
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बॉन्डी बीच पर हुआ नरसंहार, जिसमें 15 लोगों की जान गई, इस्लामिक स्टेट (IS) की विचारधारा से प्रेरित प्रतीत होता है. ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टर एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक हमलावरों ने इस्लामिक स्टेट के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि संदिग्धों में से एक, नवीद अकरम से पहले भी आतंकी संगठन से कथित संबंधों को लेकर पूछताछ की जा चुकी थी. यह घटनाक्रम आतंकवाद-रोधी अभियानों के बावजूद इस्लामिक स्टेट के वैश्विक प्रभाव को लेकर चिंताओं को बढ़ाता है.
हालांकि, जमीनी स्तर पर इस्लामिक स्टेट को काफी हद तक कमजोर किया गया है और वैश्विक प्रतिबंधों के चलते मुख्यधारा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उसकी मौजूदगी सीमित हुई है. लेकिन आतंकी संगठन ने कम नियंत्रित डिजिटल स्पेस को अपनाकर अपने अंतरराष्ट्रीय समर्थक आधार तक पहुंचने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के नए तरीके ढूंढ लिए हैं.
इंडिया टुडे OSINT टीम की जांच में सामने आया है कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े नेटवर्क मैट्रिक्स इकोसिस्टम के भीतर छोटे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. मैट्रिक्स एक ओपन प्रोटोकॉल है, जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग की सुविधा देता है. इसी ढांचे पर बने ऐप्स- Element, Cinny और Techhaven खुले और सुरक्षित नेटवर्क उपलब्ध कराते हैं. इस्लामिक स्टेट से जुड़े लोग इनका इस्तेमाल निगरानी और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों की पकड़ से बचने के लिए कर रहे हैं.
जांच में यह भी पाया गया कि पहचान से बचने के लिए इस्लामिक स्टेट से जुड़े नेटवर्क कम प्रसिद्ध मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स की ओर शिफ्ट हो रहे हैं. Element, Cinny और Techhaven जैसे ऐप्स, जो खुले और डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क पर काम करते हैं, मेनस्ट्रीम सोशल मीडिया के सुरक्षित विकल्प के तौर पर इस्तेमाल हो रहे हैं. ये ऐप्स मैट्रिक्स इकोसिस्टम पर आधारित हैं, जो एन्क्रिप्टेड मैसेज के जरिए सुरक्षित मैसेजिंग का जरिया बनते हैं.

जांच में दर्जनों सीक्रेट चैनल सामने आए हैं, जो अलग-अलग नामों, जैसे अल बासिर मीडिया, हलुम्मु ऑफिशियल और फुरसान अल-तर्जुमा के तहत सक्रिय हैं और चरमपंथी कंटेंट फैला रहे हैं. यह कंटेंट पीडीएफ, ऑडियो मैसेज और पोस्ट्स सहित कई फॉर्मेट्स में साझा किया जाता है. ये कंटेंट अंग्रेजी, अरबी, फारसी से लेकर बांग्ला तक कई भाषाओं में उपलब्ध है, जो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों को टार्गेट करने की सोची-समझी रणनीति को दिखाता है.
OSINT के नतीजे बताते हैं कि ये चैनल केवल वैचारिक प्रोपेगेंडा तक सीमित नहीं हैं. ये कमांड-एंड-कंट्रोल हब के रूप में भी काम करते हैं, जहां सीनियर ऑपरेटिव्स फंडरेजिंग अपील्स से लेकर ऑपरेशनल आचरण और डिजिटल सुरक्षा तक के निर्देश जारी करते हैं ताकि आतंकी इकोसिस्टम को बनाए रखा जा सके.
ऐसा ही एक चैनल, दार अल-अरकम Techhaven पर ऑपरेट होता है. यह चैनल खुले तौर पर तथाकथित 'वित्तीय जिहाद' का प्रचार करता पाया गया. इसमें उन समर्थकों से, जो सीधे हिंसा में शामिल नहीं हैं, आर्थिक योगदान देने की अपील की गई.
एक संदेश में लिखा था, 'यही मौका है कि आप अपनी संपत्ति का इस्तेमाल मुजाहिदीन के लिए हथियार खरीदने में करें, ताकि वो काफिरों को मार सकें.'
इन चैनलों के अंदर हो रही बातचीत से यह भी पता चलता है कि टेलीग्राम पर बार-बार होने वाली कार्रवाई और चैनल हटाए जाने से इस्लामिक स्टेट से जुड़े लोगों में निराशा बढ़ रही है. इससे निपटने के लिए मेंबर्स को सीधे कंटेंट शेयर करने से बचने और तीसरे पक्ष की फाइल-होस्टिंग सेवाओं पर निर्भर रहने के निर्देश दिए जा रहे हैं.
इसके अलावा, इस्लामिक स्टेट से जुड़ी एक अन्य यूनिट अल-सकरी फाउंडेशन ने अक्टूबर में Element ऐप पर कई नए चैनल लॉन्च किए. ये चैनल मिलिट्री, मेडिकल और फिजीकल तैयारियों जैसे विशेष विषयों पर केंद्रित हैं, साथ ही व्यक्तिगत सवालों के लिए निजी चैट रूम भी उपलब्ध कराते हैं.
अधिक चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि इन नेटवर्क्स से जुड़ी हालिया गतिविधियों में विस्फोटक पदार्थ टीएनटी (TNT) बनाने के मैनुअल को भी शेयर किया जा रहा है.