पाकिस्तान की ड्रग्स, पंजाब में कमाई और कनाडा में फंडिंग... ऐसे चल रहा है खालिस्तानी आतंक का खेल

अमेरिका से कनाडा के बीच घूमता गुरपतवंत सिंह पन्नू हो, मारा जा चुका हरदीप सिंह निज्जर हो, कनाडा में छिपा अर्शदीप डल्ला हो, लखबीर लांडा हो या भारत का मोस्ट वॉन्टेड गोल्डी बरार हो. इन सारे अपराधियों, गैंगस्टर्स और आतंकवादियों का गठजोड़ कनाडा की जमीन पर फलफूल रहा है.

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कनाडा में खालिस्तान का धंधा ड्रग्स की कमाई और हवाला के जरिए चलता है कनाडा में खालिस्तान का धंधा ड्रग्स की कमाई और हवाला के जरिए चलता है

अनीषा माथुर

  • टोरंटो,
  • 26 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:34 PM IST

कनाडा में आज जो भारत विरोधी हालात हैं, इसके दो सबसे बड़े कारण हैं. एक तो कनाडा में भारतीय मूल की सिख आबादी बड़ी तादाद में है और अस्सी-नब्बे के दशक से वहां खालिस्तान समर्थकों को खाद-पानी दिया जाता रहा है. दूसरी वजह ये है कि कनाडा की राजनीति में कुर्सी का हित साधने के लिए राजनीतिक दल भी खालिस्तान समर्थक अपराधियों, गैंगस्टर्स और आतंकवादियों को पनाह देते रहे हैं. 

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खालिस्तान समर्थक गैंगस्टर्स और आतंकवादियों के क्या-क्या धंधे हैं और क्या है इनकी फंडिंग का नेटवर्क. ये सब आपको बताएंगे, लेकिन पहले जान लें कि जस्टिन ट्रुडो कैसे सिर्फ निज्जर की हत्या पर सेलेक्टिव शोर मचा रहे हैं और क्यों?

अमेरिका से कनाडा के बीच घूमता गुरपतवंत सिंह पन्नू हो, मारा जा चुका हरदीप सिंह निज्जर हो, कनाडा में छिपा अर्शदीप डल्ला हो, लखबीर लांडा हो या भारत का मोस्ट वॉन्टेड गोल्डी बरार हो. इन सारे अपराधियों, गैंगस्टर्स और आतंकवादियों का गठजोड़ कनाडा की जमीन पर फलफूल रहा है.

इस गैंग के लोग पाकिस्तान से ड्रग्स लाकर पंजाब में बेचते हैं. इससे मिला पैसा कनाडा में खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों तक जाता है. कनाडा में भी खालिस्तान समर्थक गैंगस्टर्स ड्रग्स के धंधे में शामिल हैं. उन सभी के बीच भी पैसे की बंदरबांट को लेकर आपसी गैंगवॉर चलता रहता है.

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खबर है कि ऐसे ही एक गैंगवॉर में 2022 में निज्जर ने कनाडा के सर्री शहर में ही अपने साथी और खालिस्तान समर्थक रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या करा दी थी. इसमें कनाडा पुलिस ने दो स्थानीय अपराधियों को ही पकड़ रखा है.

तब कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो को याद नहीं आया कि कनाडा की जमीन पर कनाडा के नागरिक की हत्या कितनी चिंताजनक है. तब ट्रुडो परेशान नहीं हुए क्योंकि उस हत्या में मारा गया रिपुदमन मलिक हरदीप निज्जर के मुकाबले कम फायदेमंद और छोटा नाम था. लेकिन जिस खालिस्तान समर्थकों की फंडिंग से ट्रुडो की पार्टी चल रही है. उसी संगठन के एक घोषित आतंकवादी के मारे जाने पर ट्रुडो बहुत चिंतित हो गए. वो भी इसलिए क्योंकि हत्या के तीन महीने बीत जाने के बावजूद कनाडा निज्जर की हत्या का सच नहीं बता पा रहा. 

यही वजह है कि भारत पर कीचड़ उछालने वाले कनाडा से जब सबूत मांगे जा रहे हैं तो वो बंगले झांक रहा है. कनाडा के रक्षा मंत्री बिल ब्लेयर से जब ये सवाल पूछा गया तो उनकी भी बहानेबाजी यही थी. ब्लेयर ने कहा कि हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है. हम जिस भी जानकारी पर काम कर रहे हैं उसके स्रोतों या सबूतों या उस प्रकार के सबूतों की पुष्टि या पहचान नहीं कर रहे हैं जो उस जांच का हिस्सा हैं.

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रक्षा मंत्री के इस बयान का कारण ये है कि कनाडा के पीएम ट्रुडो ने भारत विरोधी मंशा से बहकावे और लालच में आकर अपनी संसद में इतना बेबुनियाद आरोप लगा दिया. ट्रुडो हर मंच, हर मौके पर आज भारत से निज्जर की हत्या की जांच में भारत से मदद की गुहार लगाते फिर रहे हैं. लेकिन इसी भारत के पंजाब में आधे से अधिक आतंकवादी मुकदमों में कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थक आतंकवादी आरोपी हैं. 

ये आंकड़ा जब कनाडा को बताया गया तो उसने आंखें मूंदे रखीं. 2016 के बाद पंजाब में सिख, हिंदू, ईसाई हर धर्म के अनेक लोगों की हत्याओं में हरदीप सिंह निज्जर और गोल्डी बरार जैसे गैंगस्टर्स ने कराई लेकिन भारत की अपील पर कनाडा ने एक भी जांच शुरू नहीं की.

निज्जर से लेकर बरार तक और पैरी दुलाई, अर्श डल्ला से लेकर लखबीर लांडा तक जैसे अपराधियों का डॉजियर देकर भारत ने बार-बार कनाडा से मदद की अपील की लेकिन ट्रुडो खामोश रहे. और ये खामोशी क्यों है? इसका कारण भी कनाडा में भारतीय मूल के लोग बताते हैं. 

आर्थिक बदहाली और बेरोजगारी के चक्कर में फंस चुकी कनाडा की ट्रुडो सरकार में इतना साहस नहीं कि वो खालिस्तान समर्थक तत्वों पर कार्रवाई करके अपनी कुर्सी को खतरा पैदा कर ले. और बस यही एक कारण है कि आज ट्रुडो अपने एक बयान को लेकर दुनिया के सामने एक्सपोज होते नजर आ रहे हैं.

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