैं.
  • Mi-17: सैनिकों और सामान को ढोने के लिए मध्यम-वजन हेलिकॉप्टर.
  • डोर्नियर 228: जासूसी और संचार के लिए हल्का विमान.
  • हीरॉन और सर्चर UAV: ड्रोन, जो निगरानी और जासूसी करते हैं.

अपाचे के आने से ये कॉर्प्स और ताकतवर होगा, खासकर ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में.

देरी का असर 

15 महीने की देरी ने कई सवाल खड़े किए...

  • तैयारी में कमी: 451 एविएशन स्क्वाड्रन तैयार था, लेकिन हेलिकॉप्टरों की कमी ने इसे निष्क्रिय रखा. इससे पश्चिमी सीमा पर तैनाती प्रभावित हुई.विदेशी
  • निर्भरता: कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि देरी भारत की विदेशी हथियारों पर निर्भरता को दिखाती है. आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी LCH प्रचंड को बढ़ावा देना चाहिए.
  • जियोपॉलिटिक्स: सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि बाइडेन सरकार ने भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थता की वजह से डिलीवरी रोकी. हालांकि, ट्रंप सरकार के आने के बाद डिलीवरी तेज हुई.

भारत-अमेरिका सहयोग

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1 जुलाई 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ से फोन पर बात की. इस दौरान अपाचे और तेजस Mk1A के लिए GE-F404 इंजन की डिलीवरी तेज करने की मांग की गई. ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिका के समर्थन की सराहना की गई. भारत ने आतंकी हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखा.

इस बातचीत के बाद डिलीवरी का रास्ता साफ हुआ. पहली खेप 21 जुलाई को पहुंची. भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए 10 साल का डिफेंस फ्रेमवर्क साइन करने की योजना है.

आगे क्या?

  • जांच और तैनाती: हिंडन में हेलिकॉप्टरों की असेंबली और टेस्टिंग के बाद ये जोधपुर जाएंगे. दूसरी खेप नवंबर 2025 तक आएगी.
  • ऑपरेशनल तैयारियां: 451 स्क्वाड्रन जल्द ही ऑपरेशनल होगा, जिससे पश्चिमी सीमा पर ताकत बढ़ेगी.
  • स्वदेशी विकल्प: भारत LCH प्रचंड और ALH ध्रुव जैसे स्वदेशी हेलिकॉप्टरों पर भी जोर दे रहा है. 2024 में 25 ALH ध्रुव और 9 कोस्ट गार्ड के लिए ऑर्डर किए गए.
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