दिल्ली की हवा एक बार फिर जानलेवा स्तर पर पहुंच चुकी है. 16 दिसंबर 2025 को राजधानी का औसत AQI 380 से 410 के बीच दर्ज किया गया, जो बेहद गंभीर की कैटेगरी में आता है. कई इलाकों में AQI 400 के पार पहुंच चुका है. मौजूदा PM2.5 स्तर के हिसाब से दिल्ली में एक दिन सांस लेना लगभग 20 से 30 सिगरेट पीने जितना नुकसानदेह माना जा रहा है. हालात इतने गंभीर हैं कि यहां GRAP स्टेज-4 जैसे सख्त प्रतिबंध लागू हैं, फिर भी फिलहाल बड़े सुधार की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही.
इसी जहरीली हवा के बीच दिल्ली से बेंगलुरु शिफ्ट हुईं सिमरिधि मखीजा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो में सिमरिधि ने राजधानी लौटते ही महसूस हुए शारीरिक झटके को साझा किया. वह बताती हैं कि करीब 60 दिन बेंगलुरु में रहने के बाद जब वह दिल्ली पहुंचीं, तो एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें लगातार खांसी आने लगी. उनके साथ मौजूद व्यक्ति ने भी उनसे पूछा कि क्या वह ठीक हैं और उन्हें पानी चाहिए या नहीं.
बिना पैसे के साफ हवा भी अब मुश्किल
वीडियो में सिमरिधि बेहद भावुक अंदाज में कहती हैं कि वह अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की कीमत पर भी अपने माता-पिता को दिल्ली से बाहर ले जाना चाहती हैं. उनके शब्दों में, 'मैं कर्ज़ में जाने और अपनी फाइनेंशियल हेल्थ खराब करने को तैयार हूं, लेकिन अपने माता-पिता को इस गैस चैंबर से निकालना चाहती हूं.' वह यह भी कहती हैं कि ऐसी स्थिति में यह एहसास होता है कि पैसे और सांस के बीच कितना गहरा रिश्ता है, क्योंकि बिना आर्थिक मजबूती के साफ हवा तक पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है.
देखें वायरल वीडियो
वीडियो के कैप्शन में भी सिमरिधि ने साफ लिखा, “मैं कर्ज़ में चली जाऊंगी, लेकिन अपने माता-पिता को यहां से निकालना चाहती हूं.” विशेषज्ञों और स्टडीज के मुताबिक, दिल्ली की जहरीली हवा बच्चों के फेफड़ों के विकास को प्रभावित कर सकती है, जबकि बुजुर्गों में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और गंभीर सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
दिल्ली छोड़ना अब मजबूरी
सिमरिधि के वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी अपनी-अपनी पीड़ा जाहिर की. किसी ने लिखा कि पैसे दोबारा कमाए जा सकते हैं, लेकिन माता-पिता की सेहत वापस नहीं लाई जा सकती. किसी ने यह सवाल उठाया कि क्या माता-पिता इस फैसले के लिए तैयार होंगे. वहीं कुछ यूजर्स ने दूसरे शहरों की साफ हवा का जिक्र करते हुए दिल्ली में रहने वालों की मजबूरी को समझने की बात कही.