पाकिस्तानी सेना का टॉप जनरल 4 दिनों से ढाका की यात्रा पर हैं. पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय में महानिदेशक ज्वाइंट स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल तबस्सुम हबीब के नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल 6 अक्टूबर को ढाका पहुंचा और 9 अक्टूबर तक यहां रहने वाला है. इस पाकिस्तानी जनरल के स्वागत के लिए बांग्लादेश ने 'रेड कार्पेट' बिछाया है. और इस यात्रा को 'गुडविल विजिट' कहा है. लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश की 'गुडविल विजिट' का भारत के लिए गहरा अर्थ है.
बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद पाकिस्तान अपने इस पुराने दुश्मन से गलबहियां करने में लगा है. जनरल तबस्सुम हबीब की यह यात्रा अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद पाकिस्तान की ओर से सबसे उच्च-स्तरीय सैन्य दौरा है.
माना जा रहा है कि जनरल तबस्सुम हबीब की यह यात्रा यूनुस सरकार की क्षेत्रीय सैन्य कूटनीति का विस्तार है. बांग्लादेश इसे अपनी रणनीतिक स्वायत्तता के रूप में पेश कर रहा है. जनरल तबस्सुम हबीब 6 अक्तूबर को ही ढाका पहुंचे हैं वे 9 अक्टूबर तक यहां रहेंगे. इस दौरान वे बांग्लादेश सेना के बड़े अफसरों से मुलाकात करेंगे. बांग्लादेश की मीडिया ने इस दौरे पर पर्दा डाल रखा है और इस पर बहुत कम जानकारी सामने आ रही है.
ढाका का नया प्रशासन अपनी सैन्य महत्वाकांक्षाएं किसी ने नहीं छिपा रहा है. यही वजह है कि बांग्लादेश अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस बार बार भारत के साथ संबंधों को तनावपूर्ण बताते हैं और चीन-पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ा रहे हैं. बांग्लादेश की नई सरकार भारतीय दबाव को कम करने और ‘इंडिया-फ्री’ विदेश नीति की तरफ बढ़ रही है. पाकिस्तान, चीन, और तुर्की के साथ सैन्य सहयोग को तेज करने का एक उद्देश्य इस नीति को मजबूती देना भी है.
सूत्रों के अनुसार इस यात्रा के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल हबीब और उनकी टीम बांग्लादेश सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों और देश के खुफिया तंत्र के प्रमुख लोगों के साथ बैठकें कर रही है. सूत्रों का कहना है कि अब तक की बातचीत खुफिया जानकारी साझा करने, कथित तौर आतंकवाद-रोधी सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा समन्वय पर केंद्रित रही है.
🇵🇰🇧🇩 Lt. Gen Tabassum Habib, serving as the Director General Joint Staff of the Pakistan Army, reached Dhaka on a four-day official visit. 🤔🫢 pic.twitter.com/Pvs5H6qpJs
— Naren Mukherjee (@NMukherjee6) October 7, 2025
यह दौरा पाकिस्तान को पूर्वी भारत और बंगाल की खाड़ी में रणनीतिक दखल देने का मौका दे सकता है. इससे भारत को अपनी कूटनीति और सुरक्षा रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा.
इस यात्रा का एक बड़ा उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा आतंकवाद विरोधी रणनीति और खुफिया जानकारी साझा करना है, जिससे दोनों देशों के सैन्य संबंधों को नई दिशा मिलेगी. इस यात्रा के दौरान पाकिस्तान-बांग्लादेश सैन्य संवाद में ISI और DGFI (बांग्लादेश मिलिट्री इंटेलिजेंस) के बीच सहयोग बढ़ाने की भी चर्चा हो रही है, जो भारत को काउंटर करने की योजना का हिस्सा माना जा रहा है.
बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्ते पूर्ण रूप से रणनीतिक हितों से जुड़े हैं. दोनों देशों के बीच विदेशी व्यापार बेहद कम है. 2024 में दोनों मुल्कों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार मात्र 865 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. इसमें पाकिस्तान का निर्यात 778 मिलियन डॉलर था, जबकि बांग्लादेश का निर्यात केवल 57-87 मिलियन डॉलर रहा.
इसलिए इन दोनों देशों की नजदीकियां का व्यापारिक महत्व कम और सामरिक महत्व ज्यादा है. दोनों ही देश भारत विरोध के नाम पर आसानी से एक मंच पर आ जाते हैं.
जनरल तबस्सुम हबीब की यह यात्रा बांग्लादेश आर्मी की शाखा आर्म्ड फोर्स डिवीजन (AFD) के तहत हो रही है. AFD का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल एस एम कमरुल हसन कर रहे हैं, जिन्होंने जनवरी 2025 में बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए पाकिस्तान का दौरा किया था.
इस यात्रा के बाद एक मेजर जनरल के नेतृत्व में पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अधिकारियों की तीन सदस्यीय टीम बांग्लादेश के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा करने से पहले ढाका पहुंची थी. तब से पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों की कम से कम दो अन्य टीमों ने बांग्लादेश का चुपचाप दौरा किया है.