बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद महागठबंधन और विशेष तौर पर आरजेडी में उथल-पुथल तेज हो गई है. पार्टी की करारी हार से पहले ही परिवार और संगठन के भीतर मतभेदों की फुसफुसाहट सुनाई दे रही थी, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद हालात विस्फोटक हो गए. 2022 में जिस लाडली बेटी रोहिणी ने लालू यादव को किडनी दी थी, उन्होंने शनिवार को राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया.
2024 के लोकसभा चुनाव से ही राजनीति में कदम रखने वाली रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट में दावा करते हुए कहा कि वह सारी गलती और सारे आरोप अपने ऊपर ले रही हैं, जैसा कि संजय यादव और रमीज ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था. अब वह राजनीति छोड़ रही हैं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हैं.
उनके इस बयान ने सीधे तौर पर आरजेडी के राज्यसभा सांसद और तेजस्वी यादव के सबसे करीबी सहयोगी संजय यादव को केंद्र में ला खड़ा किया है. पार्टी या परिवार की ओर से अब तक इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो परिवार में बढ़ती नाराजगी के चलते आने वाले दिनों में पार्टी सुप्रीमो लालू यादव संजय यादव के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं.
लालू परिवार में संजय यादव को लेकर नाराजगी?
दरअसल, लालू परिवार के दो सदस्य तेज प्रताप और रोहिणी, संजय यादव को लेकर खुलकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. आरोप है कि संजय यादव के चलते तेज प्रताप यादव को आरजेडी से बेदखल किया गया था. तेज प्रताप खुले तौर पर संजय यादव को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं और कई मौकों पर उन्हें 'जयचंद' कहकर निशाना साध चुके हैं। अब जब रोहिणी आचार्य भी इसी सुर में बोलती दिख रही हैं. इससे पहले भी रोहिणी यादव ने तेजस्वी की 'बिहार अधिकार यात्रा' की बस में फ्रंट सीट पर संजय के बैठने पर आपत्ति दर्ज कराई थी.
आखिर कौन हैं संजय यादव?
यही वजह है कि अब सवाल उठ रहा है आखिर कौन हैं संजय यादव, जिनको लेकर लालू परिवार के भीतर इतना बड़ा बवाल मचा है? आइए जानते हैं-
संजय यादव मूल रूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले हैं. पढ़ाई-लिखाई में बेहद तेज माने जाने वाले संजय ने कंप्यूटर साइंस में M.Sc और उसके बाद MBA किया है. मैनेजमेंट, डेटा एनालिसिस और रणनीति बनाने में उनकी पकड़ मजबूत है. राजनीति में आने से पहले वे एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. उनकी भाषा में हरियाणवी की झलक साफ दिखाई देती है, लेकिन बिहार की राजनीति में उनका दखल और प्रभाव किसी दिग्गज से कम नहीं.
दिल्ली में हुई तेजस्वी से दोस्ती
जानकारी के मुताबिक संजय और तेजस्वी की दोस्ती बहुत पुरानी है. दोनों की पहली मुलाकात दिल्ली में हुई थी. कहा तो ये भी जाता है कि दोनों पहले साथ में ही क्रिकेट खेला करते थे. फिर साल 2012 से संजय यादव की धीरे-धीरे आरजेडी में सक्रियता बढ़ती गई, क्योंकि तभी से तेजस्वी ने उनसे राजनीतिक मामलों पर सलाह लेनी शुरू कर दी थी. बस फिर क्या था. संजय यादव ने नौकरी छोड़ी और तेजस्वी के 'फुल-टाइम' पार्टी से जुड़कर काम करने का ऑफर ले लिया. 2015 के बिहार चुनाव से ही वह पार्टी के लिए काम करने लगे. आज के समय में उन्हें तेजस्वी का राइड हैंड भी कहा जाता है. आरजेडी ने 2024 से संजय यादव को राज्यसभा भेजा.
2025 के चुनाव में संजय यादव की रही अहम भूमिका
इस बार के विधानसभा चुनावों में संजय यादव भूमिका बेहद अहम बताई जाती है. आरजेडी की रणनीति, सीट शेयरिंग से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह संजय की मौजूदगी महत्वपूर्ण रही. तेजस्वी ने चुनावी बैठकों और गठबंधन से बातचीत के दौरान कई जगहों पर संजय को अपने साथ रखा. बताया जाता है टिकट आवंटन को लेकर भी संजय यादव का बेहद बड़ा प्रभाव था, और कई फैसले उन्हीं की सलाह पर हुए, जिसके बाद पार्टी के भीतर विरोध तेज हो गया. यही कारण है कि पार्टी के कई नेता आरोप लगा चुके हैं कि संजय की वजह से उनका टिकट काटा गया.
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