बांग्लादेश की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भ्रष्टाचार के तीन मामलों में 21 साल जेल की सजा सुनाई है. इससे पहले कोर्ट ने उनको फांसी की सजा सुनाई थी. 2024 के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है, लेकिन इस फैसले के साथ एक बड़ी मुश्किल यह है कि हसीना बांग्लादेश में नहीं हैं. वे एक साल से ज़्यादा वक्त से भारत में रह रही हैं. शेख हसीना उस ट्रिब्यूनल की पहुंच से बाहर जिसने उन्हें दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है.
दिसंबर 2024 में, बांग्लादेश ने हसीना को एक्सट्रैडाइट करने के लिए भारत से एक फॉर्मल रिक्वेस्ट की थी. हसीना स्टूडेंट्स के विरोध प्रदर्शनों की वजह से 15 साल की सत्ता खत्म होने के बाद नई दिल्ली आ गई थीं. बांग्लादेश की यह गुजारिश भारत के विदेश सचिव के बांग्लादेश दौरे के दो हफ़्ते बाद आई थी और दोनों देशों ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि वे शांति से रिश्ते बनाएंगे.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने 8 अगस्त को पदभार संभाला था. उन्होंने मांग की है कि भारत हसीना को वापस भेजे, जिससे बांग्लादेश उन पर प्रदर्शनकारियों और उनके विरोधियों के खिलाफ़ अपराधों और पिछले 15 सालों में उनके कार्यकाल के दौरान किए गए अपराधों के लिए मुकदमा चला सके.
हसीना को भारत से वापस ले जाने की पुरजोर कोशिश...
न्यूज़ एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना को एक्सट्रैडाइट करने की ऑफिशियल कोशिशें शुरू कीं. अंतरिम एडमिनिस्ट्रेशन के फॉरेन अफेयर्स एडवाइजर, मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कन्फर्म किया कि इंडियन अथॉरिटीज़ को एक फॉर्मल रिक्वेस्ट भेजी गई थी. प्रोसेस में देरी के बारे में सवालों का जवाब देते हुए हुसैन ने कहा, "हमने एक लेटर भेजा है. अगर ज़रूरी हुआ तो हम फॉलो-अप करेंगे."
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मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने कहा था, "अब हम रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया से रिक्वेस्ट करते हैं कि वह अपने विवेक और नैतिक स्पष्टता के साथ काम करे. बहुत लंबे वक्त से, इंडिया ने शेख हसीना के एक्सट्रैडिशन के लिए बांग्लादेश की कानूनी रिक्वेस्ट मानने से मना कर दिया है."
इसके अलावा, इस साल अप्रैल में बैंकॉक में BIMSTEC समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक मीटिंग में, यूनुस ने इशारा किया कि भारत को उनसे उनकी सरकार की बुराई करना बंद करने के लिए कहना चाहिए.