तेल तो बहाना, डॉलर का है पूरा खेल... भारत ही नहीं रूस, चीन और ब्राजील भी ट्रंप के टैरिफ गेम में निशाने पर

Donald Trump ने भारत पर पहले लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ को बढ़ाकर अब 50 फीसदी कर दिया है और इसके पीछे रूस से तेल (Russian Oil) की खरीद को कारण बताया है, लेकिन असल मायने में ट्रंप की बौखलाहट की सिर्फ यही एक वजह नहीं है, बल्कि ये पूरा खेल Dollar से जुड़ा है.

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ट्रंप की बौखलाहट का सिर्फ रूसी तेल कारण नहीं (Photo: ITGD) ट्रंप की बौखलाहट का सिर्फ रूसी तेल कारण नहीं (Photo: ITGD)

दीपक चतुर्वेदी

  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर 25 फीसदी का एक्स्ट्रा टैरिफ लगाते हुए इसे बढ़ाकर कुल 50 फीसदी कर दिया है. बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर साइन करते हुए ट्रंप ने कहा कि रूसी तेल लगातार खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है. अब भारत ट्रंप की सबसे ज्यादा मार झेलने वाले देशों में शामिल हो गया है.

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हालांकि, भारत ने इसे अनुचित और अन्यायपूर्ण बताते हुए अपने हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने की बात कही है. क्योंकि भारत ही नहीं बल्कि ब्राजील, रूस, चीन जैसे देश भी ट्रंप के निशाने पर हैं और इन सभी को लगातार वे आंखें दिखा रहे हैं लेकिन कोई भी टैरिफ धमकियों के आगे झुकने को तैयार नहीं. दरअसल, तेल को सिर्फ एक मुद्दा है, असली खेल तो US Dollar का है, जिसने अमेरिका की नींद उड़ा रखी है. आइए समझते हैं कैसे? 

ट्रंप का 50% टैरिफ वार... भारत का पलटवार
Trump ने बुधवार को ऐलान किया कि भारत अमेरिका की बात सुनने के बजाय लगातार रूसी तेल का आयात कर रहा है और ये US के लिए एक असामान्य और असाधारण खतरा है. ऐसा करते हुए भारत यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस को आर्थिक मदद देने का काम कर रहा है. अमेरिका के इस कदम की भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ी निंदा की और कड़े शब्दों में कहा कि हालिया दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है. हमारा आयात बाजार कारकों पर आधारित है और 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है. भारत देश के हित में अब उचित कदम उठाएगा. 

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आखिर किस डर से इतना बौखला रहे हैं ट्रंप? 
अब बताते हैं कि आखिर ऐसा कौन सा डर है, जिसे लेकर ट्रंप इतना बौखलाए हुए हैं और न केवल, भारत बल्कि चीन, रूस और ब्राजील पर नजरें टेढ़ी किए हुए हैं. तो भले ही ट्रंप रूसी तेल को मुद्दा बनाकर उसके साथ व्यापार करने वाले देशों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसा करते Russia-Ukraine War को बढ़ावा दिया जा रहा है और रूस की आर्थिक मदद की जा रही है. लेकिन ये एकमात्र मुद्दा नहीं है, ट्रंप की इस बौखलाहट के पीछे, बल्कि असली खेल तो Dollar का है. जी हां, भारत और ब्राजील ही नहीं बल्कि उन्हें BRICS समूह के सभी देश खटक रहे हैं. 

इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल महीने में जब Donald Trump ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, तो उसके तुरंत बाद ही ब्रिक्स पर 10 फीसदी का एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी दे दी थी. ये उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है और इसमें भारत समेत ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका के अलावा ईरान, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात भी हैं. ये सभी देश डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने के पक्ष में हैं और रूस और चीन तो आपस में अपनी करेंसी में ही ट्रेड कर रहे हैं और ट्रंप को इसी बात का सबसे ज्यादा डर सता रहा है. 

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डॉलर का प्रभुत्व कम होना US के लिए खतरा
US Dollar पर बड़े देशों द्वारा निर्भरता कम करने की इस तैयारी से ट्रंप डरे हुए हैं, क्योंकि अमेरिका के प्रभुत्व के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है. जिसके चलते वे भारत समेत अन्य ब्रिक्स सदस्यों पर आंख टेड़ी किए हुए हैं. इससे पहले उन्होंने ब्राजील पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया, चीन के साथ ही टैरिफ को लेकर ट्रेड वॉर दुनिया ने देखा, तो रूस भी झुकने को तैयार नजर नहीं आ रहा. ट्रंप ने बीते दिनों एक बयान भी दिया था जिससे उनका डर साफ समझा जा सकता है इसमें उन्होंने कहा था कि 'Dollar का रिजर्व करेंसी स्टेटस खोना, एक विश्व युद्ध हारने जैसा होगा.' उन्होंने कहा था कि बयान में ट्रंप ने दावा किया था कि डॉलर में गिरावट अमेरिका को पूरी तरह से बदल देगी और ये पहले जैसा देश नहीं रहेगा.

1944 से रिजर्व करेंसी, अब खतरे में
अमेरिकी डॉलर दुनियाभर के देशों में इस्तेमाल की जाने वाली रिजर्व करेंसी है और बीते आठ दशक यानी 1944 से ही US Dollar का प्रभुत्व है. दुनिया भर के सेंट्रल बैंक अपनी फाइनेंशियल सेफ्टी के लिए डॉलर रिजर्व रखते हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो करीब 90% विदेशी मुद्रा लेन-देन डॉलर में ही होता है. लेकिन ब्रिक्स देशों की इसपर निर्भरता कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदम इससे वर्ल्ड रिजर्व करेंसी का तमगा छीन सकते हैं. ब्रिक्स इसलिए भी खास है, क्योंकि ये World GDP में 35% से अधिक का योगदान देता है, अगर इसमें शामिल देश ग्लोबल ट्रेड में डॉलर के उपयोग को कम कर देंगे, तो ये अमेरिका के लिए संकट की वजह बनेगा.

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भारत, रूस, चीन जैसे देशों पर सख्त ट्रंप
डॉलर को लेकर ट्रंप के डर के चलते ही वे लगातार ब्रिक्स में शामिल देशों को धमकियां देते जा रहे हैं, ताकि वो ऐसा कोई कदम न उठा सकें, जो Dollar को कमजोर करे. रूस को लेकर देखें, यूक्रेन से युद्ध का हवाला देते हुए अमेरिका ने हाई टैरिफ की धमकी दी है, तो इस युद्ध में तमाम देशों द्वारा तेल खरीद के जरिए रूस की आर्थिक मदद को कारण बताते हुए ट्रंप ने ब्रिक्स के अन्य देशों को भी लपेटे में ले लिया. चीन के साथ ट्रेड वॉर से दुनिया वाकिफ है. वहीं ब्राजील पर तो 50 फीसदी का टैरिफ पहले ही जड़ा जा चुका है. अब भारत उनकी हिटलिस्ट में शामिल हो चुका है. लेकिन खास बात ये है कि इनमें से कोई भी देश ट्रंप की धमकियों के आगे झुकने को तैयार नहीं दिख रहे. 

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