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क्या इमरान के हाथ से फिसल गए सत्ता के मोहरे? जानिए कितने सांसद साथ और कौन हुआ बागी

Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इस पर वोटिंग होना बाकी है. लेकिन इमरान के लिए सत्ता में वापसी करना बड़ी चुनौती बन सकती है.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • इमरान की पार्टी के पास अभी 155 सदस्य हैं
  • सरकार बनाने के लिए 172 का आंकड़ा जरूरी

Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी कुर्सी बचाने के लिए सौदेबाजी में लगे हैं, लेकिन विपक्ष उनकी मुश्किलें लगातार बढ़ा रहा है. इमरान खान के खिलाफ सोमवार को विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. हालांकि संसद के सत्र को तीन दिन के लिए टाल दिया गया था. अब 31 मार्च को सत्र होगा. पाकिस्तानी संसद नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव को गिराने के लिए इमरान खान को 172 वोटों की जरूरत है. नेशनल असेंबली में अभी 342 सदस्य हैं और सरकार बनाने या गिराने के लिए 172 वोट चाहिए. इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के पास 155 सदस्य हैं.

ये है विपक्ष की ताकत

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के पास 84 सांसद हैं. वहीं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के पास 56, एमएमए के पास 14, बलोचिस्तान आवामी पार्टी के पास 04, बलोचिस्तान नेशनल पार्टी के पास 4 सदस्य, वहीं इमरान सरकार से समर्थन वापस लेने वाली जम्हूरी वतन पार्टी के पास 1 जबकि निर्दलीय 4 सांसद हैं. इसके साथ ही पीएमएलक्यू पार्टी के सांसद तारिक बशीर चीमा भी विपक्ष के साथ हैं, जिन्होंने हाल ही में मंत्री पद से इस्तीफा दिया और घोषणा की कि वह इमरान सरकार के खिलाफ वोट करेंगे. भले ही उनकी पार्टी ऐसा करे या न करे. इस तरह से विपक्ष के पास कुल 169 सदस्य हैं. 

ये है सरकार की पावर

इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के पास 155 सदस्य हैं. जबकि पीएमएलक्यू के 4, बीएपी के 1, ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस के 3, एएमएल के 1 और एक निर्दलीय सांसद हैं. मतलब सरकार के पास 165 सदस्यों की ताकत है. जबकि सरकार बनाने के लिए 172 के जादुई आंकड़े को छूना जरूरी है.

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अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के बाद आगे क्या?

प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद पाकिस्तान में हो रही राजनीतिक घटनाएं चौंकाने वाली हैं. सरकार के सहयोगी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू), जिसके कभी भी गठबंधन छोड़ने का ऐलान कर रहा था, उसने सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए को समर्थन देने की घोषणा की है. जानकारी के मुताबिक, ये कदम पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार के इस्तीफे के बाद लिया गया है. वहीं, पीएम इमरान खान ने पीएमएल-क्यू के परवेज इलाही को नए मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया है. हालांकि, पीएमएल-क्यू के संघीय मंत्री तारिक बशीर चीमा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. साथ ही घोषणा की है कि वह इमरान खान के खिलाफ वोटिंग करेंगे. 

क्या कहते हैं राजनीति के एक्सपर्ट?

राजनीतिक विश्लेषक मजहर अब्बास का कहना है कि पीएमएल-क्यू का फैसला पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लिए एक झटका है. क्योंकि पार्ट के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने पीएमएल-क्यू के नेताओं के साथ हाल ही में एक बैठक की थी और विपक्ष का साथ देने के लिए कहा था. अब्बास ने कहा कि 'पीएमएल-क्यू के चौधरी परवेज इलाही इमरान खान की तुलना में जरदारी के ज्यादा करीब थे. 

किसके पाले में जा सकती है सत्ता?

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पाकिस्तान में सत्ता में वापसी कर पाना इमरान खान के लिए फिलहाल दूर की कौड़ी ही है. क्योंकि नंबरों का खेल अभी भी विपक्ष के पक्ष में है. वहीं सत्ताधारी पार्टी के कई असंतुष्ट विधायक भी इमरान खान के खिलाफ मतदान कर सकते हैं. मजहर अब्बास कहते हैं कि 'सरकार को उम्मीद थी कि अविश्वास मत से पहले सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना देगा, लेकिन इसकी संभावना नहीं है कि अदालत इतनी जल्दी अपना फैसला सुनाएगी. 

क्या वापसी कर सकते हैं इमरान?

नेशनल असेंबली में सोमवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के तुरंत बाद सत्र गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. विपक्ष को भरोसा है कि इमरान खान सत्ता से बाहर जा रहे हैं और प्रस्ताव पारित हो जाएगा. लेकिन पाकिस्तान की राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं है और चीजें उम्मीद से इतर भी हो सकती हैं.

इमरान सरकार बच गई तो क्या होगा?

अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हुआ और इमरान खान ने इस्तीफा नहीं दिया. तो वह पाकिस्तान के इतिहास में 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने पर भी इतिहास रच जाएगा. क्योंकि अविश्वास मत के माध्यम से प्रधानमंत्रियों को हटाने के पिछले 2 प्रयास विफल रहे थे. मजहर अब्बास कहते हैं कि किसी भी प्रधानमंत्री के लिए अविश्वास प्रस्ताव को विफल करना बेहद महत्वपूर्ण और तनाव भरा होता है. अगर सत्ताधारी पार्टी इसमें सफल हो जाती है तो विपक्ष को बड़ा झटका लगेगा. विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ेंगे.

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(इनपुटः पाकिस्तान की वरिष्ठ पत्रकार ऐलिया ज़हरा)  

 

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