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जापान में एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार भूकंप, महसूस किए गए 6.7 मैग्नीट्यूड के झटके

जापान के उत्तर-पूर्वी आओमोरी तट पर 6.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया, जिसके बाद JMA ने 1 मीटर ऊंची लहरों के लिए सुनामी एडवाइजरी जारी की. इसी हफ्ते 7.5 तीव्रता का बड़ा भूकंप भी आया था, जिससे क्षेत्र में भूगर्भीय सक्रियता बढ़ी है.

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भूकंप के बाद आई सरकार की एडवाइजरी (Representational Image)
भूकंप के बाद आई सरकार की एडवाइजरी (Representational Image)

जापान के उत्तर-पूर्वी इलाके में  शुक्रवार को 6.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया, जिसके तुरंत बाद जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) ने 1 मीटर (39 इंच) ऊंची लहरों के लिए सुनामी की एडवाइज़री जारी की. यह भूकंप सोमवार देर रात इसी इलाके में आए 7.5 मैग्नीट्यूड के बड़े भूकंप के बाद आया है.

स्थानीय समयानुसार, यह भूकंप सुबह 11:44 बजे (0244 GMT) आओमोरी प्रांत के तट पर 20 km (12 मील) की गहराई पर आया. इससे पहले सोमवार देर रात इसी इलाके में 7.5 मैग्नीट्यूड का एक बड़ा भूकंप आया था.

सोमवार के भूकंप के बाद, सरकार ने एक खास एडवाइज़री जारी की थी. इसमें उत्तर में होक्काइडो से लेकर टोक्यो के पूर्व में चिबा तक, एक बड़े इलाके के लोगों को अलर्ट रहने की चेतावनी दी गई थी. यह चेतावनी एक हफ़्ते के अंदर फिर से शक्तिशाली भूकंप आने की बढ़ती संभावना के लिए जारी की गई थी. शुक्रवार को आए इस झटके की तीव्रता जापान के 1-7 सिस्मिक इंटेंसिटी स्केल पर 4 मापी गई.

भूकंप का केंद्र और तीव्रता...

भूकंप का केंद्र आओमोरी प्रांत के तट पर 20 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था. जापान मौसम विज्ञान एजेंसी द्वारा जारी सुनामी की एडवाइज़री से इस बात का संकेत मिलता है कि समुद्री इलाकों में खतरा बढ़ गया है. इस तरह के बार-बार आने वाले भूकंप क्षेत्र की भूगर्भीय अस्थिरता को दर्शाते हैं.

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जापान में भूकंप आने का इतना ज़्यादा खतरा क्यों?

जापान पैसिफिक 'रिंग ऑफ़ फायर' के पश्चिमी हिस्से में चार बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों के ऊपर है और दुनिया के सबसे ज़्यादा भूकंप आने वाले देशों में से एक है. इस देश की आबादी करीब 125 मिलियन है और यहां हर साल करीब 1,500 झटके आते हैं. इनमें से ज़्यादातर हल्के होते हैं. हालांकि, इनका असर इस बात पर निर्भर करता है कि वे कहां आते हैं और धरती की सतह के नीचे कितनी गहराई में हैं.

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