ऊर्जा की खपत देश के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पैमाना होता है. मौजूदा वित्त वर्ष में भारत में बिजली की मांग 6 फीसदी तक घट सकती है. रेटिंग एजेंसी इक्रा के ताजा अनुमान के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण देश में बिजली की मांग पिछले साल की तुलना में 6 फीसदी कम रहेगी. (Photo: File)
एजेंसी ने अपने पिछले अनुमान में बिजली की खपत एक फीसद घटने की आशंका जताई थी. दरअसल, तमाम बंदिशों और व्यवस्थाओं के बावजूद कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है. ऐसी स्थिति में देश के विभिन्न राज्यों में दोबारा से लॉकडाउन लगाया जा रहा है. (Photo: File)
राज्यों की बंदी में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होना स्वाभाविक है, जो बिजली की खपत घटने का भी कारण बनेगा. साल 2019-20 में बिजली की मांग 1,291 अरब यूनिट रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बिजली की मांग में सालाना आधार पर 16.2 प्रतिशत की कमी आई. इसका कारण देशव्यापी लॉकडाउन था. (Photo: File)
खपत कम होने की पहली वजह
नए अनुमान के मुताबिक, ऊर्जा मांग में चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में 3.5 से 4 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है जबकि चौथी तिमाही में करीब एक प्रतिशत की मामूली वृद्धि होगी. इसके पीछे मुख्य वजह देश में औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों में धीमी गति से वृद्धि होना है. (Photo: File)
खपत कम होने की दूसरी वजह
इक्रा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सब्यसाची मजूमदार कहते हैं, "ऊर्जा की मांग में कमी से बिजली वितरण कंपनियों की आय और नकद संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है." अधिक शुल्क देने वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक ग्राहकों की ओर से बिजली खपत में कमी आई है और अन्य ग्राहकों से भी नकदी संग्रह पर असर पड़ा है. (Photo: File)
मजूमदार बताते हैं, "इसके कारण वितरण कंपनियों के लिए राजस्व में अंतर 2020-21 में बढ़कर 420 से 450 अरब रुपए रहने का अनुमान है जबकि पूर्व में इसके 200 अरब रुपए रहने का अनुमान लगाया गया था." (Photo: File)
खपत कम होने की तीसरी वजह