राज्यसभा चुनाव: ओवैसी बने किंगमेकर... बिहार में बिना AIMIM न एनडीए की दाल गलेगी न इंडिया ब्लॉक की

बिहार में अगले साल 2026 में पांच राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. इस चुनाव में चार सीटें एनडीए आसानी से जीत सकती है, लेकिन मुख्य मुकाबला पांचवीं राज्यसभा सीट के लिए है. ओवैसी के समर्थन के बिना एनडीए और इंडिया ब्लॉक किसी के लिए जीत आसान नहीं है. ऐसे में देखना होगा कि ओवैसी किसे समर्थन करते हैं?

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बिहार राज्यसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी किंगमेकर (Photo-AIMIM) बिहार राज्यसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी किंगमेकर (Photo-AIMIM)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव ने इस बार सारे गेम ही बदलकर रख दिए हैं, जिसका इम्पैक्ट सिर्फ सरकार बनाने के खेल तक नहीं बल्कि सूबे की सियासत पर गहरी छाप छोड़ी है. AIMIM प्रमख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पांच सीटें जीतकर भले ही सत्ता की दशा और दिशा तय करने में रोल अदा ना कर सके हों, लेकिन राज्यसभा चुनाव के असल किंगमेकर बनकर उभरे हैं. ओवैसी के समर्थन लिए बिना ना ही एनडीए और ना इंडिया ब्लॉक जीत सकती है?

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अप्रैल 2026 में बिहार की पांच राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं. ऐसे में मार्च 2026 तक पांचों राज्यसभा सीटों पर चुनाव कराए जा सकते हैं, जिसके लिए अभी से ही सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. विधानसभा सदस्यों के लिहाज से चार सीटें आसानी से सत्तापक्ष यानी एनडीए जीत सकती है, लेकिन असल मुकाबला पांचवी सीट के लिए होना है.

बिहार की पांच राज्यसभा सीट पर चुनाव

बिहार की पांच राज्यसभा सीटें 9 अप्रैल 2026 को सीटें खाली हो रही हैं और इन्हीं सीटों को लेकर राजनीति का तापमान चढ़ता जा रहा है. राज्यसभा की जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उसमें आरजेडी के प्रेम चंद गुप्ता और एनडी सिंह हैं. जेडीयू से हरिवंश नारायण सिंह और रामनाथ ठाकुर जबकि बीजेपी के समर्थन स आरएलएम के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा चुने गए थे.

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राज्यसभा की पांचों सीटों के लिए मार्च 2026 में चुनाव के ऐलान हो सकते हैं. ऐसे में इन पांचों राज्यसभा सीटों पर नए सिरे से सियासी गणित तय होगा. हालांकि, मौजूदा हालात में सत्ताधारी एनडीए पूरी तरह मजबूत स्थिति में है जबकि विपक्ष महागठबंधन के लिए हालात अकेले दम पर एक भी राज्यसभा सीट जीतने की नहीं है. ऐसे में ओवैसी अपने विधायकों के दमपर किंगमेकर के रोल में आए गए हैं.

जीत के लिए 41 विधायक का नंबरगेम

राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए इस बार कम से कम 41 विधायकों का समर्थन जरूरी होगा. बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों को (5+1) से भाग देने पर यह संख्या निकलती है. बिहार विधानसभा में 243 विधायक है, जिसमें से मौजूदा समय मे एनडीए के पास 202 का आंकड़ा है तो वहीं इंडिया गठबन्धन के पास मात्र 35 विधायक हैं. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी के पांच विधायक हैं.

विधायकों के गणित के हिसाब से साफ है कि बीजेपी और जेडीयू दो-दो सीटें आराम से जीत सकती हैं. असली पेच पांचवीं सीट पर फंसा है. पांचवी सीट के लिए सियासी संग्राम राजनीतिक दलों के बीच होगा. ऐसे में अहम रोल में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी है.

ओवैसी की AIMIM कैसे बनी किंगमेकर 

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राज्यसभा की एक सीट के लिए 41 विधायकों का वोट चाहिए, इस लिहाज से एनडीए चार सीटें आसानी से जीत लेगी. एनडीए के 202 विधायक हैं. 41 वोट के लिहाज से चार सीटें जीत के लिए 164 विधायक ही लगेंगे. इसके बाद एनडीए के पास 38 सीटें बचेंगी और पांचवी सीट जीतने के लिए उसे तीन विधायकों का अतरिक्त समर्थन चाहिए होगा.

वहीं, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट दलों को मिलाकर इंडिया ब्लॉक के पास 35 विधायक हैं. इसके अलावा एक सीट बसपा के पास, पांच सीटें AIMIM और एक सीट आईआईपी के पास है. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी किंगमेकर के रोल में है, जिसे भी समर्थन करेगी, उसकी जीत तय है. एनडीए अगर ओवैसी की पार्टी का समर्थन हासिल कर लेती है तो पांचवीं राज्यसभा सीट भी जीत लेगी और अगर विपक्ष गठबंधन इंडिया ब्लॉक समर्थन हासिल करने में सफल रहती है तो जीत आसान हो सकती है.

इंडिया ब्लॉक के 35 विधायक, ओवैसी के पांच विधायक और एक बसपा विधायक का समर्थन हासिल कर पांचवीं सीट पर जीत दर्ज कर सकती है, लेकिन उसके लिए ओवैसी की पार्टी और बसपा विधायक का समर्थन जुटाना होगा. ऐसे में देखना है कि क्या राज्यसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी सत्तापक्ष या विपक्ष किसका साथ देगी?

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