कोरोना वायरस महामारी की वजह से पाकिस्तान को FATF ने चार महीने की अंतरिम राहत दे दी है. दरअसल पाकिस्तान फिलहाल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में है और वो इससे बाहर निकलने की कोशिश में जुटा है. जून महीने में फैसला होना था कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किया जाए या फिर उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाए.
लेकिन अब कोरोना की वजह से पाकिस्तान को चार महीने का वक्त मिल गया है. यानी जून में FATF की होने वाली बैठक अब 4 महीने बाद होगी. इस राहत के साथ ही FATF ने पाकिस्तान से कहा है कि उसे हर हाल में आतंकियों के वित्त पोषण बंद करना होगा. एफएटीएफ ने चेतावनी दी कि वह आतंकी संगठनों के वित्त पोषण या उनकी गतिविधियों को रोकने के प्रयास में कोई छूट नहीं दे रहा है.
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 बिंदुओं पर एक्शन लेने के लिए जून तक का वक्त दिया है. अगर पाकिस्तान अपने वादों पर खरा नहीं उतरता है तो फिर एफएटीएफ उसे ब्लैक लिस्ट में डाल सकता है, जो कि पाकिस्तान के लिए किसी सजा से कम नहीं होगी.
हालांकि, अगर पाकिस्तान इस समय अवधि में उस 27 प्वाइंट एक्शन प्लान पर काम करता है, तो फिर वो ग्रे-लिस्ट से बाहर आ सकता है. इससे पहले पाकिस्तान ने 8 जनवरी को 650 पेज की रिव्यू रिपोर्ट FATF को सौंपा था. एफएटीएफ द्वारा आतंकी संगठनों को फंड मुहैया कराने को लेकर पूछे गए 150 सवालों को लेकर यह रिपोर्ट सौंपी गई थी.
बता दें, आतंकवाद को समर्थन देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान ग्रे-लिस्ट में डाल दिया था. पाकिस्तान पर आरोप था कि वह आतंकी संगठनों को फंड मुहैया कराने वाले नेटवर्क का समर्थन करता है. बाद में एफएटीएफ के दबाव के चलते पाकिस्तान ने दिखावे के लिए कुछ कदम उठाए लेकिन वह अपनी कार्रवाई से एफएटीएफ को संतुष्ट नहीं कर पाया है.
वहीं एफएटीएफ की फंडिंग के बिना पाकिस्तान की स्थिति बिगड़ जाती है, लिहाजा एफएटीएफ को दिखाने के लिए पाकिस्तान लंबे समय से ये कहता रहा है कि वो आतंकियों पर कड़ा एक्शन लेता है. लेकिन बार-बार ऐसी जानकारी सामने आती रही है कि पाकिस्तान जो कहता है वो दरअसल करता नहीं है. यही वजह है कि एफएटीएफ की फंडिंग के लिये भी पाकिस्तान को नाकों-चने चबाने पड़ते हैं.
इस बीच अब ये जानकारी आई है कि पाकिस्तान ने आतंकी निगरानी सूची यानी टेररिस्ट वॉचलिस्ट से 3800 नाम हटा दिए हैं. आतंकी निगरानी सूची के बारे में ये ताजा जानकारी वेबसाइट Castellum.AI ने जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी निगरानी सूची में जहां 2018 में 7600 नाम थे, वो अब घटकर 3800 के नीचे आ गये हैं. Castellum.AI का डाटा दिखाता है कि 9 मार्च से 27 मार्च के बीच पाकिस्तान ने आतंकी निगरानी सूची से 1069 नाम हटाए.
क्या है ग्रे लिस्ट?
जी-7 देशों की पहल पर एफएटीएफ की स्थापना 1989 में हुई थी. इस संगठन में 37 सदस्य हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने में नाकाम देशों की रेटिंग तैयार करना है.