राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संरक्षक लालू प्रसाद यादव ने परिवारिक अंतर्कलह के बीच सोमवार को अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर मुहर लगाई. राजद ने तेजस्वी को विधायक दल का नेता चुना. बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बावजूद लालू ने तेजस्वी का समर्थन किया और उन्हें 'भविष्य का नेता' बताया. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने पटना में पार्टी के विधायक दल की बैठक में यह टिप्पणी की.
नवनिर्वाचित विधायकों से लालू यादव ने कहा कि तेजस्वी ने पार्टी को आगे बढ़ाया है और आगे भी काम करेंगे. तेजस्वी यादव ने विधायक दल की बैठक में कहा कि जो चुनाव परिणाम आए हैं, इसकी हमें उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा कि चुनाव की समीक्षा बैठक में हमने एक-एक सीट का फीडबैक लिया. कम अंतर से हारी सीटों के बारे में पूछा. हमने अपने प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं से यह जांचने के लिए कहा कि क्या ईवीएम के वोट और उनके आकलन में अंतर है? अगर कोई सबूत हैं तो हम कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगे.
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बता दें कि 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी राजद को इस बार सिर्फ 25 सीटें मिलीं. राजद, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (VIP), इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) और वामपंथी दलों वाले महागठबंधन ने कुल मिलाकर 35 सीटें जीतीं. राजद ने सोमवार को हुई बैठक में, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) से होने वाले मतदान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए और पोस्टल-बैलट से चुनाव कराने की मांग की. साथ ही, उसने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को भी चुनाव में महागठबंधन के खराब प्रदर्शन के के लिए जिम्मेदार ठहराया.
बैठक में राजद नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा, 'यह जनादेश मशीन मैनेजमेंट से आया है... 90 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट दुनिया के किसी भी राजनीतिक दल के लिए संभव नहीं है.' उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, 'बिहार चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक में पार्टी प्रमुख लालू यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, जगदानंद सिंह और उदय नारायण सिंह सहित वरिष्ठ नेताओं ने जनादेश पर अपने विचार व्यक्त किए. यह स्पष्ट है कि न तो जनता और न ही राजनीतिक दल इस जनादेश को पचा पा रहे हैं. यह जनादेश मशीनरी प्रबंधन से आया है.'
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इस बार के चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी निवर्तमान बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता थे. किसी भी पार्टी को अपने किसी विधायक को सदन में विपक्ष का नेता बनाने के लिए विधानसभा की कुल सीटों के कम से कम 10 प्रतिशत सीटों की आवश्यकता होती है. बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं, इस हिसाब से नेता विपक्ष के पद के लिए किसी पार्टी को कम से कम 24 सदस्यों की जरूरत होगी. राजद इस चुनाव में मामूली अंतर से नेता विपक्ष का पद बचा सकी है, क्योंकि इस बार उसके सिर्फ 25 विधायक जीते हैं.
हिमांशु मिश्रा