बिहार में नई सरकार की तैयारी तेज़... जातिगत, सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए बनेगा मंत्रिमंडल

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई NDA सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 20 नवंबर को होगा. JDU नेताओं ने दिल्ली में अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात करके मंत्रिमंडल के खाके पर सहमति बना ली है. बीजेपी के सबसे ज्यादा मंत्री होंगे और दो डिप्टी सीएम समेत स्पीकर भी मिल सकता है.

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नई सरकार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर होगा जोर (Photo: ANI) नई सरकार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर होगा जोर (Photo: ANI)

हिमांशु मिश्रा

  • पटना,
  • 18 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:57 PM IST

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई मंत्रिपरिषद के गठन की प्रक्रिया तेज़ हो गई है. शपथग्रहण समारोह 20 नवंबर को निर्धारित है. मंत्रिमंडल को आकार देने को लेकर जेडीयू नेताओं ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक, नए मंत्रिमंडल के खाके पर मोटे तौर पर सहमति बन गई है.

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यह एनडीए की संयुक्त सरकार होगी, इसलिए मंत्रिपरिषद में जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन पूरे गठबंधन को ध्यान में रखकर साधा जाएगा. टिकट बंटवारे, प्रचार और घोषणापत्र की तरह इस बार भी एनडीए के पांचों घटक दल मिलकर ही मंत्रिमंडल गठन को अंतिम रूप देंगे.

सबसे बड़े दल के तौर पर बीजेपी के मंत्री सबसे ज्यादा संख्या में होने की उम्मीद है. बीजेपी अपना स्पीकर और दो डिप्टी सीएम भी दे सकती है. इन पदों पर जातीय संतुलन बनाए रखने का फार्मूला लागू होगा.

क्या होगा फॉर्मूला?

अगर स्पीकर सवर्ण होगा, तो डिप्टी सीएम ओबीसी/ईबीसी और दलित में से होंगे. अगर स्पीकर ओबीसी/ईबीसी या दलित होगा, तो एक डिप्टी सीएम सवर्ण और दूसरा ओबीसी/दलित हो सकता है. एक महिला डिप्टी सीएम की संभावना भी जताई जा रही है.

कुल 36 मंत्रियों की अधिकतम सीमा में कुछ पद भविष्य के लिए खाली छोड़े जा सकते हैं. दो नए सहयोगियों की एंट्री और संभावित नाम इस बार चिराग़ पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा. चिराग़ की पार्टी से राजू तिवारी, जबकि आरएलकेपी से स्नेहलता कुशवाहा मंत्री बनाई जा सकती हैं.

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निवर्तमान सरकार में बीजेपी के 21, जेडीयू के 13 (जिसमें मुख्यमंत्री शामिल), HAM का एक और एक निर्दलीय मंत्री था. नए समीकरण में चिराग़ के दो और कुशवाहा का एक मंत्री शामिल हो सकता है.

यह भी पढ़ें: 'बड़े रोड़े हैं इस राह में...', प्रशांत किशोर की बिहार बदलने की चाहत कितनी कठिन, क्या होंगी चुनौतियां?

कैसे सधेंगे समीकरण?

जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर ज़ोर पिछली सरकार में 11 सवर्ण, 10 ओबीसी, 7 ईबीसी, 5 दलित, 2 महादलित और 1 मुस्लिम मंत्री थे. इस बार एनडीए के विधायकों में 31 राजपूत, 22 भूमिहार, 15 यादव, 23 कुर्मी, 19 कुशवाहा, 15 ब्राह्मण, 23 वैश्य, 10 अतिपिछड़ा, 34 एससी,1 आदिवासी और मुस्लिम शामिल हैं. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर जातीय समीकरण तैयार किए जाएंगे.

क्षेत्रवार भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा. शाहाबाद, मगध, मिथिलांचल और सारण जैसे क्षेत्रों में एनडीए को बड़ी सफलता मिली है, इसलिए इन इलाकों से ज्यादा चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है. कई पुराने मंत्री दोबारा शपथ ले सकते हैं.

बीजेपी से नितिन नवीन, संजय सरावगी, जिबेश मिश्रा, नीतीश मिश्रा, डॉ. सुनील कुमार और विजय मंडल जैसे चेहरे दोबारा मंत्री बनाए जा सकते हैं. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के भी पहली बार कैबिनेट में शामिल होने की चर्चा है.

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जेडीयू से श्रवण कुमार, विजय कुमार चौधरी, अशोक चौधरी और बिजेंद्र प्रसाद यादव दोबारा जगह पा सकते हैं. इसके अलावा पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने की अटकलें हैं.

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