नवरात्रि से लेकर दिवाली तक त्योहारों का मौसम जैसे ही शुरू होता है, देश का रियल एस्टेट बाजार भी रौनक से जगमगा उठता है. बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक, यह वो समय होता है जब लोग शुभ मुहूर्त देखकर घर खरीदने का सपना पूरा करते हैं. अक्सर लोग सोचते हैं कि इस दौरान सस्ते यानी किफायती घर ज्यादा बिकते होंगे, लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है. इस फेस्टिव सीजन में लग्जरी और किफायती आवासों में से होम बायर्स किसे चुन रहे हैं? आइए जानते हैं...
त्योहारों का मौसम सिर्फ ऑफर या छूट का नहीं है, यह इरादे और भावनाओं का समय है. माइक्रोमिट्टी के सीईओ मनोज धनोतिया बताते हैं कि त्योहार मांग पैदा नहीं करते, बल्कि घर खरीदने के इरादे को पक्का करते हैं. लग्जरी घर खरीदने वाले लोग इस शुभ समय का फायदा उठाकर अपनी पसंदीदा प्रॉपर्टी को सुरक्षित करते हैं, जबकि सस्ते घर खरीदने वालों को इन ऑफर्स से भावनात्मक प्रोत्साहन और आर्थिक मदद मिलती है. संक्षेप में कहें, तो त्योहार एक परफेक्ट किकस्टार्ट का काम करते हैं, जो हर तरह के खरीदार को अपना सपना पूरा करने की हिम्मत देते हैं.
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लग्जरी घर खरीदने वालों की अलग सोच
जो लोग करोड़ों के लग्जरी घर खरीदते हैं, उनका नज़रिया त्योहारों के प्रति एकदम अलग होता है. मनोज धनोतिया के अनुसार, ये लोग छूट से ज़्यादा खास लॉन्च, लिमिटेड-एडिशन डिज़ाइन और वास्तुकला की कहानी पर ध्यान देते हैं. हाल ही में, 2024 की पहली छमाही में देश के प्रमुख शहरों में 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा कीमत वाले घरों की बिक्री 40% से ज़्यादा थी. जो कि साफ़ बताता है कि हाई-एंड घरों की डिमांड सिर्फ मौसम देखकर नहीं आती. यानी अमीर खरीदार इस अवधि का उपयोग दुर्लभ डिज़ाइन हासिल करने या अतिरिक्त मूल्य (जैसे प्रीमियम फ़िटिंग) पर डील पक्की करने के लिए करते हैं.
किफायती घर खरीदने वालों की प्राथमिकता
किफायती श्रेणी में घर खरीदने वाले, खासकर पहली बार घर खरीदने वाले (First Time Buyers) के लिए, भावना और बजट दोनों का सही तालमेल होना ज़रूरी है. डेवलपर्स इस बात को समझते हैं और इसलिए त्योहारों में उन्हें लुभाने के लिए खास चीजें करते हैं. इन खरीदारों के लिए आसान ईएमआई विकल्प, स्टाम्प शुल्क में छूट और लचीली भुगतान योजनाएं सबसे बड़ी प्रेरणा होती हैं. जैसे ही आर्थिक तनाव कम होता है, घर खरीदने का इरादा तुरंत हकीकत में बदल जाता है. डेवलपर्स, कब्ज़े से जुड़ी योजनाओं या फिर कुछ वैल्यू-एडेड चीजें (जैसे फ्री मॉड्यूलर किचन) ऑफर करते हैं, ताकि ये ग्राहक खुद को स्पेशल महसूस करें और तुरंत डील फाइनल करें.
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छोटे शहरों में बढ़ रहा है रियल एस्टेट का क्रेज़
अब रियल एस्टेट की कहानी सिर्फ दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु तक सीमित नहीं रही. मनोज धनोतिया बताते हैं कि भारत के टियर-2 शहर रियल एस्टेट की नई धड़कन बन रहे हैं. इंदौर, लखनऊ, नागपुर और कोयंबटूर जैसे शहरों में अब बड़े महानगरों के बराबर त्योहारी मांग देखी जा रही है. इन शहरों के लोग भी अपनी बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए त्योहारों के शुभ समय में स्मार्ट निवेश कर रहे हैं. इतना ही नहीं यहां भावनाएं, संपत्ति बनाने की रणनीति में बदल जाती हैं, जिससे इन शहरों के बाज़ार में भारी उछाल आया है.
डेवलपर्स की रणनीति और आने वाले दिनों की तस्वीर
डेवलपर्स हर सेगमेंट के लिए अपने माल को बेचने का तरीका (Marketing Strategy) बहुत अलग-अलग रखते हैं. लग्जरी घरों को बेचने के लिए निजी कार्यक्रम (Private Previews) और ब्रांड की कहानी पर ज़्यादा जोर दिया जाता है, क्योंकि यह अमीरों की आकांक्षाएं बेचता है. वहीं, सस्ते घरों को बेचने के लिए ईएमआई-आधारित संदेशों और वित्तीय मदद पर फोकस किया जाता है, ताकि लोगों की खरीदने की झिझक दूर हो सके. एक्सपर्ट्स का मानना है कि त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद भी यह तेजी बनी रहेगी. विश्वसनीय डिलीवरी और आसान वित्तीय पहुंच के कारण, होम बायर्स अगले साल की पहली तिमाही तक अपनी खरीदारी पूरी करते रहेंगे.
भारत में, घर खरीदना सिर्फ कीमत या प्रॉपर्टी का मामला नहीं है, यह सही समय, भावना और भरोसे का मामला है. यही वजह है कि त्योहारों के मौसम में, ये तीनों मिलकर घर के मालिक बनने के सपने को और भी उज्ज्वल बना देते हैं.
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