यूपी के कानपुर में सिख युवक की पिटाई के मामले में आरोपी युवकों को डेढ़ महीने बाद बुधवार को कोर्ट से बेल मिल गई. इस पर पीड़ित परिवार ने पुलिस पर केस कमजोर करने के आरोप लगाया है.
दरअसल, सितंबर में गाड़ी ओवरटेक करने को लेकर हुए एक विवाद में बीजेपी नेता और उसके समर्थकों ने सिख युवक को इतना पीटा था कि उसकी आंखें की रोशनी चली गई.
सिख समुदाय के प्रदर्शन और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद आरोपियों ने नाटकीय ढंग से जॉइंट कमिश्नर ऑफिस पहुंचकर सरेंडर किया था. पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने अबतक हथियार तक बरामद नहीं किए. इसके अलावा उन्होंने पुलिस को वीडियो, फोटो और कई चीजें दी थीं. पुलिस ने अपनी केस डायरी में शामिल ही नहीं की है.
आरोपियों को मिली जमानत
पीड़ित परिवार ने पुलिस की मंशा पर सवाल उठाए हैं और कहा कि वह अपने वकील से बात करेंगे कि आखिर क्यों केस को कमजोर किया गया. इस मामले पर जॉइंट कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी का कहना है कि मामले की जांच कर रहे हैं और जल्द ही सभी तथ्यों के साथ चार्जशीट दायर करेंगे.
पुलिस ने दी ये दलील
पुलिस ने आरोपियों को कड़ी सजा दिलवाने की बात की थी. लेकिन डेढ़ महीने के अंदर ही कोर्ट ने आरोपियों को बेल दे दी. इस मामले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अमोलदीप के घर पहुंच कर उनसे मुलाकात भी की थी.
23 सितंबर को हुआ था हमला
बता दें कि, 23 सितंबर को दवा व्यापारी आमोल दीप सिंह और पार्षद सौम्या शुक्ला के पति अंकित शुक्ला के बीच गाड़ी ओवरटेक करने को लेकर मारपीट हुई थी. इसके बाद सिख समुदाय और व्यापार मंडल ने आरोपियों के खिलाफ कई जगह प्रदर्शन किया था. वहीं, पार्षद की तरफ से ब्राह्मण सभा और बीजेपी के पार्षदों ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि उनकी तरफ से एफआईआर नहीं लिखी जा रही है. इस पर पुलिस ने पहले आरोपियों के सरेंडर करने की बात कही थी.