Toyota Innova Flex Fuel: नितिन गडकरी ने लॉन्च की ये ख़ास इनोवा! 40% इथेनॉल और 60% इलेक्ट्रिक एनर्जी से दौड़ेगी कार

Toyota Innova Ethanol Based: ये अपनी तरह की दुनिया की पहली कार है, जिसमें ओल्ड स्टार्ट सिस्टम लगाया गया है, जिससे इस कार का इंजन माइनस 15 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में भी आसानी से वर्क कर सकता है.

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Toyota Innova Hycross Flex Fuel Toyota Innova Hycross Flex Fuel

अश्विन सत्यदेव

  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज दिल्ली में आयोजिक एक कार्यक्रम के दौरान दुनिया की पहली इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार के प्रोटोटाइप के तौर पर नई Toyota Innova Hycross को लॉन्च किया है. इस कार को पूरी तरह से टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा भारत में ही डेवलप किया गया है. ये कार 40% इथेनॉल और 60% इलेक्ट्रिक एनर्जी से चलेगी. 

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वैकल्पिक ईंधन और वायु प्रदूषण के रोकथाम की दिशा में ये इस कार की लॉन्च एक महत्वपूर्ण कदम है. इस कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री, हरदीप सिंह पुरी और केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय भी मौजूद रहें. 

Toyota Innova Ethanol में क्या है ख़ास:

ये नई इनोवा कार 60 प्रतिशत इलेक्ट्रिफाइड एनर्जी से और 40 प्रतिशत बायो इथेनॉल से चलेगी. इससे फ्लेक्स फ्यूल के चलते कार के माइलेज में जो कमी आती है उसकी भरपाई की जा सकती है. ये अपनी तरह की दुनिया की पहली कार है, जिसमें ओल्ड स्टार्ट सिस्टम लगाया गया है, जिससे इस कार का इंजन माइनस 15 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में भी आसानी से वर्क कर सकता है. 

चूकिं इथेनॉल ज्यादा वाटर ज्यादा ऑब्जर्व करता है, जिससे इंजन कंपोनेंट में जंग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. लेकिन इस कार में इस्तेमाल होने वाला इंजन पूरी तरह से मेड-इन-इंडिया है, इसमें इस्तेमाल किए गए कंपोनेंट्स पूरी तरह से वॉटर रेजिस्टेंट हैं, इसलिए इसमें जंग लगने का खतरा नहीं है. फिलहाल इसका प्रोटोटाइप तैयार किया गया है, जल्द ही इसका प्रोडक्शन मॉडल भी दुनिया के सामने आएगा. 

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क्या होता है Flex-Fuel:

फ्लेक्स फ्यूल (Flex-Fuel) एक ख़ास तरह की टेक्नोलॉजी है, जो कि वाहनों को 20 प्रतिशत से ज्यादा इथेनॉल के इस्तेमाल की सुविधा प्रदान करता है. फ्लेक्स फ्यूल, गैसोलीन (पेट्रोल) और मेथनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से बना एक वैकल्पिक ईंधन है. फ्लेक्स-ईंधन वाले वाहन के इंजन एक से अधिक प्रकार के ईंधन पर चलने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं.

इंजन और फ्यूल सिस्टम में कुछ संशोधनों के अलावा, ये वाहन रेगुलर पेट्रोल मॉडलों जैसे ही होते हैं. बता दें कि, यह कोई नई तकनीक नहीं है, कार बाइबल्स के अनुसार इस तकनीकी की शुरुआत पहली बार 1990 के दशक में हुई थी और बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग 1994 में पेश की गई फोर्ड टॉरस में देखने को मिला था. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, साल 2017 तक, दुनिया की सड़कों पर लगभग 21 मिलियन फ्लेक्स-फ्यूल वाहन थें.

कैसे बनता है ये फ्यूल:

फ्लेक्स फ्यूल का उत्पादन भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि इसे गन्ने, मक्का जैसे उत्पादों से बनाया जाता है, और भारत में पर्याप्त मात्रा में इन फसलों का उत्पादन होता है. गन्ना और मक्के से बनने के कारण इसे अल्कोहल बेस फ्यूल भी कहा जाता है. इसकी निर्माण प्रक्रिया में स्टार्च और शुगर फर्मेंटेशन किया जाता है. इसके अलावा सामान्य पेट्रोल के मुकाबले इथेनॉल वाला ईंधन काफी किफायती है, जहां पेट्रोल की कीमत तकरीबन 100 रुपये के आस-पास है तो इथेनॉल की कीमत 60 से 70 रुपये के बीच देखने को मिलती है. ऐसे में यह एक बेहतर विकल्प साबित होगा.

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