दिल्ली के लाल किले के करीब हुए 10 नवंबर के आत्मघाती धमाके की वजह से सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ी हुई है. एनआईए इस केस की जांच कर रही है. जांच के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. इस सामने आया है कि 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' सीरियल ब्लास्ट की तैयारी की थी. इसके लिए ब्रेनवॉश करके कई युवाओं को सुसाइड बॉम्बर बनाने की कोशिश की गई थी.
लाला किले के पास कार में धमाका करने वाले आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद नबी ने फरीदाबाद में एक कमरा किराए पर लिया था. धमाके से पहले उसने खुद को उस कमरे में 10 दिन तक के लिए बंद कर रखा था. इस तरह वो न तो कहीं आता-जाता, न ही किसी से मिलता था. उसने बंद कमरे में युवाओं को ब्रेनवॉश करने के लिए 70 जहरीले वीडियो बनाए और उनको 11 युवाओं तक भेजा.
फरीदाबाद के इस डॉक्टर मॉड्यूल का विस्फोटक खुलासा तब हुआ, जब पता चला कि उमर नबी ने हरियाणा के नूंह में हिदायत कॉलोनी में एक कमरा लिया था. उस कमरे से वो बाहर नहीं निकला. न नहाया, न कपड़े बदले. वो टॉयलेट तक के लिए भी बाहर नहीं गया. कमरे के अंदर ही गंदगी फैलाता रहा. वो खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर 'फिदायीन मोड' में ढाल रहा था.
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केवल रात के अंधेरे में कभी-कभार खाने के लिए बाहर जाता था. इसके बाद गायब हो जाता था. सूत्रों के मुताबिक, इन 10 दिनों में उसने सिर्फ खुद को नहीं, बल्कि अन्य युवाओं को भी तैयार करने का काम किया. उसके मोबाइल फोन से 70 वीडियो मिले हैं. इनमें से 12 वीडियो खुद उमर ने कमरे के अंदर शूट किए थे. ये वीडियो उसने 11 युवाओं को भेजे थे, जिसमें से 7 कश्मीरी मूल के हैं.
सभी का अल-फलाह यूनिवर्सिटी से लिंक मिला है. चार युवा उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक के रहने वाले हैं. यही सबसे बड़ा खतरा है कि कहीं उमर की तरह ये 11 लोग भी सुसाइड बॉम्बर न बन गए हों. इनकी तलाश में चार राज्यों में ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सूत्रों का दावा है कि उमर के फोन से मिले वीडियो वही पैटर्न फॉलो करते हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकी ब्रेनवॉश के लिए करते हैं.
उसमें 'जिहाद', 'शहादत', 'इनाम' और 'मिशन' जैसे विचारों को लगातार दोहराया गया है. सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि जिस शख्स ने उमर को I-20 कार दिलवाई, वहो सुसाइड बॉम्बर बनने को तैयार नहीं था. इसके बाद उमर उसे भी वीडियो भेजकर ब्रेनवॉश करने की कोशिश कर रहा था.शायद उमर एक पूरी टीम बनाना चाहता था, जो कई राज्यों में फैले युवाओं को टारगेट कर रही थी.
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उमर नबी दिल्ली धमाके से दो हफ्ते पहले अपने घर गया था. उसने अपने दो मोबाइल फोन में से एक अपने भाई जहूर इलाही को सौंप दिया. उससे कहा कि यदि उसकी कोई खबर आए तो फोन पानी में फेंक देना. यही फोन बाद में इस केस का बड़ा सबूत बना. जहूर ने बताया कि फोन 26 से 29 अक्टूबर के बीच लिया था. 9 नवंबर को उमर के साथियों की गिरफ्तारी के बाद तालाब में फेंक दिया.
एनआईए ने जब ये दोनों मोबाइल फोन ढूंढे, तो बंद मिले. एक की आखिरी लोकेशन दिल्ली बताई गई, दूसरी पुलवामा, जो तालाब से बरामद हुआ. फोन पानी में डूबकर खराब हो चुका था, लेकिन फॉरेंसिक टीम एक वीडियो रिकवर करने में सफल हुई. उस वीडियो में उमर खुद को शहादत पर जाने की घोषणा करता दिखता है. यह वीडियो बताता है कि उमर जानता था कि वो मरने जा रहा है.
जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज विश्लेषण में उमर नबी का पूरा रूट सामने आया है. 29 अक्टूबर को वो i-20 कार के साथ अल-फलाह यूनिवर्सिटी में दिखाई देता है. इसके बाद उसकी कार 9 और 10 नवंबर की रात खलीलपुर टोल प्लाजा पर आते-जाते दिखती है. 10 नवंबर की सुबह वो एक्सप्रेस-वे से दिल्ली में एंट्री करता है. इसके बाद दिल्ली में अलग-अलग जगहों से होकर गुजरता है.
उमर नबी दिल्ली के बदरपुर बॉर्डर, आश्रम चौक, मयूर विहार, निजामुद्दीन, इंडिया गेट, कर्तव्य पथ, रेल भवन, सुनहरी बाग रोड, तुगलक रोड, लोधी रोड, अरबिंदो मार्ग, कनॉट प्लेस, दिल्ली गेट होते हुए लाल किला पहुंच गया. इसके बाद जो हुआ, वो पूरे देश के सामने है. उसने विस्फोटक से लदी अपनी i20 कार उड़ा दी. इस धमाके में 15 लोगों की मौत हुई और 20 से ज्यादा घायल हो गए.
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