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भारत के सबूतों की अनदेखी, PAK के झूठ पर भरोसा... ऑपरेशन सिंदूर पर USCC रिपोर्ट डीपस्टेट का नया टूल है?

अमेरिका की एजेंसी यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने ऑपरेशन सिंदूर पर पक्षपातपूर्ण, तथ्यहीन और भ्रामक रिपोर्ट पेश की है. इसमें अमेरिका ने पाकिस्तान का इस्तेमाल बैलेंसिंग टूल के रूप में किया है और झूठ कहा है कि इस लड़ाई में पाकिस्तान को सैन्य बढ़त मिली थी.

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ऑपरेशन सिंदूर में बर्बाद हुआ मरकज शुभानअल्लाह मस्जिद. (File Photo: ITG)
ऑपरेशन सिंदूर में बर्बाद हुआ मरकज शुभानअल्लाह मस्जिद. (File Photo: ITG)

ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिका का पाखंड अब तक खत्म नहीं हुआ है. अमेरिका इस वर्ष मई में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 88 घंटों के टकराव के निष्कर्षों को 6 महीने बाद भी अपने कूटनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है. इसके लिए अमेरिका इस इस जंग को अपने व्यापारिक और कूटनीतिक चश्मे से परिभाषित कर रहा है. 

दर्जनों बार भारत-पाकिस्तान के बीच की इस लड़ाई को रुकवाने का क्रेडिट लेने वाले ट्रंप की एक एजेंसी ने एक बार फिर से इस जंग पर अनर्गल, बेबुनियाद और तथ्यहीन रिपोर्ट जारी किया है. अमेरिका की संस्था यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन (USCC) ने अपनी इस रिपोर्ट में अप्रैल 2025 में पाकिस्तान द्वारा कराए गए पहलगाम आतंकी हमले को 'विद्रोही हमला (Insurgent attack)' बताया है. धर्म पूछकर गोली मारने वाले आतंकियों को विद्रोही कहना अमेरिकी पाखंड की पराकाष्ठा है.

यही नहीं USCC ने इस रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान के चार दिन के संघर्ष को भारत के खिलाफ 'पाकिस्तान की सैन्य सफलता' कहा है. 

यह रिपोर्ट मुख्य रूप से चीन की डिसइनफॉर्मेशन कैंपेन पर फोकस करती है, लेकिन इस प्रक्रिया में इसमें यह भी कहा गया है कि 'पाकिस्तान को भारत के रूप  सैन्य सफलता' है. दरअसल यह रिपोर्ट चीन को टारगेट करने के लिए पाकिस्तान को बैलेंसिंग टूल के रूप में इस्तेमाल करती है और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है.

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रिपोर्ट देने वाले इस अमेरिकी एजेंसी को जानिए

दरअसल यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन अमेरिका-चीन संबंधों पर नजर रखने वाली संस्था है. यह एक 12 सदस्यों वाला आयोग है. जिसमें 6 रिपब्लिकन और 6 डेमोक्रेटिक सदस्य होते हैं. ये सदस्य अमेरिकी सीनेट (4) और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (8) द्वारा नियुक्त किए जाते हैं.

अमेरिकी सरकार की वेबसाइट uscc.gov में इस संस्था का चार्टर लिखा गया है. इसमें लिखा गया है, "यूनाइटेड स्टेट्स-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन इसलिए गठित किया गया है ताकि यूनाइटेड स्टेट्स और पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के बीच ट्रेड और इकोनॉमिक रिश्तों के नेशनल सिक्योरिटी पर पड़ने वाले असर का रिव्यू किया जा सके."

USCC की स्थापना का उद्देश्य

इस कमीशन का मकसद अमेरिका और पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के बीच आपसी व्यापार और आर्थिक रिश्तों के नेशनल सिक्योरिटी पर पड़ने वाले असर पर नज़र रखना, जांच करना और कांग्रेस को रिपोर्ट करना है.

पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट

इस तरह से ये संस्था कोई मिलिट्री एक्सपर्ट की संस्था नहीं है, जो भारत-पाकिस्तान के युद्ध के नतीजों पर कमेंट कर सके.

इस संस्था ने अपनी वेबसाइट में सदस्यों की नियुक्ति की शर्तों में साफ कहा है कि ये वैसे लोग होंगे जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों और संयुक्त राज्य अमेरिका-चीन संबंधों में विशेषज्ञता होनी चाहिए. इसमें ये नहीं कहा गया है कि इस कमीशन के सदस्य सैन्य विशेषज्ञ होंगे.

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"persons appointed to the Commission shall have expertise in national security matters and United States-China relations."

 इस तरह से इनका दावा भी तथ्यहीन, आधारहीन और पक्षपातपूर्ण है.

इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान के मई में टकराव का जिक्र इसलिए किया है क्योंकि पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन के मिसाइलों का इस्तेमाल किया, चीन ने उसे लाइव ट्रैकिंग में मदद की. 

इस अमेरिकी एजेंसी का कहना है कि चीन ने पाकिस्तान के जरिये अपने हथियारों की टेस्टिंग की. और इसके जरिये पूरी दुनिया में अपना प्रचार किया.

इस रिपोर्ट में कहा गया है-

"Chinese embassies hailed the successes of its systems in the India-Pakistan clash, seeking to bolster weapons sales. Pakistan’s use of Chinese weapons to down French Rafale fighter jets used by India also became a particular selling point for Chinese Embassy defense sales efforts despite the fact that only three jets flown by India’s military were reportedly downed and all may not have been Rafales."

भारत ने साफ किया है पाकिस्तान के दावे तथ्यहीन हैं. भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने राफेल को गिराने के पाकिस्तानी दावों को बिल्कुल गलत बताया. हालांकि उन्होंने कहा कि ये जानकारी बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है. जो महत्वपूर्ण है, वह यह है कि जेट क्यों गिरे और इसके बाद हमने क्या किया. ये हमारे लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण है.

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अक्टूबर में भारत के वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा था कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के F-16, JF-17 समेत 10 फाइटर जेट गिराए थे.  JF-17 चाइनीज लड़ाकू विमान है. 

अमेरिकी सामरिक और व्यावसायिक हितों की पुष्टि के लिए बनाई गई इस संस्था ने भारत के दावों पर गौर करना जरा सा मुनासिब नहीं समझा और अपने उद्देश्यों के लिए एकतरफा रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस को पेश की. 

USCC की इस रिपोर्ट में चीन पर झूठे प्रचार के जरिए अपने नए हथियार J-35 फाइटर जेट के ग्लोबल मार्केटिंग की कोशिश का आरोप लगाया है. जिससे जिससे फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल की बिक्री प्रभावित की जाए.  यह स्टेटमेंट निष्पक्ष तकनीकी आकलन के बजाय राजनीतिक/रणनीतिक एजेंडा का प्रतीक है. 

पाकिस्तान के दावे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना 

इस रिपोर्ट में जहां पाकिस्तान को कथित तौर पर बढ़ाकर पेश किया गया है वो इस तरह है. 'Pakistan’s military success over India in its four-day clash showcased Chinese weaponry.'

निश्चित रूप से कमीशन की ये रिपोर्ट पाकिस्तान के झूठे दावों जैसे- 6 भारतीय जेट गिराने का झूठा प्रचार पर आधारित लगता है. इस कमीशन ने इन बातों पर गौर नहीं किया कि पाकिस्तान ने जिन चीनी मिसाइलों (PL-15) को भारत की ओर छोड़ा था वे फुस्स हो गए थे. 

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चीन-केंद्रित फोकस, भारत-पाक संतुलन की अनदेखी

इस कमीशन का मैंडेट चीन की नेशनल सिक्योरिटी इम्प्लिकेशंस पर है. इस रिपोर्ट में चीन के करतूतों को जरूरत उजागर किया गया है लेकिन भारत के पक्ष का ध्यान नहीं रखा गया है. 

सुरक्षा विशेषज्ञ जॉन स्पेन्सर ने साफ साफ कहा है, "ऑपरेशन सिंदूर में भारत के देश में बने हथियारों सिस्टम का मुकाबला पाकिस्तान के चीन से मिले हथियारों से हुआ. और भारत सिर्फ़ लड़ाई के मैदान में ही नहीं जीता — उसने टेक्नोलॉजी रेफरेंडम भी जीता. जो हुआ वह सिर्फ़ जवाबी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के दोहरे सिद्धांतों के तहत बने एक सॉवरेन हथियारों के जखीरे की स्ट्रेटेजिक शुरुआत थी.”

डेटा स्रोतों की चुनिंदा उपयोगिता

अमेरिका की ये रिपोर्ट पाकिस्तानी और चीनी सोशल मीडिया प्रोपेगैंडा पर भरोसा करती है, जबकि भारतीय सबूतों (सैटेलाइट इमेजरी, मैक्सर इमेज IAF रिपोर्ट्स) को इग्नोर करती है. इससे इस कमीशन के दुष्प्रचार का पता चलता है. भारत द्वारा पाकिस्तान एयरबेस पर हमले की तस्वीरें पूरी दुनिया में उपलब्ध है, लेकिन इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट तैयार करते समय उस पर गौर करना उचित नहीं समझा. 

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