भारत और रूस के मजबूत ऐतिहासिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज (4 दिसंबर) को भारत आ रहे हैं. उनका दो दिवसीय भारत दौरा दोनों देशों के लिए बेहद अहम है जिसमें ट्रेड, डिफेंस समेत कई सेक्टरों में समझौते होंगे. पुतिन के बहुप्रतीक्षित भारत दौरे से ठीक पहले इंडिया टुडे ग्रुप ने उनका वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया है जिसमें उन्होंने कई अहम मुद्दों पर रूस की तरफ से स्थिति स्पष्ट की.
पुतिन का खास इंटरव्यू 'इंडिया टुडे ग्रुप' की अंजना ओम कश्यप और गीता मोहन ने लिया. इस दौरान गीता मोहन ने पुतिन से पूछा कि रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है.
उन्होंने सवाल किया, 'भारत और रूस दोनों पर तेल को लेकर भारी दबाव है. खासकर पश्चिमी देशों की ओर से जो दबाव हम देख रहे हैं, उससे भारत प्रभावित हुआ है. ऐसे पश्चिमी दबाव और प्रतिबंधों का सामना दोनों देश कैसे करेंगे?
जवाब में व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'यहां मुद्दा ये है कि जिस दबाव का आपने जिक्र किया वो असल में राजनीति का इस्तेमाल करके सामान्य व्यापार और प्रतिस्पर्धा में दखल देने की कोशिश है. भारत के साथ हमारा ऊर्जा सहयोग वर्तमान परिस्थितियों से, अस्थायी राजनीतिक उतार-चढ़ाव से या यूक्रेन में हुई दुखद घटनाओं से प्रभावित नहीं हुआ है.'
हाइड्रोकार्बन के मुद्दे पर बोलते हुए पुतिन ने कहा, 'जहां तक हाइड्रोकार्बन का सवाल है यूक्रेन संकट से काफी पहले हमारे बिजनेस संस्थानों ने आपसी भरोसे पर आधारित एक मजबूत और प्रभावी व्यावसायिक संबंध बना लिया था.'
रूस की शीर्ष तेल कंपनी रोसनेफ्ट ने 2017 में भारत की नायरा एनर्जी में अपनी पार्टनरशिप खरीदी थी. नायरा एनर्जी में रोसनेफ्ट का शेयर 49.13% है.
पुतिन ने कहा, 'सब जानते हैं कि हमारी प्रमुख कंपनियों में से एक ने भारत में एक तेल रिफाइनरी खरीदी. यह निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े विदेशी निवेशों में से एक था, जो 20 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का था. हमारी कंपनी लगातार इस रिफाइनरी के संचालन का विस्तार कर रही है, साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रही है, और हर साल बहुत सफलतापूर्वक चल रही है.'
रूसी राष्ट्रपति ने आगे कहा, 'इसके परिणामस्वरूप भारत यूरोप के लिए प्रमुख रिफाइंड प्रोडक्ट सप्लायर्स में से एक बन गया है, सिर्फ इसलिए नहीं कि वो हमारे तेल को डिस्काउंट पर खरीदता है. इसे हासिल करने में सालों लगे, और इसका मौजूदा आर्थिक हालात से कोई संबंध नहीं है. कुछ देशों को भारत की वैश्विक बाजारों में बढ़ती भूमिका पसंद नहीं है. खासकर इसलिए क्योंकि भारत के रूस से मजबूत संबंध हैं. इसलिए वे राजनीतिक कारणों से भारत के प्रभाव को रोकने के लिए जानबूझकर मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं.'