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21 दिन तक लगातार चलती है ये ट्रेन! सफर में दिखते हैं 13 देश के नजारे

21 दिन की इस अनोखी ट्रेन यात्रा में यात्री दो महाद्वीपों को पार करते हैं. इस सफर की सबसे दिलचस्प बात है इसका लंबा रास्ता और हर पड़ाव पर मिलने वाले नए नज़ारे. जानिए, आखिर क्यों इस सफर को कहा जाता है, दुनिया की सबसे अनोखा सफर.

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13 देशों को जोड़ती है यह रेल लाइन ( Photo: Pixabay)
13 देशों को जोड़ती है यह रेल लाइन ( Photo: Pixabay)

कल्पना कीजिए, एक ऐसी ट्रेन यात्रा जो 21 दिनों तक लगातार चलती है, और इस दौरान आप 13 अलग-अलग देशों से होकर गुजरते हैं. यह कोई कहानी नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे लंबी रेल यात्रा का सच है. यह अद्भुत सफर 18,755 किलोमीटर की दूरी तय करता है, जिसकी शुरुआत पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन से होती है और अंत एशिया के सिंगापुर में होता है. यह यात्रा दिखाती है कि रेलमार्ग आज भी दो महाद्वीपों को कितनी मज़बूती से जोड़ते हैं. जो रेलप्रेमियों के लिए यूरोप और एशिया के भूगोल और संस्कृति को जानने का एक शानदार अवसर भी देता है. 

पुर्तगाल से सिंगापुर तक बिना हवाई सफर

यह रेल यात्रा सिर्फ़ लंबी ही नहीं, बल्कि अविश्वसनीय रूप से विविध भी है. यह 13 अलग-अलग देशों से होकर गुज़रती है. जो कि पुर्तगाल से शुरू होकर स्पेन, फ़्रांस, जर्मनी, पोलैंड, बेलारूस, रूस, मंगोलिया, चीन, लाओस, थाईलैंड और मलेशिया को पार करते हुए अंत में सिंगापुर पहुंचती है. इस रूट में यूरोप की हाई-स्पीड ट्रेनें और एशिया की विशाल अंतरमहाद्वीपीय रेल लाइनें शामिल हैं. अलग-अलग कनेक्शन और रुकने के समय को मिलाकर यह यात्रा लगभग 21 दिन की होती है, जो यात्रियों के धैर्य और जुनून दोनों की परीक्षा लेती है.

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रास्ते में मिलते हैं बर्फ, जंगल और पुराने शहरों के नज़ारे

यह यात्रा केवल दूरी नहीं तय करती, बल्कि महाद्वीपों की कहानियां भी दिखाती है. इस दौरान रास्ते में यूरोप के पुराने शहरों की गलियां, रूस की बर्फ़ से ढकी धरती, चीन और मंगोलिया के पहाड़ी इलाके और दक्षिण-पूर्व एशिया की हरियाली सब देखने को मिलते हैं. इस यात्रा के सबसे खूबसूरत हिस्से हैं, ट्रांस-साइबेरियन रेलवे, बीजिंग-वियनतियाने मार्ग और थाईलैंड-मलेशिया लाइन, जहां तकनीक और प्रकृति दोनों का संगम दिखता है.

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टुकड़ों में पूरा होता है सफ़र

यह सफर पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन से शुरू होता है और यूरोप की ट्रेनों से होकर रूस के मॉस्को तक पहुंचता है. मॉस्को से यात्री प्रसिद्ध ट्रांस-साइबेरियन रेलवे का रुख करते हैं, जो दुनिया के सबसे लंबे रेलमार्गों में से एक है और सीधे चीन की राजधानी बीजिंग तक ले जाती है. बीजिंग से आगे यात्रा दक्षिण की ओर मुड़ती है, जहां रेल मार्ग लाओस, थाईलैंड और मलेशिया से होते हुए आखिर में सिंगापुर पहुंचता है. यह लंबी यात्रा न सिर्फ़ रोमांचक है, बल्कि दो महाद्वीपों की संस्कृति और नज़ारों को एक साथ देखने का दुर्लभ मौका देती है.

यात्रा सिर्फ़ रोमांच नहीं, एक संदेश भी है

ये ट्रेन यात्रा सिर्फ़ रोमांचक नहीं बल्कि एक संदेश भी देती है कि रेलवे अभी भी देशों और संस्कृतियों को जोड़ने का सबसे मजबूत जरिया है. हवाई जहाज भले तेज़ हों, लेकिन ट्रेन का ये सफर आत्मा को सुकून देता है. धीरे-धीरे बदलते नज़ारे, नए चेहरे और हर दिन एक नया देश, यही इस यात्रा का असली आकर्षण है. यही वजह है कि पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता और धीमे सफर की चाह रखने वाले यात्रियों के लिए यह मार्ग अब एक नया सपना बन चुका है.
 

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