भारत-रूस दोस्ती से ट्रंप को चिढ़, 25% टैरिफ की धमकी... जानिए भारत के पास अब क्या है विकल्प

US-India Trade Deal Updates: भारत एक संतुलित समझौता चाहता है, जो उसके 140 करोड़ लोगों, विशेष रूप से 70 करोड़ कृषि-निर्भर आबादी के हितों की रक्षा करे. जबकि अमेरिका अपने उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच चाहता है. 

Advertisement
ट्रंप टैरिफ को लेकर लगातार दबाव वाली रणनीति अपना रहे हैं. (Photo: ITG) ट्रंप टैरिफ को लेकर लगातार दबाव वाली रणनीति अपना रहे हैं. (Photo: ITG)

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:30 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है. ट्रंप ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर दी है. लेकिन ट्रंप ने भारत पर टैरिफ थोपने के साथ जो मैसेज दिया है, उससे लगता है कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. 

दरअसल, ट्रंप टैरिफ को लेकर लगातार दबाव वाली रणनीति अपना रहे हैं, दोनों देशों के बीच इस मसले को लेकर कई बैठकें हुईं, अगले महीने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत आने वाला है. फिर अचानक ट्रंप का ये ऐलान क्यों, इसका जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं. 
 
अमेरिका यानी डोनाल्ड ट्रंप जो चाहते हैं, उसपर भारत बिल्कुल समझौते को तैयार नहीं है. भारत खासकर कृषि, डेयरी, फॉर्मा और डिजिटल जैसे सेक्टर में अमेरिका के लिए पूरी तरह से बाजार खोलने को तैयार नहीं है. भारत एक संतुलित समझौता चाहता है, जो उसके 140 करोड़ लोगों, विशेष रूप से 70 करोड़ कृषि-निर्भर आबादी के हितों की रक्षा करे. भारत अपनी खाद्य सुरक्षा, किसानों के हित, और रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि अमेरिका अपने उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच चाहता है. 

Advertisement

अमेरिका क्या चाहता है...
अमेरिका भारत से अपने कृषि और डेयरी उत्पादों, खासकर (नॉन-वेज मिल्क) और जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसलों के लिए बाजार खोलने और इन पर टैरिफ कम करने की मांग कर रहा है. अमेरिका चाहता है कि भारत इन सेक्टर्स में 100% तक के टैरिफ को हटाए या कम करे. जिसपर भारत बिल्कुल सहमत नहीं है. क्योंकि भारत में इससे एक बड़ा वर्ग प्रभावित हो जाएगा. खासकर छोटे किसानों पर इसका असर हो सकता है. 

भारत में दूध को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से पवित्र माना जाता है, और मांसाहारी चारा खाने वाले मवेशियों से प्राप्त दूध (Non Veg Milk) को बाजार में अनुमति देना भारत के लिए स्वीकार्य नहीं है. भारत ने सुझाव दिया है कि अमेरिका से आयातित दूध पर यह स्पष्ट रूप से उल्लेख हो कि यह शाकाहारी चारा खाने वाले मवेशियों से प्राप्त है. 

Advertisement

अमेरिका स्टील, ऑटो पार्ट्स, और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारत से टैरिफ कम करने की मांग कर रहा है, जबकि भारत इन क्षेत्रों में अपने हितों की रक्षा करना चाहता है. भारत ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क में छूट देने की पेशकश की है. लेकिन डेयरी और कृषि को छोड़कर. अगर अमेरिकी डेयरी और कृषि उत्पादों को भारतीय बाजार में अनुमति दी जाती है, तो भारतीय किसानों को भारी नुकसान हो सकता है, जिससे लगभग 8 करोड़ लोगों के रोजगार पर असर पड़ सकता है.

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26% पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, फिर इसे 9 जुलाई, 2025 तक के लिए टाल दिया गया था. उसके बाद से दोनों देशों के बीच लगातार बैठकें चल रही हैं, इसी बीच अब ट्रंप ने एकतरफा ऐलान करते हुए 1 अगस्त, 2025 से भारत पर 25% टैरिफ लगाने की बात कही है. 

ट्रंप के दबाव के पीछे ये असली वजह 
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रिश्ते हैं. जो अब अमेरिका को चुभ रहा है. ट्रंप टैरिफ के बहाने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि रूस के साथ भारत अपना व्यापार बंद कर दे, ट्रंप के मैसेज को समझने की कोशिश करें तो साफ है कि टैरिफ तो केवल बहाना है. भारत रूस से जो सैन्य उपकरण और तेल खरीद रहा है, उससे अमेरिका को परेशानी है. ट्रंप ने भारत के रूस के साथ सैन्य और ऊर्जा सहयोग की निंदा की है. अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव रखा है, इसे भारत पर भी दबाव के तौर पर देखा जा रहा है. 

Advertisement

डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने भारत के साथ पिछले कई वर्षों में अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत अधिक हैं, दुनिया में सबसे अधिक हैं. जो कि अमेरिका को व्यापार व्यापार बढ़ाने से रोकता है. 

अभी क्या बचा है विकल्प
हालांकि टैरिफ का राग डोनाल्ड ट्रंप वर्षों से अलापते आए हैं. लेकिन अभी जिस तरह से ट्रंप ने टैरिफ को लेकर एकतरफा ऐलान किया है, उससे तो साफ है कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर जो बातचीत चल रही है, उसपर आपसी सहमति नहीं बन पाई है. हालांकि अभी भी दो दिन का वक्त है और ट्रंप यू-टर्न के लिए जाने जाते हैं. हो सकता है एकतरफा ऐलान कर भारत पर दबाव बनाने का एक और कवायद हो.

जानकारों की मानें तो बातचीत के दरवाजे अभी भी खुले हुए हैं, और ट्रंप के इस ऐलान को अंतिम नहीं माना जाए. भारत सरकार के प्रतिनिधि लगातार व्हाइट हाउस के टच में है, और उम्मीद की जा सकती है कि अगले कुछ दिनों में कुछ बेहतर निकल कर आए.    
भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 25 फीसदी टैरिफ भारत पर लगाने का ऐलान कर दिया है. लेकिन इस पर भारत सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इससे पहले भारत ने ट्रेड डील को लेकर कई मुद्दों पर सहमति ने इनकार कर दिया था.

Advertisement

भारत कतई नहीं, 25 फीसदी टैरिफ के पक्ष में होगा. भारत अमेरिका से कई सेक्टर्स में 10% टैरिफ को शून्य करने की मांग कर रहा है. जबकि अमेरिका अपने स्टील और एल्यूमीनियम पर 50% टैरिफ को बनाए रखना चाहता है, जिसे भारत हटाने की मांग कर रहा है. 

अमेरिका ने भारत के बढ़ते 'क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स' (QCOs) पर चिंता जताई है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का हिस्सा है. ये नियम निम्न गुणवत्ता वाले आयात पर अंकुश लगाने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए है. लेकिन अमेरिका इसे व्यापार में बाधा मानता है. 

वहीं अगर अमेरिकी जबरन 25 फीसदी टैरिफ भारत पर थोपता है तो फिर भारत भी तैयार है. भारत दूसरे विकल्पों पर विचार करेगा. खासकर अमेरिका से जो डिमांड प्रभावित होंगी, उसके लिए दूसरे बाजार तलाशे जाएंगे. साथ ही भारत टैरिफ बढ़ा सकता है. 

इन सेक्टर्स पर दिखेगा असर

टैरिफ का तत्काल प्रभाव ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, स्टील, एल्यूमीनियम, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण और कई खाद्य श्रेणियां पर देखने को मिल सकती है. फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स, और महत्वपूर्ण खनिजों को अभी के लिए नए उपायों से छूट दी गई है.

विश्लेषकों का ये भी कहना है कि भारत के टैरिफ दरें चीन (34%) और वियतनाम (46%) पर लगाए गए टैरिफ की तुलना में अभी भी बेहतर हैं. जिससे रसायन, गारमेंट्स जैसे क्षेत्रों में भारत अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है, और व्यापार बढ़ा सकता है. 

Advertisement

भारत-अमेरिका के रिश्ते 

इससे पहले भारत ने जब परमाणु परीक्षण किया था, उसके बाद भी भारत को ऐसे ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. लेकिन उस समय भी भारत ने मजबूत इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया था. जिसके बाद भारत को लेकर धीरे-धीरे अमेरिका का रुख नरम हुआ और खुद अमेरिका ने भारत से रिश्ते सुधारे. 

 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement