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Khatu Shyam: घर की छत पर क्यों खाटू श्याम का ध्वज लगाते हैं लोग? सोने-चांदी के चढ़ रहे निशान

Khatu shyam baba: खाटू श्याम बाबा के मंदिर में भक्त प्रतिदिन ध्वज चढ़ाकर अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करते हैं. कुछ लोग यह ध्वज घर भी लेकर आते हैं. कहते हैं कि इसे घर पर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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राजस्थान के सीकर जिले में स्थित बाबा श्याम का मंदिर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं.
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित बाबा श्याम का मंदिर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं.

Khatu Shyam Baba: देशभर में ऐसे तमाम मंदिर हैं, जहां भगवानों को झंडा या ध्वज अर्पित करने की परंपरा है. लेकिन ध्वज का नाम आते ही सबसे पहले खाटू श्याम बाबा का जिक्र होता है. राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम का इकमात्र मंदिर है, जहां पर प्रतिदिन हजारों भक्त बाबा को ध्वज चढ़ाते हैं. ध्वज चढ़ाने को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. कुछ लोग तो अपनी मन्नत पूरी होने के बाद बाबा को ध्वज चढ़ाते हैं. जबकि कुछ लोग बाबा को ध्वज चढ़ाने के बाद उसे घर ले आते हैं. कहते हैं कि ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है. हर रोज हजारों श्रद्धालु रींगस से खाटू नगरी तक पैदल हाथों में ध्वज (निशान) लेकर आते हैं और बाबा को यह निशान चढ़ाते हैं.

देश के कोने-कोने भक्त पदयात्रा करते हैं और बाबा शाम को निशाना चढ़ाते हैं. यहां विदेशी भक्तों का भी तांता लगा रहता है. बाबा श्याम के मंदिर में निशान चढ़ाने की परंपरा प्राचीन व सालों पुरानी है. निशान को ध्वज भी कहा जाता है और यह सनातन धर्म में विजय का प्रतीक माना गया है. निशान को बाबा श्याम के बलिदान और दान का प्रतीक भी माना जाता है,  क्योंकि भगवान श्री कृष्ण के कहने पर धर्म की जीत के लिए उन्होंने अपना शीश दान किया था और युद्ध की श्रेय भगवान कृष्ण को दिया था.

श्याम बाबा के ध्वज का रंग, केसरिया, नारंगी लाल होता है. निशान पर भगवान कृष्ण और श्याम बाबा के चित्र और मंत्र अंकित होते हैं. निशान पर नारियल और मोरपंख बांधा जाता है. इस निशान को चढ़ाने से पहले उसकी पूजा की जाती है. इसके बाद भक्त बाबा के मंदिर पहुंचते हैं. वर्तमान समय में चांदी और सोने के निशान भी मंदिर में चढ़ने लगे हैं. इस ध्वज को हाथों में लेकर भक्त नंगे पांव मंदिर पहुंचते हैं और बाबा को ध्वज चढ़ाते हैं.

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देश-विदेश से आते हैं लाखों श्रद्धालु
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित बाबा श्याम का मंदिर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. हर महीने की ग्यारस को यहां मेले के दौरान 10 से 15 लाख लोग बाबा के दर्शन करने आते हैं.

कैसे मिला था बाबा श्याम को वरदान?
शास्त्रों के अनुसार, बाबा श्याम भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक हैं. इन्होंने कौरवों-पांडवों के युद्ध में अपना शीश दान किया था. उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि कलयुग में बाबा श्याम की पूजा की जाएगी और भगवान श्री कृष्ण को श्याम के नाम से जाना जाएगा. बाबा श्याम को हारे का सहारा भी कहा जाता है. भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार लखदातार शीश के दानी सहित अलग-अलग नाम से बाबा श्याम की पूजा की जाती है.

क्यों चढ़ाए जाते हैं निशान?
ऐसी मान्यताएं हैं कि बाबा श्याम को निशान चढ़ाने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कुछ लोग तो मनोकामना पूरी होने से पहले ही निशान चढ़ा देते हैं. तो कुछ लोग मनोकामना पूरी होने के बाद नंगे पांव पदयात्रा कर बाबा श्याम के मंदिर पहुंचते हैं और निशान चढ़ाते हैं.

निशान का बदल रहा है रूप
बाबा शाम को वैसे तो सालभर निशान चढ़ाए जाते हैं. लेकिन फाल्गुन के मेले में निशान चढ़ाने की परंपरा खास है. लोग दूर-दूर से निशान यात्रा लेकर खाटू नगरी पहुंचते हैं. इस दौरान कई किलोमीटर लंबे व बड़े निशान भी बाबा को चढ़ाए जाते हैं. समय के साथ निशान का रूप भी बदल रहा है. आधुनिक डिजाइन के अलावा सोने-चांदी के निशान भी बाबा को चढ़ाए जा रहे हैं.

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लोग घरों पर लगाते हैं ध्वज
खाटू श्याम मंदिर समिति के मंत्री मानवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर बाबा को ध्वज (निशान) चढ़ाते हैं. इस ध्वज को मंदिर में चढ़ाने के बाद श्रद्धालु अपने घर ले जाते हैं और मुख्य द्वार या छत पर लगा लेते हैं. कहते हैं कि घर पर ध्वज लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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