जयपुर पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन वज्र प्रहार के तहत साइबर ठगी के गहरे जाल का पर्दाफाश हुआ है. पुलिस ने 4 ठगों को दबोचा, जिनमें से दो तो महज़ 2500 रुपये किराये की दुकान से पूरा ठगी का नेटवर्क चला रहे थे, जबकि तीसरा खुद को साइबर सेल अधिकारी बताकर उन्हीं पीड़ितों को दोबारा लूटता था. सबसे चौंकाने वाली खोज यह रही कि आरोपियों के ठिकाने से ‘जल्द दौलतमंद बनने’ की एक किताब मिली. जिसे पढ़कर ठग चोरी-ठगी को “शॉर्टकट टू रिच” समझकर मोटी रकम ऐंठ रहे थे.
दरअसल, वज्र प्रहार 2.0 अभियान के तहत विश्वकर्मा थाना पुलिस ने रवि शंकर और विनोद मीणा को पकड़ा है. ये दोनों किराये की दुकान से साइबर अपराधियों के पैसों को अपने व दूसरों के खातों में मंगवाते थे. तलाशी में मिली किताब पर लिखा था—‘आपके दौलतमंद बनने की राह’, जिसे लेकर जब आरोपी रवि से पूछा गया, तो उसने साफ कहा कि उसे “जल्द अमीर बनने” का लालच था.
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ठगी के पैसों से खेलता था सट्टा
खाते में आने वाली ठगी की रकम वह आगे ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स में झोंक देता था. इससे पहले पुलिस इसी गिरोह के ठग मेहर खान और सूरज मीणा को दबोच मास्टरमाइंड तक पहुंची. उधर, बनीपार्क थाना पुलिस ने भी अरुण पंवार नामक ठग को गिरफ्तार किया है. यह खुद को फर्जी साइबर सेल अधिकारी बताकर पीड़ितों से फेक इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए संपर्क करता था. फिर NC RP पोर्टल के एडिटेड स्क्रीनशॉट भेजकर भरोसा जीतता और बदले में उन्हीं साइबर पीड़ितों को दूसरी बार लूट लेता था.
डीसीपी जयपुर वेस्ट हनुमान प्रसाद मीणा ने बताया कि नवंबर माह में कुल 1,49,02,585 रुपये साइबर ठगों के खातों में होल्ड करवाए गए. जबकि पीड़ितों को 27,15,330 रुपये की रकम रिफंड भी करवाई गई.