scorecardresearch
 

Margashirsha Purnima 2025: साल की आखिरी पूर्णिमा पर भद्रा का साया, जानें दान-स्नान और पूजा का शुभ मुहूर्त

Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ मानी गई है. इस दिन चंद्रमा की सभी 16 कलाएं सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती है. इस दिन लक्ष्मी-विष्णु की पूजा से दुख-दरिद्रता का नाश होता है. हालांकि इस वर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का साया रहेगा. इसलिए दान-स्नान के शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें.

Advertisement
X
स साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का साया भी रहने वाला है. (Photo: Pixabay)
स साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का साया भी रहने वाला है. (Photo: Pixabay)

Margashirsha Purnima 2025: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा अत्यंत महत्वपूर्ण और पावन तिथि मानी गई है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपन्न होकर वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ाता है. जो लोग इस दिन चंद्र देव और लक्ष्मी-विष्णु की संयुक्त पूजा करते हैं. उनके जीवन में कभी दुख-दरिद्रता का वास नहीं होता है. ऐसे लोगों का जीवन सदैव खुशहाल रहता है. हालांकि इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का साया भी रहने वाला है. आइए जानते हैं कि भद्रा के साए में पड़ रही इस पूर्णिमा पर दान-स्नान का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि और भद्रा का समय?
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 37 मिनट से लेकर 5 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. ऐसी में पूर्णिमा तिथि का व्रत 4 दिसंबर को रखा जाएगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, इस दिन सुबह में 8 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 41 मिनट तक भद्रा का साया भी रहने वाला है. हालांकि भद्रा का वास स्वर्ग लोक में रहने वाला है. इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा. आप किसी भी समय स्नान, दान पूजा-पाठ कर सकेंगे.

दान-स्नान और पूजा का मुहूर्त क्या है?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा यानी 4 दिसंबर की सुबह 4:19 बजे से सुबह 4:58 बजे ब्रह्म मुहूर्त रहेगा. इस शुभ घड़ी में आप किसी पवित्र घाट पर जाकर स्नान कर सकते हैं. आप चाहें तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इसके बाद सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें.

Advertisement

इस दिन सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. यदि आप दोपहर के समय पूजा-पाठ या कोई धार्मिक अनुष्ठान करना चाहते हैं तो इस शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं. कहते हैं कि इस शुभ घड़ी में किए गए कार्यों के सफल होने की संभावना अत्यधिक होती है. आप दान आदि से जुड़े कार्य भी इस मुहूर्त में कर सकते हैं.

फिर रात 11:45 बजे से रात 12:39 बजे तक निशीथ काल की पूजा होगी. इस शुभ घड़ी में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की संयुक्त पूजा बहुत ही लाभकारी मानी जाती है. निशीत काल में लक्ष्मी-विष्णु के अलावा आप कुछ दिव्य उपाय या उनके मंत्रों का जाप करेंगे तो बहुत उत्तम होगा.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement