देश के बड़े शहरों में घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे मिडिल क्लास परिवारों के लिए 1 करोड़ रुपये से कम में 2BHK खरीदना एक दूर का सपना बनता जा रहा है. फिर भी, यह पूरी तरह से असंभव नहीं है. तेजी से बढ़ती मांग, सीमित जमीन, और निर्माण लागत में वृद्धि ने मेट्रो शहरों में रियल एस्टेट को और महंगा कर दिया है. एनारॉक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में भारत के टॉप सात शहरों में घरों की बिक्री 28% घटी, जबकि कीमतों में 10-34% का उछाल देखा गया.
दिल्ली -एनसीआर और बेंगलुरु जैसे शहरों में यह बढ़ोतरी क्रमश- 34% और 20% से अधिक रही. मिडिल क्लास शख्स, जो अपने सपनों का घर खरीदने की उम्मीद रखता है, अब बढ़ते लोन ब्याज और सीमित बजट के बीच फंस गया है. हालांकि, कुछ डेवलपर्स और सरकारी योजनाएं किफायती आवास की दिशा में काम कर रही हैं, जो पहली बार खरीदने वालों के लिए अभी भी एक उम्मीद की किरण बनी हुई हैं.
राहत की बात ये है कि कमी के बावजूद, टियर-1 और टियर-2 शहरों में कुछ इलाकों में अभी भी 1 करोड़ के बजट में 2BHK फ्लैट मिल सकते हैं, बशर्ते खरीदार लोकेशन, सुविधाओं या बिल्डर की प्रतिष्ठा से समझौता करने को तैयार हों. एनारॉक ग्रुप के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार का कहना है कि टॉप शहरों में 1 करोड़ के घर अब ज्यादातर बाहरी या विकासशील इलाकों में ही मिलते हैं.
बेंगलुरु में देवनहल्ली और इलेक्ट्रॉनिक सिटी में कुछ विकल्प हैं. हैदराबाद में कोकापेट और नरसिंगी में मौके हैं. दिल्ली- एनसीआर में सोहना, राज नगर एक्सटेंशन और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में संभावनाएं हैं. मुंबई के बाहरी इलाकों जैसे मीरा रोड, नायगांव और पनवेल में भी कुछ हद तक बजट में घर मिल सकते हैं.
आरपीएस ग्रुप के डायरेक्टर अमन गुप्ता ने बताया कि द्वारका एक्सप्रेसवे और नोएडा सेक्टर 150 जैसे उभरते कॉरिडोर में 1 करोड़ से कम के फ्लैट उपलब्ध हैं, हालांकि इनमें लंबी दूरी का सफर और कम विकसित सामाजिक ढांचा जैसे समझौते करने पड़ सकते हैं.
यह भी पढ़ें: Jaypee Wish Town में किसी को घर मिलने का इंतजार, तो कोई अव्यवस्था से है परेशान
इस बीच, टियर-2 शहर खरीदारों और निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प बनकर उभर रहे हैं. इंदौर, कोयंबटूर और लखनऊ जैसे शहरों में 1 करोड़ रुपये में शहर के बीचों-बीच बड़े और सुविधाओं वाले फ्लैट मिल सकते हैं. गुप्ता ने बताया- इंदौर में विजय नगर और सुपर कॉरिडोर में हर साल 27% कीमतें बढ़ रही हैं. लेकिन दबाव हकीकत है. 2021 से 2025 तक दिल्ली एनसीआर में घरों की कीमतें 89% बढ़ीं. अब 41% से ज्यादा नए प्रोजेक्ट लग्जरी हाउसिंग के हैं, जबकि मिड-सेगमेंट का हिस्सा घटकर 32% रह गया है.
खरीदारों को साइज, लोकेशन या सुविधाओं में समझौता करना पड़ता है. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कनेक्टिविटी और बिल्डर की विश्वसनीयता को प्राथमिकता दें. जिनके लिए मेट्रो शहर महंगे हो गए हैं, उनके लिए टियर-2 शहर न सिर्फ किफायती हैं, बल्कि बेहतर लाइफस्टाइल भी दे सकते हैं.
यह भी पढ़ें: 15 होली, 15 दिवाली बीत गई, नहीं मिला घर... Rudra Palace Heights के बायर्स कब तक रहेंगे 'बेघर'?
aajtak.in