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वायरल हो रही 87 साल की बाइकर दादी! गाड़ी चलाने का अंदाज देख हर कोई हो रहा फैन

अहमदाबाद की दो बहनों ने साइडकार वाले स्कूटर पर शहर की सड़कों पर फर्राटा भरते हुए 'बाइकर दादियों' के रूप में सबका दिल जीत लिया है. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

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आर्थिक तंगी और माता-पिता की संघर्षपूर्ण जिंदगी ने उन्हें आत्मनिर्भरता का महत्व सिखाया.((Photo: Instagram/@biker.dadi)
आर्थिक तंगी और माता-पिता की संघर्षपूर्ण जिंदगी ने उन्हें आत्मनिर्भरता का महत्व सिखाया.((Photo: Instagram/@biker.dadi)

उम्र भले ही इंसान की रफ्तार धीमी कर दे, लेकिन अगर जीने का जुनून हो तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं अहमदाबाद की 87 वर्षीय मंदाकिनी शाह, जिन्होंने पूरे देश का दिल जीत लिया है. हाल ही में उन्होंने अपनी रोमांच भरी जिंदगी, अपनी छोटी बहन उषा के साथ खास रिश्ता और उस स्कूटर के बारे में बात की, जिस पर दोनों आज भी पूरे शहर में घूमती हैं. मंदाकिनी कहती हैं कि उन्हें अपनी बहन उषा के साथ स्कूटर पर निकलना बहुत पसंद है. जब लोग उनसे पूछते हैं कि 87 साल की उम्र में स्कूटर क्यों चलाती हैं, तो वह मुस्कुराकर कहती हैं - "क्यों नहीं?" उन्होंने 62 साल की उम्र में स्कूटर चलाना सीखा था और हमेशा से अपनी आजादी को बेहद महत्व दिया है.

बचपन से संभाली घर की जिम्मेदारी
छह भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण उन्होंने बचपन से ही जिम्मेदारियां संभालीं. उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और आजादी के बाद अपना कारोबार शुरू करना चाहते थे, लेकिन पैसों की कमी के कारण नहीं कर पाए. घर में अक्सर आर्थिक तंगी रहती थी. अपनी मां को हर दिन मेहनत करते देखकर मंदाकिनी को आत्मनिर्भर होने और खुद के पैरों पर खड़े होने का महत्व समझ आया.

PTI की रिपोर्ट के अनुसार-अहमदाबाद की दो अस्सी साल की बहनों ने साइडकार वाले स्कूटर पर शहर की सड़कों पर फर्राटा भरते हुए 'बाइकर दादियों' के रूप में सबका दिल जीत लिया है.  87 वर्षीय मंदाकिनी शाह अपनी छोटी बहन के साथ मस्ती भरी सवारी का आनंद लेती हैं, अहमदाबाद के व्यस्त ट्रैफ़िक में सहजता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती हैं और रास्ते में आनंद के पल बिताती हैं.

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62 साल की उम्र में सीखा स्कूटर चलाना
जब लोग पूछते हैं कि वह 87 साल की उम्र में स्कूटर क्यों चलाती हैं, तो वह बस यही पूछती हैं, "क्यों नहीं?" उन्होंने 62 साल की उम्र में स्कूटर चलाना सीखा और हमेशा अपनी आजादी को महत्व दिया है. छह भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते, उन्होंने बहुत कम उम्र में ही ज़िम्मेदारी सीख ली थी. उनके पिता, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे, आज़ादी के बाद एक व्यवसाय शुरू करना चाहते थे, लेकिन पैसों की कमी के कारण ऐसा नहीं कर पाए. मंदाकिनी बताती हैं कि उनके पास हमेशा पैसे की कमी रहती थी, और अपनी मां को हर दिन कड़ी मेहनत करते देखकर उन्हें आत्मविश्वास और अपने पैरों पर खड़े होने का महत्व समझ आया.

बाइकर दादी ने अपने इंस्टाग्राम (biker.dadi) पर बताया कि “मेरा नाम मंदाकिनी शाह है, और 87 साल की उम्र में भी मुझे अपनी छोटी बहन उषा और अपने भरोसेमंद स्कूटर के साथ रोमांचक यात्राओं पर जाना बहुत पसंद है! अहमदाबाद में पली-बढ़ी हम पांच बहनें और एक भाई थे. मैं सबसे बड़ी थी, इसलिए जीवन ने मुझे बचपन से ही जिम्मेदारी का मतलब सिखा दिया था. मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे. स्वतंत्रता के बाद, उनका सपना एक व्यवसाय शुरू करने का था... लेकिन हमारे पास इसके लिए पर्याप्त धन नहीं था. पैसों की हमेशा कमी रहती थी. इसलिए मां ने हमारा पालन-पोषण किया, और उन्हें हर दिन संघर्ष करते हुए देखकर, मैंने यह सीखा कि मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना है.

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A post shared by Kisnacanteen (@kisnacanteen)

मैं कॉलेज नहीं जा सकी. मैंने स्कूल खत्म करते ही काम शुरू कर दिया था. 16 साल की उम्र में, मैं एक बाल मंदिर में मोंटेसरी शिक्षिका बन गई. मुझे अंग्रेजी के बहुत से शब्द नहीं आते थे, लेकिन मैं जानती थी कि मुझे काम करना है. बाद में, मैं सामाजिक कल्याण परियोजनाओं से जुड़ गई - महिला मंडलों से मिलना, पंचायत चर्चाओं में भाग लेना, महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बताना. उन धूल भरी सड़कों की यात्राओं और अंतहीन चाय की बैठकों के बीच, मैंने स्कूटर चलाना सीखा.” पहले मैंने मोपेड ली... फिर जीप ली... और अंत में, मैंने एक सेकंड हैंड स्कूटर खरीदा.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Biker Dadi (@biker.dadi)

सालों तक लोग मुझसे पूछते रहे, ‘आपकी शादी नहीं हुई? क्या आप विधवा हो?’ उनके लिए अकेली औरत एक अधूरी कहानी थी. मेरे लिए, मैं हर गुजरते दिन के साथ खुलती हुई एक कहानी थी. हां, एक समय मेरी शादी करने की इच्छा थी… लेकिन ज़िंदगी के कुछ और ही इरादे थे और मैं उसी के साथ बहती चली गई. आज भी, ट्रैफिक पुलिस मुझे देखकर पूछती है, ‘बा, आप स्कूटर क्यों चलाती हो?’ लोग मेरी नकल भी करते हैं और जब वे मुझे और उषा को स्कूटर पर देखते हैं तो हमेशा हैरान हो जाते हैं. मैं मुस्कुरा देती हूं और कुछ नहीं कहती. क्योंकि मैं कैसे समझाऊं कि चेहरे पर हवा का स्पर्श आज भी मुझे 16 साल का महसूस कराता है? मैं हर दिन अपने दोस्तों से मिलती हूं. हम गाते हैं. हम खाते हैं. हम खेल खेलते हैं.

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मुझे लोगों को खेल सिखाना बहुत पसंद है. उम्र ने शायद मेरी रफ्तार धीमी कर दी हो, लेकिन मुझे आज भी काम करना और नई-नई चीजें खोजना पसंद है, चाहे कुछ भी हो. मैंने ऐसी जिंदगी जी है जिसकी समाज ने मेरे लिए कल्पना भी नहीं की थी… और अभी मेरा सफर खत्म नहीं हुआ है. सालों से, कई लोग उससे पूछते रहे हैं कि उसने शादी क्यों नहीं की. कुछ तो यह भी मान लेते थे कि वह विधवा है. उनके लिए, पति के बिना औरत एक अधूरी कहानी लगती थी. लेकिन मंदाकिनी के लिए, उसकी ज़िंदगी हर दिन एक नई कहानी बन जाती है. उसने एक बार शादी करने की इच्छा जताई थी, लेकिन जिंदगी ने उसे एक अलग रास्ता दिखाया, और वह उसी राह पर चलती रही".

सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल
सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने महिला के आत्मविश्वास और प्रयासों की प्रशंसा की है. एक यूजर ने लिखा-वाह वाह, आप हमें प्रेरित करती हैं दादी. एक अन्य यूजर ने लिखा- एक ऐसी कहानी जो हवा के विपरीत दिशा में चलती है- निडर, स्वतंत्र और हमेशा जवान. आपकी यात्रा हमें याद दिलाती है कि उम्र शरीर को थाम सकती है, लेकिन आत्मा को नहीं. यही साहस की पराकाष्ठा है और यही जीवन का आधार है- चलते रहो, खोज करते रहो, उन चीजों को फिर से लिखते रहो जिनकी समाज ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. तीसरे उपयोगकर्ता ने कहा- अपने जीवन का आनंद लीजिए दादी.  

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