मुंबई में किराए पर घर ढूंढना कितना मुश्किल हो सकता है, यह एक रेडिट यूजर के हालिया अनुभव से साफ दिखाई देता है. यूजर ने रेडिट पर एक पोस्ट डाली, जिसमें उसने ब्रोकर के साथ हुई वॉट्सऐप चैट भी शेयर की. चैट देखने पर पता चलता है कि ब्रोकर किराया, डिपॉजिट या डॉक्यूमेंट से हटकर ऐसे सवाल पूछ रहा था, जिनका घर लेने से कोई सीधा संबंध नहीं था. पोस्ट का कैप्शन भी यही कहते हुए हैरानी जताता है—“मुंबई के लोगों को क्या हो गया है!”
ब्रोकर ने पूछा अजीब-गरीब सवाल
यूजर के मुताबिक ब्रोकर बार-बार पूछ रहा था कि परिवार में कौन नॉन-वेज खाता है और कौन नहीं. जब उसे बताया गया कि ससुराल वाले मांसाहारी हैं, तो वह और ज्यादा सवाल करने लगा. इसके बाद उसने परिवार के धर्म के बारे में पूछताछ शुरू कर दी. यूजर ने बताया कि उनका परिवार हिंदू है, लेकिन ब्रोकर फिर भी सरनेम पूछता रहा, ताकि वह “धर्म की पुष्टि” कर सके. जब यूजर ने सवालों का कारण पूछा, तो ब्रोकर ने साफ कहा कि मकान मालिक मुसलमानों को घर नहीं देना चाहता.

घर नहीं मिलने की कई वजह
रेडिट यूजर ने बताया कि यह पहली बार नहीं है. इससे पहले भी एक ब्रोकर ने रेंटल एग्रीमेंट इसलिए बनाने से मना कर दिया था क्योंकि उसके ससुराल वाले “बहुत बुज़ुर्ग” हैं. इन सब अनुभवों से परेशान यूजर ने लिखा कि मुंबई में किराए का घर ढूंढना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है. कई लोगों को आज भी अलग-अलग वजहों से घर नहीं मिलता—जैसे मुस्लिम होना, कुंवारा होना, मीडिया का छात्र होना, सिंगल मदर होना, अलग जाति से होना, नॉन-वेज खाना, लिव-इन रिलेशन में होना, पालतू जानवर रखना या मकान मालिक की पसंद की भाषा न बोलना.
पोस्ट पर लोगों ने जमकर किया कमेंट
इस पोस्ट पर रेडिट यूजर्स ने अपनी-अपनी कहानी शेयर करनी शुरू कर दी. एक महिला ने लिखा—“मुझे इसलिए मना कर दिया गया क्योंकि मेरी नौकरी दोपहर से रात की शिफ्ट में है. ”एक दूसरे यूजर ने कहा—“मैं इतना परेशान हो गया था कि घर खरीदने का सोच लिया. लेकिन वहां भी लोगों ने वही सवाल पूछे!” एक और यूजर ने लिखा—“मुझे इसलिए रिजेक्ट किया गया क्योंकि मैं मांसाहारी हिंदू था. दूसरी जगह इसलिए मना कर दिया क्योंकि मैं मुस्लिम नहीं था!” एक व्यक्ति ने कहा—“मुंबई में मकान मालिकों ने मुझसे जितनी बार पूछा है कि ‘आपकी जाति क्या है?’, वह बेहद परेशान करने वाला है.”