वीजा बंदी, भारत में अवैध एंट्री और दर्दनाक मौत... ऐसे रेत में दफन हो गई दो पाकिस्तानी नागरिकों की मोहब्बत

पाकिस्तान के रवि और शांति ने सरहद पार मोहब्बत की एक मिसाल कायम करने की कोशिश की, लेकिन वीजा न मिलने पर दोनों गैरकानूनी तरीके से भारत पहुंचे. तपते रेगिस्तान में पानी की बूंद-बूंद को तरसते हुए दोनों की मौत हो गई. यह कहानी मोहब्बत के नाम पर खड़े उन रिश्तों को आईना दिखाती है, जो खून से सने हैं.

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रवि और शांति ने भारत के रेगिस्तान में प्यास से दम तोड़ दिया रवि और शांति ने भारत के रेगिस्तान में प्यास से दम तोड़ दिया

aajtak.in

  • जैसलमेर,
  • 03 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

Pakistani Couple Dies in Rajasthan Desert: सरहद पार से दिल दहला देने वाली एक कहानी सामने आई है. चार महीने पहले दो पाकिस्तानी नागरिक रवि और शांति शादी के बंधन में बंधे थे. शादी के बाद के शांति ने रवि से भारत चलने के लिए कहा, ताकि वो वहां रहने वाले उसके रिश्तेदारों से मिल सके. रवि शांति को भारत ले जाने का वादा कर लेता है. मगर इसी बीच पहलगाम में आतंकी हमला होता है और पाकिस्तानियों को वीजा देने पर रोक लगा दी जाती है. मगर रवि ने शांति से वादा किया था, तो उसे जाना ही था. लिहाजा, रवि सरहद पर तार के नीचे से निकलता है और रेगिस्तानी रास्ते से जैसलमेर के लिए निकलता है.

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नफरत की बुनियाद पर खींची सरहद की लकीर को दो परवाने मोहब्बत से पार करने के लिए घर से निकले थे. सफर लंबा भी था और अनजान भी. ऊपर से रास्ता भूल भुलैया वाला. चारों तरफ दूर दूर तक सिर्फ रेत, रेत के दिखते छुपते टीले. रेगिस्तान की तपिश ऐसी कि आग उगलते सूरज के नीचे बिना चूल्हा जलाए खाना बन जाए. तपते जून के महीने में आग के इसी रेतीले दरिया को पार करने के लिए दो सिरफिरे पाकिस्तान से भारत के सफर पर निकल पड़े थे. 

मोहब्बत के इन दीवानों को ये पता ही नहीं था कि इंसान की बनाई इस सरहद को लांघने के लिए इंसान के ही बनाए कुछ जरूरी कागजों की जरूरत होती है, जिसे हम और आप वीजा कहते हैं. नतीजा ये कि मंजिल पर पहुंचने से पहले ही प्यास ने मोहब्बत का गला घोंट दिया. पाकिस्तान से भारत के सफर पर निकलने से पहले 18 साल के रवि कुमार और 15 साल की शांति बाई ठीक ठाक थे. रेगिस्तान में प्यासे तड़प तड़प कर जब दोनों ने दम तोड़ा तो दोनों कुछ अलग ही दिख रहे थे.

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ये कहानी है सिर्फ चार महीने पहले नए नए दूल्हा दुल्हन बने दो पाकिस्तानी नागरिकों रवि और शांति की. कहानी अफसोसनाक है लेकिन कहीं ना कहीं इनकी मोहब्बत भरी दास्तान हाल के वक्त की कुछ दास्तानों के बावजूद मोहब्बत पर और ज्यादा यकीन पैदा कर जाती है. हाल के वक्त कुछ ऐसे चेहरे हैं जो अचानक देश के अलग अलग शहरों से उभर कर हम सबके सामने आए थे. ये तमाम चेहरे किसी ना किसी पति या पत्नी की है. वो पति-पत्नी जिन्होंने अपने हाथों अपने पति या अपनी पत्नी का कत्ल किया. कमाल ये है कि ये सभी कत्ल मोहब्बत के नाम पर किए गए. अब इन्हें कौन समझाए कि मोहब्बत को तो नफरत से भी मोहब्बत है. बेचारी मोहब्बत भी सोचती होगी कि ऐसे पति पत्नियों की वजह से ख्वामाखां उसे यानि खुद मोहब्बत को बदनाम किया जा रहा है. रवि और शांति की कहानी ऐसे तमाम पति-पत्नियों के लिए एक सबक है.

बात 28 जून की है. जैसलमेर के करीब भारत पाकिस्तान सरहद के करीब 12 किलोमीटर अंदर रेगिस्तान से एक चरवाहा गुजर रहा था. अचानक उसकी नजर साधेवाला गांव के करीब 2 लाशों पर पड़ती है. एक लाश लड़के की थी और दूसरी लड़की की. दोनों लाशों को देखकर साफ पता चल रहा था कि इनकी मौत की दिन पहले हो चुकी है. जिस्म काला पड़ चुका था. दोनों के चेहरे पर पानी का खाली जरिकन रखा हुआ था. एक जरिकन में करीब 5 लीटर पानी आता है. जिस जगह पर इन दोनों की लाश मिली वहां इन दिनों तापमान 50 डिग्री से भी ऊपर है. ऊपर से गर्म रेत. चरवाहे ने फौरन लाश की खबर भारत पाक बॉर्डर पर मौजूद तनोट पुलिस स्टेशन को दी.

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लाश के पास से पुलिस ने मोबाइल फोन और दो आईडी कार्ड भी बरामद किए. फोन सैमसंग का था और सिम पाकिस्तान का. दोनों आईडी भी पाकिस्तान के ही थे. इस आईडी से ये पता चला कि दोनों लाशे पाकिस्तानी नागरिकों की हैं. आईडी कार्ड पर दोनों के नाम भी लिखे थे. पर इसके अलावा लाश के आसपास से और कोई भी चीज बरामद नहीं हुई.

चूंकि मामला बॉर्डर के करीब का था इसीलिए जैसलमेर पुलिस ने BSF यानि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स को दोनों लाशों की जानकारी दी. लाश को मुर्दाघर भेजने के बाद पुलिस अब इन दोनों के बारे में जांच शुरु करती है. इस दौरान पता चलता है कि इन दोनों की मौत पानी ना मिलने यानि प्यास की वजह से हुई. तेज गर्मी और तपते रेगिस्तान में पाकिस्तान से भारत की सरहद में दोनों करीब 35 किलोमीटर पैदल चले थे. रेगिस्तान में रास्ता भटकने की वजह से शायद वक्त ज्यादा लग गया और मंजिल दूर रह गई. जितना पानी वो लेकर चले थे उसकी हर बूंद खत्म हो चुकी थी. शायद इसी वजह से दोनों प्यासे मर गए.

चूंकि मामला गैर कानूनी तरीके से बॉर्डर क्रॉस करने का था लिहाजा पुलिस अपनी जांच शुरु करती है. इस जांच के दौरान जो कहानी सामने आती है, वो कलेजा चीर देने वाली है. रवि और शांति भारत पाकिस्तान सरहद के करीब पाकिस्तान के सिंध में घोटकी जिला के रहने वाले थे. इन दोनों की इसी साल फरवरी में दोनों परिवारों की मर्जी से शादी हुई थी. रवि और शांति दोनों के ही कुछ रिश्तेदार राजस्थान के भील इलाके में रहते हैं. शादी के बाद शांति ने अपने पति रवि से उसे भारत ले जाने की ख्वाहिश जताई थी. वो एक बार जैसलमेर अपने रिश्तेदारों के पास जाना चाहती थी. रवि ने शांति से वादा किया कि वो उसकी ये ख्वाहिश जरूर पूरी करेगा. शादी के फौरन बाद उसने वीजा के लिए अप्लाई भी कर दिया था.

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पर बदकिस्मती देखिए कि इसी बीच पहलगाम में टूरिस्टों पर आतंकवादी हमला हो जाता है. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले बोलता है. और इसी के साथ भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानियों को देश छोड़ने का हुक्म देने के साथ साथ पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा दने पर भी रोक लगाने का फरमान जारी कर देता है. रवि और शांति का दिल टूट जाता है. चूंकि रवि ने शांति से वादा किया था इसीलिए वो वीजा पर लगी रोक हटने का इंतजार करने की बजाय तार के नीचे से शांति को भारत ले जाने का फैसला करता है. हालांकि रवि जब ये बात अपने पिता को बताता है तो पिता से उसका झगड़ा हो जाता है. वो उसे समझाते हैं कि गैर कानूनी तरीके से भारत मत जाओ. लेकिन रवि नहीं मानता.

21 जून को रवि अपनी बीवी शांति के साथ पाकिस्तान अपने घर से मोटरसाइकिल पर एक बैग में कुछ कपड़े लिए निकल पड़ता है. रवि के गांव से करीब 30 किलोमीटर दूर नूरपुरी पड़ता है. नूरपुरी में नूर फकीर के नाम से एक दरगाह है. दोनों सबसे पहले इस दरगाह पर पहुंचते हैं. दरगाह में हाजिरी लगाने के बाद वो वहां से मोटरसाइकिल पर रवाना हो जाते हैं. इन्हें पता था कि इन्हें चोरी छुपे बॉर्डर क्रॉस करना है. लिहाजा, दोनों ने बॉर्डर क्रॉस करने के लिए रेगिस्तान का रास्ता चुना. पर रेत पर बाइक नहीं चलती इसीलिए रेगिस्तानी इलाके में पहुंचते ही रवि ने अपनी बाइक और कपड़ों से भरा बैग वहीं छोड़ दिया. दोनों को पता था जून का महीना है, सूरज सिर और तपते रेत पांव के नीचे होंगे. लिहाजा रवि और शांति ने पांच पांच लीटर पानी के दो जरिकन खरीदे और पैदल ही रेगिस्तान में उतर पड़े.

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रेत के रुख को जानने वाले ये जानते हैं कि रेगिस्तान पल में अपना नक्शा बदल लेता है. जिस नक्शे के सहारे रवि और शांति रेगिस्तानी सफर पर निकले थे वो नक्शा काम ना आया. दोनों रास्ता भटक गए. पर तब तक पैदल चलते चलते दोनों भारतीय सरहद के करीब 12 किलोमीटर अंदर आ चुके थे. दूर दूर तक ना कोई बस्ती, ना इंसान, ना पानी का नामो निशान. अंजाम ये कि मंजिल पर पहुंचने से पहले ही दोनों प्यासे मर गए. उनकी आखिरी तस्वीर को देखकर साफ पता चलता है कि आखिरी वक्त तक शायद दोनों इस जरिकन के जरिए पानी की एक-एक बूंद के लिए तड़प रहे होंगे.

जैसलमेर पुलिस और बीएसएफ ने रवि और शांति की पूरी छानबीन की. उनके मोबाइल और सिम का सच भी टटोला. रवि और शांति के भील डिस्ट्रिक्ट में रहने वाले रिश्तेदारों से भी बात की. रिश्तेदारों ने पाकिस्तान में रवि के पिता से भी बात की और उन्हें सारी सच्चाई बताई. रिश्तेदारों का पता मिलने के बाद ही जैसलमेर पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बाद रवि और शांति की लाश भारत में मौजूद उनके रिश्तेदारों को सौंप दी. जिसके बाद 1 जुलाई को राजस्थान के भील में ही रवि और शांति का पूरी रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया.

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बेशक रवि और शांति का सरहद पार करने का तरीका गलत था. सरहदों के अपने कानून होते हैं. यकीनन तार के नीचे से भारत आकर दोनों ने गुनाह किया. लेकिन ये सब कुछ रवि ने अपनी नई नवेली दुल्हन शांति के लिए किया था. शांति की ख्वाहिश पूरी करने के लिए किया था और इसी ख्वाहिश को पूरी करते करते दोनों ने प्यासे दम तोड़ दिया. काश वो पति पत्नी जो बिना मोहब्बत का मतलब जाने मोहब्बत के नाम पर मोहब्बत को रुसवा कर रहे हैं, मोहब्बत का खून कर रहे हैं, रवि और शांति की कहानी सुनकर कुछ सीख पाएं.

(जैसलमेर से विमल भाटिया का इनपुट)

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