राजस्थान के भीलवाड़ा में सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल देखने को मिली, जब एक मुस्लिम युवक ने अकेली हिंदू महिला का अंतिम संस्कार किया.
दरअसल, गांधी नगर के जंगी चौक निवासी शांति देवी (67) कुछ समय से अस्वस्थ थीं और महात्मा गांधी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. रविवार को उनका निधन हो गया. अपनी तीन बेटियों और एक बेटे की मृत्यु के बाद वह 2018 से अकेली रह रही थीं.
परिवार से कोई मौजूद न होने पर असगर अली खान (30), जो शांति देवी को मां की तरह मानते थे, वही आगे आए. नम आंखों से खान ने कहा, "वह बचपन से मुझे मां की तरह प्यार करती थीं. रोज पूछती थीं कि मैंने खाना खाया या नहीं, मैं कैसा हूं. उनके निधन से लगा जैसे मैंने अपनी मां को फिर खो दिया."
खान ने बताया, "मेरे माता-पिता का देहांत बहुत पहले हो गया था. शांति देवी ने उस कमी को पूरा किया. कोविड के दौरान भी, जब वह बीमार थीं, मैंने उनकी सेवा की. उनके निधन के बाद मुझे फिर से मां खोने का दर्द हुआ."
अपने पड़ोसियों और दोस्तों अशफाक कुरैशी, आबिद कुरैशी, शाकिर पठान, फिरोज कुरैशी, इनायत और जाबिद के सहयोग से खान ने अंतिम संस्कार की व्यवस्था की. उन्होंने अर्थी को कंधा दिया और हिंदू रीति-रिवाजों से दाह संस्कार किया.
शांति देवी के रिश्तेदार बाद में मध्य प्रदेश से आए और अंतिम यात्रा में शामिल हुए. खान ने बताया कि शांति देवी की अस्थियां उनकी इच्छानुसार प्रयागराज के त्रिवेणी संगम या चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया में विसर्जित की जाएंगी.