7 बार उम्रकैद, 1 बार फांसी और 50 से ज्यादा कत्ल... दिल दहला देगी इस सीरियल किलर की खौफनाक कहानी

राजस्थान के दौसा में मौजूद है रामेश्वर धाम आश्रम. उस आश्रम में पिछले 6 महीने से दिल्ली पुलिस की एक टीम एक खास बाबा पर नजरें गड़ाई थी. उस बाबा की तलाश बीते पौने 2 सालों से दिल्ली पुलिस को थी.

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देवेंद्र शर्मा ने 50 से ज्यादा कत्ल की बात पुलिस को बताई है देवेंद्र शर्मा ने 50 से ज्यादा कत्ल की बात पुलिस को बताई है

aajtak.in

  • नई दिल्ली/दौसा,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST

Doctor Death Devender Sharma Serial Killer: उसे सात बार उम्रकैद की सजा मिली और एक बार फांसी की. लेकिन बावजूद इसके उस सीरियल किलर को दो बार पैरोल पर रिहा किया गया. ये कोई तीन-चार कत्ल करने वाला आम सीरियल किलर नहीं है. बल्कि वो एक ऐसा खूनी दरिंदा है, जिस पर पचास लोगों के कत्ल का इल्जाम है. कमाल की बात ये है कि दोनों ही बार पैरोल पर जेल से बाहर आने के बाद वो गायब हो गया. अब उसे तीसरी बार गिरफ्तार किया गया. ये खौफनाक कहानी उस 'डॉक्टर डेथ' की है, जिसके हाथों मारे गए पचास लोगों में से किसी एक की लाश भी आज तक नहीं मिली. वजह आपको हैरान कर देगी.

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उत्तर प्रदेश के कासगंज में मौजूद है हजारा नदी. ये नदी अपने ऐतिहासिक पुल के लिए मशहूर है. जिसे झाल का पुल या नदरई का पुल भी कहा जाता है. कासगंज के मुहाने पर बसे नदरई गांव के करीब ये पुल अंग्रेजों ने बनाया था. दिखने में खूबसूरत इस हजारा नदी ने अपने बहते पानी के अंदर कितने ही मगरमच्छों को छुपा या पाल रखा है. देश की जितनी भी नदियां होंगी, उन तमाम नदियों के मुकाबले इस हजारा नदी में मौजूद मगरमच्छों ने शायद सबसे ज्यादा इंसानों को अपना निवाला बनाया होगा. कम से कम जिंदा नहीं तो मुर्दा इंसानों को निवाला बनाने का रिकॉर्ड शायद हजारा नदी के इन्हीं मगरमच्छों के नाम है.

इसी नदी से जुड़ा है देवेंद्र शर्मा का नाम, जिसे डॉक्टर पुलिस और मीडिया 'डॉक्टर डेथ' के नाम से ज्यादा पहचानते हैं. एक अकेले देवेंद्र शर्मा यानि डॉक्टर डेथ ने अपने हाथों से कम से कम 50 मुर्दा इंसानों को हजारा नदी में मौजूद उन मगरमच्छों का निवाला बनने के लिए फेंका था.

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राजस्थान के दौसा में मौजूद है रामेश्वर धाम आश्रम. उस आश्रम में पिछले 6 महीने से दिल्ली पुलिस की एक टीम एक खास बाबा पर नजरें गड़ाई थी. उस बाबा की तलाश बीते पौने 2 सालों से दिल्ली पुलिस को थी. पुलिस उस बाबा के करीब तो थी, लेकिन दिक्कत ये थी कि उसका चेहरा और हाव-भाव इस कदर बदला हुआ था कि खुद पुलिस कनफ्यूज थी कि जिसकी तलाश में वो यहां तक आई है, क्या ये बाबा वही है? बढे बाल, बेतरतीब दाढ़ी और बूढ़ी उम्र ने उस शख्स का पूरा हुलिया बदल कर रख दिया था. जिसकी तलाश पुलिस को थी. 

अब सिर्फ शक की बिनाह पर एक आश्रम के अंदर एक बाबा पर हाथ डालना मुश्किल भरा काम था. लिहाजा, पुलिस ने उस बाबा की पुरानी तस्वीर और वीडियो के जरिए खास तौर पर उसकी आंखें और नाक से उसका मिलान करना शुरू किया. दरअसल, बढ़ती उम्र या बदले हुलिए के बावजूद आंखें ही वो चीज हैं, जिनसे किसी शख्स को आसानी से पकड़ा जाता है. क्योंकि आंखें बदलती नहीं हैं. ठीक इसी तरह नाक का नक्शा भी बदलता नहीं है. और बस इन्हीं आंखों और नाक से जब बाबा की असलियत पुख्ता हो गई, तो बीते रविवार को इसी आश्रम और उसके इर्द-गिर्द लंबे वक्त से इंतजार कर रहे पुलिस वालों को आखिरकार पौने 2 साल बाद कामयाबी मिल ही गई.

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50 या शायद उससे ज्यादा कत्ल करने वाला सीरियल किलर, दो-दो पैरोल जंप कर भागने वाला, सात-सात उम्र कैद और एक सजा एक मौत का मुजरिम देवेंद्र शर्मा उर्फ डॉक्टर डेथ अब तीसरी बार पुलिस के शिकंजे में आ चुका था. 67 साल का देवेंद्र शर्मा वो सीरियल किलर है, जिसने 1998 से 2004 यानी सिर्फ 6 सालों में 50 या शायद उससे भी ज्यादा लोगों के कत्ल किए. देवेंद्र शर्मा एक आर्युवेदिक डॉक्टर था, घर अलीगढ़ में था लेकिन बाद में उसने राजस्थान के बांदीकुई की जनता क्लिनिक में प्रैक्टिस शुरू कर दी. करीब 11 साल तक वो जनता क्लिनिक में प्रैक्टिस करता रहा. इस दौरान उसने प्रैक्टिस से जो पैसे कमाए, उन पैसों से उसने एक गैस कंपनी की डीलरशिप लेने की कोशिश की. लेकिन साल 1994 में उसकी सारी जमा पूंजी करीब 11 लाख रुपये डीलरशिप के नाम पर कुछ लोगों ने ठग लिए. 

इसी के बाद अब देवेंद्र शर्मा वापस अलीगढ़ लौटा. उसकी दोस्ती दिल्ली के एक दूसरे डॉक्टर से हुई. उस डॉक्टर के साथ मिलकर अब उसने किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट शुरू कर दिया. एक किडनी ट्रांसप्लांट से उसे और उसके साथी डॉक्टर को 5 से 7 लाख रुपये मिला करते थे. ये धंधा चल पड़ा, लेकिन किडनी के मरीजों की तादाद ज्यादा थी और डोनर या पैसे लेकर अपनी किडनी देने वाले कम. बस यहीं से देवेंद्र शर्मा के दिमाग में एक खौफनाक आइडिया आया. 

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इसी आइडिया के तहत उसने अलीगढ़ में सबसे पहले एक फर्जी गैस एजेंसी खोली. इसी गैस एजेंसी के नाम पर अब वो ट्रक बुक करने लगा. खास कर वो ट्रक जिसमें गैस सिलिंडर हुआ करता था. अलीगढ़ के 50-60 किलोमीटर के दायरे में ही मौका देख कर वो ट्रक ड्राइवर को मार डालता. सिलिंडर चुरा लेता और फिर ट्रक ड्राइवर की लाश इसी हजारा नदी में लाकर फेंक देता. क्योंकि उसे पता था कि इस नदी में इतने मगरमच्छ हैं कि कभी किसी की लाश मिलेगी ही नहीं.

पर कुछ वक्त बाद ही देवेंद्र को अहसास हुआ कि ट्रक वाला मामला आगे चल कर उसके लिए खतरा बन सकता है. लिहाजा, अब उसने काम का तरीका बदला. अब उसने टैक्सी बुक करानी शुरू कर दी. फिर टैक्सी जैसे ही इसी हजारा नदी या उसके आस-पास से गुजरती, मौका देख कर वो टैक्सी ड्राइवर को मार डालता. फिर उसकी लाश इसी हजारा नदी में मगरमच्छ का निवाला बनने के लिए फेंक देता. जबकि उसकी टैक्सी को ले जाकर ब्लैक मार्केट में औने-पौने दामों पर बेच देता.

ऐसे ही एक टैक्सी ड्राइवर के कत्ल की कोशिश के दौरान 2004 में आखिरकार देवेंद्र शर्मा पकड़ा गया. उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जब तफ्तीश की, तो पाया कि देवेंद्र कुल 21 टैक्सी ड्राइवर का कत्ल कर चुका है. इसीलिए शुरुआत में पुलिस ने देवेंद्र शर्मा के खिलाफ 21 कत्ल का मामला बनाया. लेकिन तब पुलिस हैरान रह गई जब गिरफ्तारी के बाद एक दिन खुद देवेंद्र शर्मा ने पुलिस के सामने ये खुलासा किया कि उसने 21 नहीं बल्कि टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों को मिला कर करीब 50 कत्ल किए हैं. उसने ये भी बताया कि उसने हर कत्ल के बाद लाश को जानबूझ कर हजारा नदी में इसलिए फेंका, ताकि पुलिस कभी किसी लाश का सबूत ढूंढ ना पाए. उसके खुलासे के बाद हजारा नदी में तलाशी अभियान भी चलाया गया. लेकिन देवेंद्र शर्मा सही था. उसके हाथों मारे गए 50 में से 1 भी इंसान की लाश आज तक पुलिस को नहीं मिली.

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बाद में मुकदमे की कार्रवाई शुरू हुई. चूंकि देवेंद्र शर्मा के हाथों मारे गए 1 भी शख्स की लाश नहीं मिली थी, लिहाजा, अदालत ने सिर्फ 7 मामलों में उसे उम्र कैद की सजा सुनाई. जबकि गुरुग्राम के एक मर्डर केस में अदालत ने उसे सजा-ए-मौत दी. बाकी मुकदमों का फैसला आना अभी बाकी है. देवेंद्र शर्मा ने जितनी भी टैक्सी बुक की थी, वो सारी टैक्सी दिल्ली और गुरुग्राम की थीं.

सात-सात उम्र कैद और एक सजा ए मौत पाने वाला सजायाफ्ता कैदी 2020 तक जयपुर सेंट्रल जेल में बंद था. जेल में उसके अच्छे चाल चलन की वजह से 2020 में ही उसे कुछ दिनों के पैरोल पर रिहा किया गया था. लेकिन पैरोल पर बाहर आया देवेंद्र शर्मा वापस फिर जेल गया ही नहीं. पैरोल पर फरारी के कुछ महीने बाद ही दिल्ली पुलिस को इंस्पेक्टर को मुखबिर से खबर मिली कि देवेंद्र शर्मा अपनी दूसरी बीवी के साथ नाम बदल कर दिल्ली में ही छुपा है. दिल्ली में अब उसने प्रॉपर्टी डीलर का काम शुरू कर दिया था. मुखबिर की खबर पर आखिरकार दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. 2020 में हुई इस गिरफ्तारी के बाद से ही देवेंद्र शर्मा तिहाड़ जेल में बंद था.

3 साल बाद 2023 में एक बार फिर देवेंद्र शर्मा के अच्छे चाल चलन के चलते उसे दोबारा दो महीने की पैरोल मिल गई. ये पैरोल उसे 3 जून 2023 को मिली थी. कायदे से 2 अगस्त की शाम तक उसे वापस तिहाड़ जेल पहुंचना था. लेकिन देवेंद्र शर्मा एक बार फिर पुलिस और कानून को चकमा देने में कामयाब रहा. वो दूसरी बार पैरोल जंप कर भाग चुका था. अब दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल टीम सिर्फ उसके पकड़ने के लिए बनाई जाती है. लगभग पौने 2 सालों तक देवेंद्र शर्मा पुलिस को छकाता रहता है. पर फिर आखिर में करीब 6 महीने पहले मिली एक जानकारी पुलिस को आखिरकार देवेंद्र शर्मा तक पहुंचा देती है.

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असल में 2020 में जब देवेंद्र शर्मा पैरोल जंप कर भागा था, तब वो दौसा गया था और वहां दो लोगों से मिला था. दिल्ली पुलिस दौसा में उन दोनों लोगों पर बराबर नजर रखे हुए थी. छह महीने पहले लगभग ये पुख्ता जानकारी मिल चुकी थी कि वो दौसा में ही किसी आश्रम में है. छह महीने बाद आखिरकार दिल्ली पुलिस की टीम इस आश्रम में बाबा का भेष बना कर रह रहे देवेंद्र शर्मा का पता लगा लेती है और इस तरह डॉक्टर डेथ तीसरी बार कानून के शिकंजे में था.

पर सवाल ये है कि सात-सात उम्र कैद और एक फांसी की सजा पाए देवेंद्र शर्मा जैसे सीरियल किलर को दो-दो बार पैरोल कैसे मिली. वो भी तब जब पैरोल की पहली ही शर्त उसने पहली ही बार तोड़ दी थी. जब पैरोल की मियाद खत्म होने के बाद वो वापस जेल नहीं पहुंचा था. अगर आने वाले वक्त में भी जेल के अंदर उसका चाल चलन अच्छा होगा तो क्या सिर्फ इसी बिनाह पर ही उसे तीसरी बार भी पैरोल मिल जाएगी? ये सवाल गंभीर है.

(दौसा से संदीप मीणा के साथ हिमांशु मिश्र का इनपुट)

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