गोवा सरकार की मजिस्ट्रेट जांच में नाइटक्लब अग्निकांड को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बर्च बाय रोमियो लेन नाइटक्लब नमक के मैदान के बीच बनाया गया था और यह बिना किसी वैलिड ट्रेड लाइसेंस के गैर-कानूनी तरीके से संचालित हो रहा था. जांच में कहा गया है कि नॉर्थ गोवा के अरपोरा में स्थित यह नाइटक्लब लंबे समय तक अवैध रूप से चलता रहा.
इसके बावजूद स्थानीय पंचायत ने इसे सील करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी. रिपोर्ट में प्रशासनिक स्तर पर गंभीर लापरवाही की ओर इशारा किया गया है. पुलिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए जांच में बताया गया कि क्लब परिसर में बिना पर्याप्त सावधानी और जरूरी फायर सेफ्टी उपकरणों के आतिशबाजी की गई. इसके बाद ही 6 दिसंबर की रात आग तेजी से भड़क उठी.
इस अग्निकांड में नाइटक्लब में मौजूद टूरिस्ट और स्टाफ समेत 25 लोगों की मौत हो गई. इस बीच मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने नाइटक्लब हादसे से जुड़े मामले में गोवा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के दो अधिकारियों को सस्पेंड करने की जानकारी दी. इसके साथ ही अब तक सस्पेंड किए गए सरकारी अधिकारियों की संख्या पांच हो चुकी है. इससे पहले तीन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था.
इस अधिकारियों में तत्कालीन मेंबर सेक्रेटरी शर्मिला मोंटेइरो, पंचायत डायरेक्टर सिद्धि हलर्नकर और अरपोरा-नागोआ पंचायत के सेक्रेटरी रघुवीर बागकर शामिल हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर अन्य विभागों के अधिकारियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज और एक्साइज विभाग से जुड़े अधिकारियों की जांच की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि नाइटक्लब में गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. आग लगने की घटना के बाद सील किए गए कुछ क्लबों को दोबारा खोलने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी को तय गाइडलाइंस का पालन करना होगा. नियम पूरे होने के बाद ही निरीक्षण किया जाएगा और अनुमति दी जाएगी, अन्यथा क्लबों को स्थायी रूप से बंद किया जाएगा.
गोवा पुलिस अब तक नाइटक्लब के तीन मालिकों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. एक अन्य मालिक सुरिंदर खोसला की गिरफ्तारी अभी बाकी है. मापुसा कोर्ट ने 26 दिसंबर को मालिक भाइयों सौरभ और गौरव लूथरा की पुलिस कस्टडी बढ़ाई थी. इस जघन्य घटना के कुछ घंटों बाद दोनों थाईलैंड भाग गए थे, जिन्हें 17 दिसंबर को भारत डिपोर्ट किया गया.
aajtak.in