पंजाब के उपचुनाव में उठे गंभीर आरोपों के बीच निर्वाचन आयोग ने 25 नवंबर को राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) गौरव यादव को समन किया है. तरनतारन उपचुनाव के दौरान शिरोमणि अकाली दल ने लगातार आवाज उठाई है. उनकी ओर से आयोग में दी गई शिकायात के बाद आयोग ने पूरी घटनाक्रम की समीक्षा की है.
इस समीक्षा में स्थानीय चुनाव प्रबंधकों की रिपोर्टें और वीडियो साक्ष्य शामिल थे. इन दस्तावेजों और वीडियों की जांच के बाद आयोग ने तत्काल प्रभाव से कदम उठाए थे, जिनमें तरनतारन के एसएसपी डॉ. रवज़ोत कौर ग्रेवाल का निलंबन शामिल था.शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को पंजाब पुलिस का समर्थन मिला.
उनकी शिकायत में दावा किया गया था कि चुनाव के दौरान उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही थीं. राजनीतिक प्रतिशोध के इरादे से गिरफ्तारी कराई जा रही थी. निर्वाचन आयोग ने स्थानीय चुनाव प्रबंधकों की रिपोर्टों और उपलब्ध वीडियों को खंगाला.इन साक्ष्यों को तवज्जो देते हुए कहा कि केवल शिकायतों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है.
इसलिए प्रमाणों की जांच जरूरी है. शिरोमणि अकाली दल ने आयोग को बताया कि 11 नवंबर के तरनतारन उपचुनाव के बाद उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किए जा रहे थे. शिकायत में साफ आरोप था कि इन कार्रवाइयों का मकसद सिर्फ कानून लागू करना नहीं, बल्कि राजनीतिक बदले की भावना से कार्यकर्ताओं को कमजोर करना था.
ऐसी कार्रवाईयों ने मतदाता और राजनीतिक पर्यवेक्षकों के बीच भय पैदा कर दिया. एसएसपी डॉ. रवज़ोत कौर ग्रेवाल के निलंबन का कदम निर्वाचन आयोग की समीक्षा का नतीजा बताया जा रहा है. यह निलंबन केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि उस संदेश का प्रतीक बना कि आयोग आरोपों को गंभीरता से ले रहा है.
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