बिहार की राजनीति में तेज प्रताप यादव की नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) ने बड़ी घोषणा की है. JJD की एक हालिया बैठक में फैसला लिया गया है कि वे मौजूदा एनडीए सरकार को नैतिक समर्थन देंगे. इस कदम को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे लालू-परिवार से उनकी दूरी और ज्यादा स्पष्ट होती है.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम यादव ने मीडिया को बताया कि बैठक में तेज प्रताप यादव ने यह प्रस्ताव भी रखा कि रोहिणी आचार्य को उनकी पार्टी का राष्ट्रीय संरक्षक बनाया जाए. प्रेम यादव ने कहा, "तेज प्रताप जी ने कहा है कि वे जल्द ही रोहिणी दीदी से इस विषय पर बात करेंगे और उन्हें हमारी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक बनने की विनती करेंगे."
यह भी पढ़ें: रोहिणी आचार्य के बाद लालू यादव की तीन और बेटियां दिल्ली के लिए रवाना, परिवार में बढ़ा विवाद!
तेज प्रताप यादव ने पहले ही लालू-परिवार के साथ अपने राजनीतिक और पारिवारिक मतभेदों को सार्वजनिक किया है. वे अब अपनी अलग राह पर चलने की कोशिश कर रहे हैं, और यह नैतिक समर्थन उनकी नई पॉलिटिकल पहचान को मजबूत कर सकता है. उन्होंने RJD को 'फर्जी पार्टी' बताते हुए कहा है कि उनकी जनशक्ति जनता दल ही "असली लालू यादव पार्टी" है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह कदम तेज प्रताप की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. वे RJD के टूटे गठबंधन से बाहर होने के बाद अपनी स्वतंत्र पहचान बनाना चाहते हैं और सत्ता समीकरण में प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं.
तेज प्रताप ने पार्टी के खिलाफ उतारे थे कैंडिडेट्स
परिवार से अलग होने के बाद लालू यादव के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल (JJD) के संस्थापक तेज प्रताप यादव ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया. RJD से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई थी. उनकी पार्टी ने पूरे राज्य में 21 उम्मीदवार उतारे, जिनमें वे खुद भी शामिल थे.
यह भी पढ़ें: लालू परिवार में क्या है विवाद की असल जड़? पहले तेज प्रताप और अब रोहिणी ने छेड़ी महाभारत
तेज प्रताप महुआ सीट से चुनाव लड़ रहे थे, जिसे पहले RJD का मजबूत क्षेत्र माना जाता था. हालांकि तेज प्रताप शुरू में काफी आत्मविश्वास में थे और कहते थे कि उनकी पार्टी 10-15 सीटें जीत सकती है, लेकिन नतीजे बिल्कुल अलग निकले. तेज प्रताप और JJD का कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका.
तेज प्रताप यादव महुआ सीट से अपना चुनाव भी हारे
महुआ सीट पर तेज प्रताप तीसरे नंबर पर रहे. उनसे आगे एलजेपी (राम विलास) के संजय कुमार सिंह और RJD के मुकेश कुमार रोशन रहे. संजय कुमार सिंह ने आराम से यह सीट जीत ली, जिससे साफ दिखा कि JJD का प्रभाव ना के बराबर रहा और तेज प्रताप की राजनीतिक स्थिति भी कमजोर हुई है.
कुल मिलाकर बिहार चुनाव में NDA ने 243 में से 200 से ज्यादा सीटें जीतकर बड़ी जीत हासिल की. चुनाव हारने के बाद तेज प्रताप ने सार्वजनिक रूप से अपनी हार स्वीकार की और कहा कि वे जनता के फैसले का सम्मान करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हार के बावजूद वे बिहार की सेवा सकारात्मक तरीके से करते रहेंगे.
अनिकेत कुमार