IMF ने भारत की वृद्धि दर अनुमान को घटाया, बनी रहेगी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था

आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को घटा दिया है. हालांकि, आईएमएफ ने कहा कि निवेश में सुधार और उपभोग बढ़ने से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. आईएमएफ ने कहा  है कि 2019 के दौरान दुनिया की 70 फीसदी अर्थव्यवस्था में सुस्ती रह सकती है.

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आईएमएफ ने ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया आईएमएफ ने ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने पिछले वित्त वर्ष सहित, मौजूदा वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की GDP में वृद्धि दर के अनुमान को घटा दिया है. IMF का अनुमान है कि 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3 फीसदी रहेगी, जो 2020-21 में बढ़कर 7.5 फीसदी पर पहुंच जाएगी. इसके अलावा आईएमएफ ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 3.3 फीसदी किया है. हालांकि, आईएमएफ ने कहा कि निवेश में सुधार और उपभोग बढ़ने से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

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आईएमएफ ने कहा कि भारत सरकार द्वारा हाल में आंकड़ों में कुछ संशोधन से यह संकेत मिलता है कि गति में कुछ नरमी है, इसकी वजह से आईएमएफ को भी अपने अनुमान में बदलाव करना पड़ रहा है. इसके पहले रिजर्व बैंक और एशियाई विकास बैंक ने भी भारत के ग्रोथ रेट के अनुमान को घटा दिया था. आईएमएफ ने अक्टूबर की तुलना में 2019-20 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान में 0.1 प्रतिशत और 2020-21 के लिए 0.2 फीसदी की कमी की है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक से पहले जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य में  भारत की वृद्धि दर 7.1 फीसदी रही है, जबकि इस दौरान चीन की वृद्धि दर 6.6 फीसदी रही. आईएमएफ का अनुमान है कि 2019-20 में चीन की वृद्धि दर 6.3 फीसदी और 2020 में 6.1 फीसदी रहेगी.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में भारत की वृद्धि दर रफ्तार पकड़ेगी और 7.3 फीसदी पर पहुंच जाएगी, जबकि 2020 में यह 7.5 फीसदी रहेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यम अवधि में भारत की वृद्धि दर 7.75 फीसदी पर आकर टिकेगी. आईएमएफ के विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा गया है कि संरचनात्मक और वित्तीय क्षेत्र के सुधारों के क्रियान्वयन के साथ सार्वजनिक ऋण में कटौती के जरिये ही देश की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को मजबूत  किया जा सकता है.

वैश्विक आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 3.3 फीसदी किया

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को चेतावनी देते हुये कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह नाजुक मौका है. वैश्विक अर्थव्यवस्था ने जो रफ्तार पकड़ी थी व्यापार तनाव, ब्रेक्जिट और दूसरे कारणों से वह धीमी पड़ गई है. आईएमएफ के वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में 2019 में एक बार फिर वैश्विक वृद्धि को कम कर 3.3 फीसदी कर दिया गया है. इससे पहले आईएमएफ ने जनवरी में वैश्विक आर्थिक वृद्धि 3.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इससे भी पहले अक्टूबर में आईएमएफ ने इसके 3.7 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था.

आईएमएफ ने कहा है कि इस साल की दूसरी छमाही में वैश्विक वृद्धि रफ्तार पकड़ेगी और इसके बाद 2020 में यह 3.6 फीसदी पर पहुंच सकती है. हालांकि, इसके लिये कई चीजें हैं जिन्हें सही दिशा में आगे बढ़ना होगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन के साथ जारी व्यापार युद्ध का भी सकारात्मक समाधान होना चाहिए.

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दुनिया की 70 फीसदी अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती

आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने एक बयान में कहा है कि इस तिमाही रिपोर्ट में 2019 के दौरान दुनिया की 70 फीसदी अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने का अनुमान है. यूरो क्षेत्र में यह सुस्ती तेज होगी, खासकर जर्मनी और इटली की अर्थव्यवस्थाओं में धीमापन आएगा. इसके अलावा यूरोपीय संघ से बाहर होने को लेकर जारी खींचतान के चलते आईएमएफ ने ब्रिटेन के आर्थिक परिदृश्य को इस साल और अगले साल के लिये कम कर दिया है. दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चीन की वृद्धि 6.3 फीसदी और भारत की आर्थिक वृद्धि 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है.

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