चीन से MBBS, भारत में आतंकी साजिश... जानें ISKP मॉड्यूल के बारे में, जिसका 'डॉक्टर' बना रहा था 'राइसिन जहर'

गुजरात ATS ने ISKP मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, जो देश में जहर से आतंक फैलाने की साजिश रच रहा था. गिरफ्तार आरोपी डॉक्टर अहमद मोहिउद्दीन सैयद चीन से MBBS करने के बाद भारत लौटा और राइसिन नामक घातक जहर तैयार करने में जुटा हुआ था.

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लखनऊ से अहमदाबाद तक आतंक के 'डॉक्टर' की खौफनाक साजिश का पर्दाफाश. (Photo: ITG) लखनऊ से अहमदाबाद तक आतंक के 'डॉक्टर' की खौफनाक साजिश का पर्दाफाश. (Photo: ITG)

मुकेश कुमार गजेंद्र

  • अहमदाबाद,
  • 10 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST

अहमदाबाद में गुजरात ATS ने उस आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है, जिसने पूरे देश में सनसनी मचा दी है. इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड कोई पेशेवर आतंकी नहीं, बल्कि एक डॉक्टर है. इसका नाम डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैयद.इसने चीन से MBBS की डिग्री हासिल की है. इसके बाद राइसिन जैसे घातक जहर को तैयार कर बड़े पैमाने पर हत्या की साजिश रच रहा था. उसके इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (ISKP ) से कनेक्शन मिले हैं. 

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गुजरात ATS के DIG सुनील जोशी ने बताया कि यह मॉड्यूल बेहद संगठित और खतरनाक था. सैयद के साथ दो और आरोपी हैं. उनके नाम आजाद सुलेमान शेख और मोहम्मद सुहैल मोहम्मद सलीम हैं. उनको भी गिरफ्तार कर लिया गया है. तीनों पर आरोप है कि लखनऊ, दिल्ली और अहमदाबाद की कई संवेदनशील जगहों की रेकी की थी. ATS को शक है कि इनका मकसद धार्मिक स्थलों या भीड़भाड़ वाले इलाकों में राइसिन से तबाही मचाना था.

डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैयद ने अरंडी के तेल के जरिये राइसिन जहर तैयार करने का प्रयोग शुरू कर दिया था. उसके ठिकाने से चार लीटर अरंडी का तेल, तीन मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, दो ग्लॉक पिस्तौल, एक बेरेटा पिस्तौल और 30 जिंदा कारतूस बरामद किए गए. 'राइसिन' एक घातक रासायनिक जहर है, जो अरंडी के बीजों की प्रोसेसिंग से बचे अवशेषों से तैयार होता है. इसकी सूक्ष्मतम मात्रा भी जानलेवा है. संपर्क में आते ही इंसान मर सकता है.

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ATS के अनुसार, सैयद ने इसके लिए आवश्यक उपकरण, कच्चा माल और रिसर्च मैटेरियल जुटा लिया था. उसने प्रारंभिक केमिकल प्रोसेसिंग भी शुरू कर दी थी. पूछताछ में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. डॉक्टर का हैंडलर अफगानिस्तान निवासी अबू खदीजा था, जो ISKP यानी इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस से जुड़ा हुआ है. खदीजा पाकिस्तान में सक्रिय कई लोगों के संपर्क में था.ड्रोन के जरिये सीमा पार से हथियारों की सप्लाई करवाता था. 

ATS के मुताबिक, यही हैंडलर सैयद को निर्देश और फंडिंग भेज रहा था. वो ISKP की शैली में फंडिंग और भर्ती नेटवर्क खड़ा करने की भी कोशिश कर रहा था. वो सोशल मीडिया के जरिए स्लीपर नेटवर्क बनाने की योजना पर काम कर रहा था. पिछले एक साल से देश के कई संवेदनशील इलाकों की रेकी कर रहा था. हालांकि अभी तक किसी लोकल स्लीपर सेल की मौजूदगी के पक्के सबूत नहीं मिले हैं. लेकिन उसने गुजरात से यूपी तक रेकी की थी.

ISKP यानी इस्लामिक स्टेट का दक्षिण और मध्य एशिया क्षेत्रीय विंग है. इसकी घोषणा जनवरी 2015 में हुई थी. अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र, जिसे ऐतिहासिक रूप से 'खोरासान' कहा जाता है, इसका प्राथमिक ऑपरेटिंग जोन है. यह संगठन सिरिया और इराक़ से लौटे अफगानी-पाकिस्तानी जिहादियों और तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के टूटे धड़ों के विलय से बना. इसकी रणनीति हमेशा हिट-एंड-रन, आत्मघाती हमलों की रही है. 

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साल 2021 के काबुल एयरपोर्ट पर जिस तरह से ब्लास्ट किया गया था, वो इस आतंकी मॉड्यूल उदाहरण है. ISKP ऑनलाइन रिक्रूटमेंट, तस्करी नेटवर्क और क्रिप्टो फंडिंग के जरिए अपने ऑपरेशन को संचालित करता है. नेतृत्व में कई उतार-चढ़ाव रहे हैं, लेकिन साल 2020 के बाद से शाहाब अल-मुहाजिर शीर्ष कमांडरों में गिना जाता है. इसका मुख्य अड्डा अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में माना जाता है, जहां इसके ट्रेनिंग कैंप और ऑपरेटिंग यूनिट हैं.

भारत में इसकी प्रत्यक्ष मौजूदगी भले न मिली हो, लेकिन इसके प्रेरित डिजिटल मॉड्यूल और कट्टरपंथी अनुयायी कई बार जांच एजेंसियों के रडार पर आ चुके हैं. इसी कारण ATS और NIA इसकी हर गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए हैं. 7 नवंबर को गांधीनगर के अडालज इलाके में एक गुप्त ऑपरेशन चलाकर डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ में सामने आया कि उसने गांधीनगर के कलोल में एक सुनसान जगह पर हथियार छिपाकर रखे थे.

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