चित्रगुप्त पूजा 2022
चित्रगुप्त (Chitragupta) एक हिंदू देवता है जिसे मनुष्यों के कार्यों का पूरा रिकॉर्ड रखने और उन्हें उनके कर्म के अनुसार दंडित या पुरस्कृत करने का कार्य सौंपा गया है. उनकी मृत्यु के बाद, चित्रगुप्त के पास यह तय करने का कार्य है कि मनुष्य पृथ्वी पर अपने कार्यों के आधार पर स्वर्ग या नरक में जाते हैं या नहीं. चित्रगुप्त ब्रह्मा के सत्रहवें मानसपुत्र है (Chitragupta, Son of Brahma).
चित्रगुप्त की पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाती है. इसे यम द्वितीया (Yam Dwitiya) भी कहा जाता है. चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) और भाई दूज (Bhai Dooj) एक ही दिन मनाई जाती है. इस साल दोनों 26 अक्टूबर 2022 (Chitragupta Puja 2022 Date) को मनाई जाएगी.
माना जाता है कि उन्हें ब्रह्मा की आत्मा और मन से बनाया गया था और इस तरह उन्हें ब्राह्मण की तरह वेद लिखने का अधिकार दिया गया था और उन्हें क्षत्रिय का कर्तव्य भी सौंपा गया था. चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यम के साथ जाते हैं. चित्रगुप्त ब्रह्मा के बाद अस्तित्व में आए, जिन्होंने चार वर्णों की स्थापना की - ब्राह्मण (विद्वान), क्षत्रिय (योद्धा), वैश्य (व्यापारी और किसान) और शूद्र (मजदूर) (Chitragupta with Yama).
धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन यम देव अपनी बहन यमुना से मिलने पृथ्वी पर आए थे. चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. चित्रगुप्त की उपासना में लेखनी, दवात और पुस्तकों की भी पूजा होती है. कायस्थ समुदाय में चित्रगुप्त पूजा बड़े स्थर पर मनाया जाता है. कायस्थ समाज में इसे कलम दवात पूजा भी कहते हैं (Chitragupta Puja Kayastha Community). इस दिन भाई दूज (Bhai dooj 2022) और मनाते हैं.
भारत में चित्रगुप्त को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनमे- चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो, कायथा, उज्जैन, चित्रगुप्त मंदिर, कांचीपुरम, तमिलनाडु, चित्रगुप्त देवालयम, फलकनुमा, हैदराबाद, जो 18वीं शताब्दी की शुरुआत में कुतुब शाही द्वारा नियोजित कायस्थों द्वारा निर्मित मंदिर शामिल है (Chitragupta Temple in India).
माना जाता है कि चित्रगुप्त का जन्म उज्जैन के कायथा में मानव रूप में हुआ था, जो एक महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल भी है. इसमें 4000 साल से अधिक पुरानी संस्कृतियों के प्रमाण हैं, जिसमें उन्हें समर्पित एक मंदिर है (Chitragupta History).