पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज, जिसने बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती, उसने दावा किया है कि उसकी कुछ वोटर बेहतरीन कार्य करने के बावजूद बीजेपी-नेतृत्व वाले NDA के साथ चले गए, क्योंकि उन्हें RJD के आने से ‘जंगल राज’ लौटने का डर था. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह डर मतदाताओं के मन में मौजूद था और कई लोग जो जन सुराज को मौका दे सकते थे, उन्होंने NDA को वोट दिया.
सीमांचल में ध्रुवीकरण का असर
उदय सिंह ने कहा कि दिल्ली के लाल किले के पास धमाके के बाद सीमांचल क्षेत्र में मत ध्रुवीकरण हुआ. उन्होंने स्पष्ट किया कि समस्या RJD के साथ थी, न कि कांग्रेस या महागठबंधन के अन्य दलों के साथ. उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय ने पार्टी पर पर्याप्त भरोसा नहीं दिखाया, हालांकि भविष्य में उनका समर्थन मिलने की उम्मीद है.
जन सुराज की कार्यशैली और वोट शेयर
जन सुराज ने बेरोजगारी, पलायन और उद्योगों की कमी जैसे मुद्दों को उठाकर विशेष रूप से उच्च जाति के युवाओं में ध्यान खींचा, लेकिन यह वोटों में तब्दील नहीं हो सका. उदय सिंह ने बताया कि पार्टी का कुल वोट शेयर केवल चार प्रतिशत रहा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नीतिश कुमार सरकार ने चुनाव से पहले जनता को रियायतों और योजनाओं के जरिए प्रभावित करने के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये खर्च किए.
महिला वोटरों पर असर
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर किए गए, जो मतदान से पहले तक जारी रहे, जिससे महिलाएं प्रभावित हुईं. उदय सिंह ने कहा कि जन सुराज अब देख रहा है कि सरकार शेष 2 लाख रुपये महिलाओं के खातों में कब और कैसे ट्रांसफर करेगी.
विपक्ष के लिए अभी भी जगह है
भले ही NDA ने भारी जीत हासिल की. उदय सिंह ने कहा कि विपक्ष के लिए बिहार में अभी भी स्थान है, क्योंकि NDA ने कुल मतों का 50 प्रतिशत से कम हासिल किया. उन्होंने यह भी कहा कि जन सुराज ने वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाने का वादा किया, जिस पर सरकार को राशि बढ़ानी पड़ी.
NDA की बंपर जीत
NDA ने महागठबंधन को करारी हार दी और सत्ता बनाए रखी. BJP और JD(U) ने 101-101 सीटों पर लगभग 85 प्रतिशत स्ट्राइक रेट दर्ज किया. NDA ने 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में तीन-चौथाई बहुमत के लिए '200 पार' जीत हासिल की, जिसमें BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
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