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UP: नए नियमों के साथ आज से शुरू होगा विधानसभा सत्र, जानें क्या हैं नियम और किन पर विपक्ष को है आपत्ति

आज से उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. यह सत्र बेहद छोटा है, जो की 1 दिसंबर को खत्म हो जाएगा, इसलिए इसे संक्षिप्त सत्र भी कहा जा रहा है. आज सदन में जाने वाले विधायकों को कई नए नियमों का पालन करना होगा, जैसे वह अपने मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे.

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उत्तर प्रदेश विधानसभा (File Photo)
उत्तर प्रदेश विधानसभा (File Photo)

उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज (28 नवंबर) से नए नियमों के साथ शुरू हो रहा है, जो 1 दिसंबर को खत्म हो जाएगा. इस सत्र के साथ ही अब विधायकों को ऐसे कई नियमों का पालन करना होगा, अब तक जिनका पालन जरूरी नहीं था. जैसे अब विधानसभा सदस्य सदन के अंदर मोबाइल फोन नहीं ले जा सकेंगे. इसके अलावा बैनर पोस्टर लेकर जाने पर भी रोक रहेगी. हालांकि, विपक्ष ने इन नियमों पर आपत्ति जताई है.

इस सत्र में लागू होंगे ये नियम

> अब नेताओं को सदन में मोबाइल फोन लाने की इजाजत नहीं होगी.

सत्र के दौरान सदन में झंडे और बैनर ले जाना भी प्रतिबंधित रहेगा. 

सत्र के दौरान महिला सदस्यों को बोलने में प्राथमिकता दी जाएगी.

पिछले सत्र में स्वीकृत नए नियम और बदलाव इस सत्र से लागू किए जाएंगे.

जिन सदस्यों का निधन हो चुका है, उनके लिए पहले दिन सदन में शोक संदेश जारी होगा.

विनियोग विधेयक होगा पेश

विधानसभा सत्र के आज शुरू होने के बाद कल (29 नवंबर) को वित्तीय वर्ष 2023-24 की दूसरी छमाही के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों का प्रस्तुतीकरण और दूसरे विधायी काम किए जाएंगे. सत्र के तीसरे दिन 30 नवंबर को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अनुपूरक अनुदान पर चर्चा की जाएगी और विनियोग विधेयक पेश किया जाएगा. इसके साथ ही अन्य विधायी काम भी निपटाए जाएंगे.

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विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति

बता दें कि 66 साल में पहली बार इन बदलावों को पिछले विधानसभा सत्र में मंजूरी दी गई थी. वहीं, समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने सदन में मोबाइल फोन और बैनर पर प्रतिबंध लगाने पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे को यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के सामने उठाएंगे.

बसपा-कांग्रेस के दफ्तर छोटे किए

बता दें कि हाल ही में बीजेपी और बसपा-कांग्रेस के बीच जारी वार-पलटवार के बीच विधान भवन में बसपा और कांग्रेस के कार्यालय कक्ष खत्म कर दिए गए हैं. इसके बदले में उन्हें केबिन अलॉट किए गए हैं. दरअसल, कांग्रेस विधान मंडल का दफ्तर तोड़कर सपा विधान मंडल दफ्तर में मिला दिया गया और सपा को सदस्य संख्या के हिसाब से बड़ा कार्यालय आवंटित किया गया.

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