यूपी के बाहुबलीः महज 24 साल की उम्र में राजनीति में रखा था कदम, इतनी बार से विधायक हैं राजा भैया

राजा भैया को तूफान सिंह के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें घुड़सवारी का बहुत शौक है. एक बार घोड़े से गिरने के कारण उनकी दो पसलियां भी टूट गईं थीं. इसके अलावा वो बुलेट और जिप्सी चलाने के साथ ही हेलीकॉप्टर की सवारी का शौक रखते हैं.

Advertisement
राजा भैया 1993 से लगातार कुंडा सीट से विधायक हैं राजा भैया 1993 से लगातार कुंडा सीट से विधायक हैं

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST
  • 1993 में रखा था राजनीति में कदम
  • राजसी परिवार से आते हैं राजा भैया
  • कई विवादों में आ चुका है नाम

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 (Assembly elections) की तारीखों का ऐलान होने के बाद सभी दलों के नेता मैदान में उतर आए हैं. इस चुनावी मौसम में ऐसे दबंग नेताओं की भी कमी नहीं है. जो अपनी छवि के चलते चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसा ही एक नाम है पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का. जिन्होंने महज 24 साल की उम्र में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना चुनाव जीता था. 

Advertisement

कौन हैं राजा भैया 
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर, 1967 को प्रतापगढ़ की भदरी रियासत में हुआ था. उनके पिता का नाम उदय प्रताप सिंह और माता का नाम मंजुल राजे है. उनकी मां भी एक राजसी परिवार से आती हैं. राजा भैया को तूफान सिंह के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें घुड़सवारी का बहुत शौक है. एक बार घोड़े से गिरने के कारण उनकी दो पसलियां भी टूट गईं थीं. इसके अलावा वो बुलेट और जिप्सी चलाने के साथ ही हेलीकॉप्टर की सवारी का शौक रखते हैं. 1993 के विधानसभा चुनाव से राजा भैया ने राजनीति में कदम रखा था और तभी से वह लगातार विधायक हैं.

एक वक्त था, जब मुलायम सिंह यादव ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का विरोध किया था. उन पर दंगों में शामिल होने के आरोप थे. कहा जाता है कि राजा भैया अपने पिता उदय प्रताप सिंह से काफी डरते थे. बचपन में वो अपने पिता से कभी आंख तक भी नहीं मिलाते थे. उनके पास पैतृक संपत्ति समेत लगभग 200 करोड़ से ज्यादा की चल-अचल संपत्ति होने का अनुमान है.

Advertisement

इसे भी पढ़ें--- कई नाम, नया चेहरा.. यूं पुल‍िस के ल‍िए छलावा बन गया बिहार का ये शातिर बदमाश

एक बार जब यूपी में विधानसभा चुनाव हो रहा था तो उनके खिलाफ प्रचार करने के लिए सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह खुद कुंडा पहुंचे थे. जहां कल्याण सिंह ने अपने भाषण में कहा था 'गुंडा विहीन कुंडा करौं, ध्वज उठाय दोउ हाथ.' लेकिन इसके बावजूद कुंडा से बीजेपी उम्मीदवार राजा भैया के सामने बुरी तरह से चुनाव हार गया था.

इसका नतीजा ये हुआ कि चुनाव में राजा भैया को गुंडा बताने वाले सीएम कल्याण सिंह ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया था. आगे चलकर राजा भैया ने भी अपनी वफादारी खूब निभाई थी. जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने तत्कालीन बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लिया था, तो उस वक्त राजा भैया ने सरकार बचाने के लिए कल्याण सिंह की बहुत मदद की थी. 

हालांकि बाद में मायावती की बसपा सरकार सत्ता में आई गई और मायावती ने अपने शासनकाल में ही राजा भैया पर पोटा कानून लगा दिया था. जिसके तहत उन्हें जेल भेज दिया गया था. 2003 में ही मायावती सरकार ने भदरी में उनके पिता के महल और उनकी बेंती कोठी पर भी छापेमारी करवाई थी.

Advertisement

DSP जिया उल-हक की हत्या में आया था नाम
2012 में सपा की सरकार बनी. राजा भैया को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. लेकिन उसी वक्त प्रतापगढ़ के कुंडा में एक हाई प्रोफाइल मर्डर हुआ. जिसमें डिप्टी एसपी जिया उल-हक की हत्या की गई थी. इस मामले में राजा भैया का नाम आया. जिसके चलते उन्हें अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. इस मामले की CBI जांच कराई गई. जिसमें राजा भैया को क्लिनचिट मिल गई. नतीजतन उन्हें आठ महीने बाद फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.

ज़रूर पढ़ें--- एक शातिर हसीना दो दिवाने और सनसनीखेज मर्डर, हैरान कर देगी प्यार की ये खूनी दास्तान  

तालाब से जुड़े खौफनाक किस्से
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के निवास को बेंती कोठी कहा जाता है. उसके पीछे 600 एकड़ का तालाब है. उसी तालाब से कई तरह के अजीबो गरीब और खौफनाक किस्से जुड़े हैं. माना जाता था कि राजा भैया ने उस तालाब में घड़ियाल पाल रखे थे और वो अपने दुश्मनों को मारकर उसी तालाब में फेंक देते थे. हालांकि, राजा भैया इस बात को लोगों का मानसिक दिवालियापन बताते हैं. 

एक बार उस तालाब की खुदाई की गई थी. तब वहां से एक नरकंकाल मिला था. कहा जाता है कि वो नर कंकाल कुंडा क्षेत्र के नरसिंहगढ़ गांव में रहने वाले एक शख्स का था. उसा कसूर ये बताया जाता था कि उसका स्कूटर राजा भैया की जीप से टकरा गया था. इसके बाद कथित तौर राजा भैया के लोग उस आदमी को उठाकर ले गए थे और उसकी हत्या करने के बाद लाश को बेंती कोठी के पीठे वाले तालाब में फेंक दिया था.

Advertisement

अपनी नई पार्टी से चुनाव लड़ेंगे राजा भैया
इस विधानसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक राजा भैया ने अपनी पार्टी बना ली है. जिसका नाम है जनसत्ता दल लोकतांत्रिक. उनकी इस नई पार्टी को चुनाव आयोग ने "आरी" चुनाव चिन्ह आवंटित किया है. अब देखने वाली बात ये होगी कि विधानसभा चुनाव में राजा भैया की नई पार्टी क्या कमाल दिखाएगी. 

ये भी पढ़ेंः

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement