कौन है सुभाष ठाकुर, क्यों उसे कहा जाता है दाऊद इब्राहिम का मेंटर? शागिर्दी से दुश्मनी तक पूरी कहानी

कुख्यात गैंगस्टर सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा कोई आम अपराधी नहीं है. उसके नाम का आतंक यूपी से मुंबई तक रहा करता था. जेल में बंद होने के बावजूद आज भी उसका जलवा कायम है. आखिर कौन है ये सुभाष ठाकुर? पढ़ें पूरी कहानी.

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सुभाष ठाकुर की कहानी सुभाष ठाकुर की कहानी

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

महाराष्ट्र के ठाणे की एक अदालत ने कुख्यात गैंगस्टर सुभाष सिंह ठाकुर को पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. उसे साल 2022 के एक मर्डर केस में गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने उसे 22 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया है. पुलिस का कहना है कि आरोपी से हत्या की साजिश और उसके नेटवर्क को लेकर पूछताछ होगी. यह मामला महाराष्ट्र में संगठित अपराध से जुड़ा है. ऐसे में कई लोग जानना चाहते हैं कि आखिर ये सुभाष ठाकुर है कौन? अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े डॉन दाऊद इब्राहिम से उसका क्या नाता है?  

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अंडरवर्ल्ड के लिए बड़ा झटका
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सुभाष ठाकुर को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का मेंटर माना जाता है. उसकी गिरफ्तारी को अंडरवर्ल्ड नेटवर्क के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है. ठाकुर को उत्तर प्रदेश की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल से हिरासत में लिया गया है. सोमवार को उसे ट्रांजिट रिमांड पर महाराष्ट्र लाया गया. इसके बाद सुरक्षा एजेंसियां भी पूरी तरह सतर्क हो गई हैं. उसे कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है.

फतेहगढ़ से विरार तक कड़ी सुरक्षा
MBVV पुलिस ने कुख्यात सुभाष ठाकुर को फतेहगढ़ सेंट्रल जेल से हिरासत में लिया था. सोमवार रात उसे मुंबई के विरार लाया गया. पूरी कार्रवाई के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखी गई. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सुभाष ठाकुर से केस से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब लेने हैं. उसके पुराने नेटवर्क और संपर्कों की भी जांच की जा रही है.

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पूर्वांचल का सबसे बड़ा माफिया डॉन
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा को सबसे बड़ा माफिया डॉन माना जाता है. चाहे सियासत हो या ठेकेदारी, हर जगह उसका दबदबा रहा है. बाबा के खिलाफ दर्जनों संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. कई मामलों में उसे दोषी करार दिया जा चुका है. फिलहाल, वह बनारस की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है.

राजनीति में भी गहरी पैठ
बताया जाता है कि यूपी में होने वाले चुनावों में बाबा का खासा दखल रहता था. खासकर पूर्वांचल की कई सीटों पर उसका सीधा प्रभाव माना जाता है. सूत्रों के मुताबिक, कई नेता जीत का आशीर्वाद लेने उसके पास पहुंचते थे. जेल में रहते हुए भी उसका रसूख पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. लंबी दाढ़ी और बदले हुलिए की वजह से ही वह बाबा कहलाने लगा है.

मुंबई से शुरू हुआ जुर्म का सफर
नए काम की तलाश में सुभाष ठाकुर पहली बार मुंबई पहुंचा था. मायानगरी में कदम रखते ही वह अपराध की दुनिया के करीब आ गया. धीरे-धीरे उसने जुर्म की राह पकड़ ली और पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक वारदातों से उसका नाम तेजी से फैलने लगा. मुंबई में बिल्डरों और कारोबारियों पर उसका शिकंजा कसने लगा. वो रंगदारी मांगने और अवैध वसूली करने के काम में लग गया था.

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यूपी से मुंबई तक फैला साम्राज्य
एक वक्त ऐसा आया जब सुभाष ठाकुर का नेटवर्क यूपी से लेकर मुंबई तक फैल गया था. उसके नाम की दहशत अंडरवर्ल्ड में गूंजने लगी थी. मुंबई के अंडरवर्ल्ड में उसका नाम मजबूती से स्थापित हो चुका था. इसी दौर में वह कई बड़े गैंग्स के संपर्क में आया. यही समय था जब उसने इतिहास बदल देने वाला एक शिष्य बनाया.

दाऊद इब्राहिम की एंट्री
ये मायानगरी का वही दौर था, जब मुंबई पुलिस के एक कांस्टेबल का बेटा दाऊद इब्राहिम कासकर जुर्म की दुनिया में उतरा. दाऊद को भी एक गुरु की जरूरत थी. इसी तलाश में वह सुभाष ठाकुर के पास जा पहुंचा. सुभाष ने उसे अपना शिष्य बना लिया और अंडरवर्ल्ड के गुर सिखाए.

शागिर्द से डॉन बनने की कहानी
सुभाष ठाकुर की शागिर्दी में दाऊद ने जुर्म के सबक सीखे. वहीं से उसने अपराध की बारीकियां समझीं. धीरे-धीरे वह एक कुख्यात गैंगस्टर बनता गया. बाद में वही दाऊद मुंबई का सबसे बड़ा माफिया डॉन बन गया. अंडरवर्ल्ड में यह बात जगजाहिर थी कि दाऊद का गुरु सुभाष ठाकुर ही था.

1992 ब्लास्ट और रिश्ते में दरार
सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 1992 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद हालात बदल गए. इन्हीं घटनाओं के बाद सुभाष ठाकुर और दाऊद इब्राहिम के रास्ते अलग हो गए. दोनों के बीच हमेशा के लिए दुश्मनी हो गई. यही मोड़ उनकी कहानी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.

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छोटा राजन से हाथ मिलाया
दाऊद से अलग होने के बाद सुभाष ठाकुर ने उसके दुश्मन छोटा राजन से हाथ मिला लिया. उसे अपने ही शिष्य दाऊद से जान का खतरा महसूस होने लगा था. यही वजह थी कि 2017 में उसने बनारस कोर्ट में याचिका दायर की. इसमें उसने बुलेटप्रूफ जैकेट और सुरक्षा की मांग की थी.

पूर्वांचल के बाहुबलियों का संरक्षक
पूर्वांचल में सुभाष ठाकुर ने कई बाहुबलियों को सहारा दिया. कुख्यात बृजेश सिंह को सियासत में जमाने में उसका बड़ा हाथ माना जाता है. मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे नाम भी उससे दुश्मनी मोल लेने से बचते थे. मुन्ना बजरंगी को भी उसका करीबी माना जाता था.

1992 का खूनी बदला
जब सुभाष ठाकुर, दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन का दबदबा था, तब उनकी दुश्मनी अरुण गवली गैंग से हो गई. 26 जुलाई 1992 को नागपाड़ा की अरब गली में दाऊद के बहनोई इस्माइल पारकर की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में पहली बार AK-47 और 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल हुआ था. बदले में 12 सितंबर 1992 को जेजे अस्पताल में गवली के शूटर शैलेश की हत्या कर दी गई. इसी के साथ सुभाष ठाकुर का नाम जुर्म की दुनिया में और कुख्यात हो गया था.

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